प्रस्तुति - नवभारत टाइम्स
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भारतीय ने ओपन-सोर्स हार्डवेयर से बनाई 4500 रुपए में गूगल ग्लास जैसी डिवाइस
कोच्चि के अरविंद संजीव ने गूगल ग्लास जैसी डिवाइस एक महीने के अंदर केवल 4500 रुपए में बना दी।
वरुण अग्रवाल, बेंगलुरु
भले ही गूगल को गूगल ग्लास बनाने में एक साल का वक्त लगा और वह इसे करीब एक लाख रुपए में बेच रही है, लेकिन कोच्चि के अरविंद संजीव ने ऐसी ही एक डिवाइस एक महीने के अंदर केवल 4500 रुपए में बना दी। हालांकि यह चश्मे की शक्ल में न होकर एक टोपी जैसी है। इसके लिए उन्होंने ओपन-सोर्स हार्डवेयर की मदद ली।
अपने इस प्रॉडक्ट से पैसे कमाने की जगह उन्होंने समाज की भलाई के मकसद से एक ब्लॉग लिखा। ब्लॉग में उन्होंने बताया कि किस तरह कोई भी इस 'स्मार्टकैप' को बना सकता है और इसके लिए ओपनसोर्स हार्डवेयर जैसे रासबेरी पाई कंप्यूटर, आर्ड्यिनो बोर्ड और ऐंड्रॉयड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकता है। इस स्मार्टकैप में विडियो शेयरिंग और रेकॉर्डिंग के लिए एक वेबकैम है, 2.5 इंच का डिस्प्ले है और हैंड्स-फ्री काम करने के लिए वॉइस रिकग्निशन सिस्टम भी है।
इस जैसे हार्डवेयर प्लैटफॉर्म्स और रेपरैप 3D प्रिंटर्स से इलेक्ट्रॉनिक्स की कम या कोई जानकारी न रखने वाले स्टूडेंट, इंजिनियर और उद्यमी हार्डवेयर प्रॉडक्ट्स बनाना शुरू कर सकते हैं।
23 साल के संजीव अपने इंजिनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने के बारे में कुछ भी नहीं सीख सके, तो उन्होंने फैसला किया कि वह अपने सभी प्रॉजेक्ट्स को सभी के लिए उपलब्ध करवाएंगे, ताकि जो चाहे उन्हें बना सके। उन्होंने कहा, 'कॉलेज में आर्ड्यिनो को जानने से पहले मुझे नहीं पता था कि कोई कैलकुलेटर कैसे काम करता है या मैं उसे कैसे बना सकता हूं।'
उन्होंने एक ऐसा प्लैटफॉर्म विकसित किया है, जो उनके मुताबिक आपकी कार को कंट्रोल कर सकता है। उन्होंने कहा, 'ओपन-सोर्स हार्डवेयर की मदद से मैंने एक प्लैटफॉर्म बनाया है, जिससे आप केवल एक मोबाइल ऐप से अपनी कार को पूरा कंट्रोल कर सकते हैं।' संजीव ने इसके पेटेंट का आवेदन किया है और उन्हें उम्मीद है कि वह इसे एक पीस के 9000 रुपए के हिसाब से बेच सकेंगे।
मुंबई के श्रीकांत ने भी आर्ड्यिनो कंप्यूटर बोर्ड के इस्तेमाल से डायबीटीज़ के मरीजों का ग्लूकोज़ लेवल चेक करने के लिए एक मेडिकल डिवाइस बनाई। वह अपने डायबिटो को ओपन सोर्स बनाकर ओपन-सोर्स हार्डवेयर कम्यूनिटी में सहयोग करना चाहते हैं। इस डिवाइस में ग्लोबल फार्मा कंपनियों ने रुचि दिखाई है। वह कहते हैं, 'ओपन-सोर्स हार्डवेयर की वजह से आप प्रोटोटाइपिंग और डिज़ाइन टाइम को बहुत कम कर सकते हैं। यहां आपको हर चरण पर बड़ा कम्यूनिटी सपॉर्ट मिलता है। '
