प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
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‘एमबीए करने के बाद मैं एक कंपनी में पंजाब का स्टेट हेड बन चुका था। पोस्टिंग लुधियाना में थी। और 15 लाख रुपए का एनुअल पैकेज। कई बड़ी कंपनियों से जॉब के ऑफर भी थे। लेकिन, उन्हें छोड़कर मैंने मिल्क प्रोसेसिंग का कारोबार शुरू किया। और कुछ दिनों बाद ही मैंने एक माइक्रो चिलर बनाया। डेढ़ साल के अंदर ही काम चल निकला और हमारा सालाना कारोबार एक करोड़ से ज्यादा तक जा पहुंचा। पहले मैं खुद के लिए कमाता था, लेकिन आज मेरे साथ 100 सेे ज्यादा छोटे डेयरी फॉर्मर्स जुड़े हैं। मैं खुश हूं कि, मेरी वजह से उन्हें पहले से ज्यादा फायदा मिल रहा है।'यह मेरे लिए सबसे बड़ी बात है।
मार्केट में उतारूंगा माइक्रो चिलर
एमबीए पास गौतम अग्रवाल ने बताया कि माइक्रो चिलर छोटे डेयरी फॉर्मर्स को ध्यान में रखकर बनाया है। आम तौर पर मार्केट में मिलने वाली चिलिंग मशीनें साइज में बड़ी हैं और उनकी कीमत भी एक लाख से शुरू होती है। हमने जो माइक्रो चिलर बनाया है इसकी कीमत मात्र 25 हजार रुपए के करीब है और यह साइज में भी छोटा। इस वजह से यह आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। इसकी डिमांड को देखते हुए अब जल्द ही इसे मार्केट में उतारने की सोची है। फिलहाल डेयरी फॉर्मर्स के लिए चिलिंग सेंटर भी खोल रखें हैं।
देशभर के धार्मिक स्थलों में देसी गायों के घी की सप्लाई
मैंने सिर्फ देसी गायों के दूध का कारोबार शुरू किया। साथ ही साथ जुड़े डेयरी फार्मर्स को इन्हें बढ़ावा देने के लिए तकनीकी जानकारियां देनी भी शुरू की। अभी मैं गाय के दूध का रिटेल काराेबार, पनीर और घी का कारोबार कर रहा हूं। हमारे पठानकोट स्थित फार्म से देसी घी देशभर के धार्मिक स्थलों में सप्लाई किया जा रहा है। इसका दायरा और बढ़ाया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि और भी प्रोडक्ट ज्लद मार्केट में जल्द उतारा जाए। अब मैं पनीर, प्री-बायोटिक मिल्क ड्रिंक और मिल्क प्रोडक्ट्स की क्वाॅलिटी में सुधार के लिए शोध में जुटा हूं।