अपने बोर्ड्स की भारत में तेजी से बढ़ रही मांग को देखते हुए पिछले साल आर्ड्यिनो ने भारत में अपना पहला ऑफिस बेंगलुरु में खोला था। बेंगलुरु में आर्ड्यिनो की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रिया कुबेर ने कहा, 'हमारा बिज़नस भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हम यहां की कंपनियों से बात कर रहे हैं ताकि अगले कुछ महीनों में हमारे बोर्ड्स भारत में बनने शुरू हो जाएं।' इसके बाद इसकी कीमत 1200 रुपए से घटकर 900 रुपए तक हो जाएगी।
एक और ओपन-सोर्स हार्डवेयर टूलकिट रेपरैप की मदद से कई भारतीय स्मार्टअप्स 3D प्रिंटर्स बना सके हैं, जो कमर्शली बेचे भी जा रहे हैं। बेंगलुरु में ब्रह्मा3 के को-फाउंडर निखिल कहते हैं, 'हमने अपना 3D प्रिंटर बनाने के लिए प्लैटफॉर्म के तौर पर रेपरैप और आर्ड्यिनो का इस्तेमाल किया।'
IIIT (इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी) के प्रोफेसर एस सदगोपन ने कहा, 'बहुत जल्द स्कूल और कॉलेज में ओपन-सोर्स हार्डवेयर का इस्तेमाल होने लगेगा। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की कीमत से हार्डवेयर महंगा हो जाता है। ओपन-सोर्स हार्डवेयर इस कीमत को कम करता है और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर को सबकी पहुंच में लाता है।'
इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। केरल सरकार स्कूली छात्रों को 10 हजार रासबेरी पाई कंप्यूटर्स देने का फैसला पहले ही ले चुकी है।
कुछ उद्यमी भारत में हार्डवेयर प्रॉडक्ट बनाने को बढ़ावा देने के लिए अपना ओपन-सोर्स हार्डवेयर बना रहे हैं। इसका एक उदाहरण मेरठ की इलेक्ट्रॉब्रिक्स है। यह कंपनी 2000 रुपए का बेसिक किट बेचती है, जिससे बच्चे और रुचि रखने वाले लोग कई तरह के हार्डवेयर प्रॉडक्ट्स बना सकते हैं।
भले ही गूगल को गूगल ग्लास बनाने में एक साल का वक्त लगा और वह इसे करीब एक लाख रुपए में बेच रही है, लेकिन कोच्चि के अरविंद संजीव ने ऐसी ही एक डिवाइस एक महीने के अंदर केवल 4500 रुपए में बना दी। हालांकि यह चश्मे की शक्ल में न होकर एक टोपी जैसी है। इसके लिए उन्होंने ओपन-सोर्स हार्डवेयर की मदद ली।
अपने इस प्रॉडक्ट से पैसे कमाने की जगह उन्होंने समाज की भलाई के मकसद से एक ब्लॉग लिखा। ब्लॉग में उन्होंने बताया कि किस तरह कोई भी इस 'स्मार्टकैप' को बना सकता है और इसके लिए ओपनसोर्स हार्डवेयर जैसे रासबेरी पाई कंप्यूटर, आर्ड्यिनो बोर्ड और ऐंड्रॉयड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकता है। इस स्मार्टकैप में विडियो शेयरिंग और रेकॉर्डिंग के लिए एक वेबकैम है, 2.5 इंच का डिस्प्ले है और हैंड्स-फ्री काम करने के लिए वॉइस रिकग्निशन सिस्टम भी है।
23 साल के संजीव अपने इंजिनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने के बारे में कुछ भी नहीं सीख सके, तो उन्होंने फैसला किया कि वह अपने सभी प्रॉजेक्ट्स को सभी के लिए उपलब्ध करवाएंगे, ताकि जो चाहे उन्हें बना सके। उन्होंने कहा, 'कॉलेज में आर्ड्यिनो को जानने से पहले मुझे नहीं पता था कि कोई कैलकुलेटर कैसे काम करता है या मैं उसे कैसे बना सकता हूं।'
उन्होंने एक ऐसा प्लैटफॉर्म विकसित किया है, जो उनके मुताबिक आपकी कार को कंट्रोल कर सकता है। उन्होंने कहा, 'ओपन-सोर्स हार्डवेयर की मदद से मैंने एक प्लैटफॉर्म बनाया है, जिससे आप केवल एक मोबाइल ऐप से अपनी कार को पूरा कंट्रोल कर सकते हैं।' संजीव ने इसके पेटेंट का आवेदन किया है और उन्हें उम्मीद है कि वह इसे एक पीस के 9000 रुपए के हिसाब से बेच सकेंगे।
मुंबई के श्रीकांत ने भी आर्ड्यिनो कंप्यूटर बोर्ड के इस्तेमाल से डायबीटीज़ के मरीजों का ग्लूकोज़ लेवल चेक करने के लिए एक मेडिकल डिवाइस बनाई। वह अपने डायबिटो को ओपन सोर्स बनाकर ओपन-सोर्स हार्डवेयर कम्यूनिटी में सहयोग करना चाहते हैं। इस डिवाइस में ग्लोबल फार्मा कंपनियों ने रुचि दिखाई है। वह कहते हैं, 'ओपन-सोर्स हार्डवेयर की वजह से आप प्रोटोटाइपिंग और डिज़ाइन टाइम को बहुत कम कर सकते हैं। यहां आपको हर चरण पर बड़ा कम्यूनिटी सपॉर्ट मिलता है। '
अपने बोर्ड्स की भारत में तेजी से बढ़ रही मांग को देखते हुए पिछले साल आर्ड्यिनो ने भारत में अपना पहला ऑफिस बेंगलुरु में खोला था। बेंगलुरु में आर्ड्यिनो की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रिया कुबेर ने कहा, 'हमारा बिज़नस भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हम यहां की कंपनियों से बात कर रहे हैं ताकि अगले कुछ महीनों में हमारे बोर्ड्स भारत में बनने शुरू हो जाएं।' इसके बाद इसकी कीमत 1200 रुपए से घटकर 900 रुपए तक हो जाएगी।
एक और ओपन-सोर्स हार्डवेयर टूलकिट रेपरैप की मदद से कई भारतीय स्मार्टअप्स 3D प्रिंटर्स बना सके हैं, जो कमर्शली बेचे भी जा रहे हैं। बेंगलुरु में ब्रह्मा3 के को-फाउंडर निखिल कहते हैं, 'हमने अपना 3D प्रिंटर बनाने के लिए प्लैटफॉर्म के तौर पर रेपरैप और आर्ड्यिनो का इस्तेमाल किया।'
IIIT (इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी) के प्रोफेसर एस सदगोपन ने कहा, 'बहुत जल्द स्कूल और कॉलेज में ओपन-सोर्स हार्डवेयर का इस्तेमाल होने लगेगा। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की कीमत से हार्डवेयर महंगा हो जाता है। ओपन-सोर्स हार्डवेयर इस कीमत को कम करता है और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर को सबकी पहुंच में लाता है।'
इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। केरल सरकार स्कूली छात्रों को 10 हजार रासबेरी पाई कंप्यूटर्स देने का फैसला पहले ही ले चुकी है।
कुछ उद्यमी भारत में हार्डवेयर प्रॉडक्ट बनाने को बढ़ावा देने के लिए अपना ओपन-सोर्स हार्डवेयर बना रहे हैं। इसका एक उदाहरण मेरठ की इलेक्ट्रॉब्रिक्स है। यह कंपनी 2000 रुपए का बेसिक किट बेचती है, जिससे बच्चे और रुचि रखने वाले लोग कई तरह के हार्डवेयर प्रॉडक्ट्स बना सकते हैं।