मंझार गांव की किरण ने दादी के परंपरागत फार्मूले को आजमाकर शीशम के हजारों सूखे पेड़ों को हरा-भरा कर दिखाया है। उन्होंने केरोसिन का इस्तेमाल कर शीशम के पेड़ों में फिर से हरियाली भर दी। बहुमूल्य शीशम वृक्ष ड्राईबैग नामक बीमारी से सूख रहे थे। उन्हें बचाने में सारे प्रयास विफ ल हो चुके थे। लेकिन बीए भाग-2 की छात्रा किरण ने ५० ग्राम केरोसिन व नीम का तेल तथा १०० ग्राम कार्बोफ्यूरॉंन को १० लीटर पानी में मिलाकर ऐसे पांच वृक्षों की जड़ों में १० दिनों तक डाला, तो ये पेड़ फिर से हरे-भरे हो गए।
उनके इस प्रयोग के बाद गांव के अन्य किसान भी यही तरीका आजमाने लगे। किरण ने शीशम के अलावा अन्य पेड़ों में फैलने वाले तना छेवक पीड़क (एक प्रकार का कीट) से बचाव का उपाय भी ढूंढ़ा है। चूने में तंबाकू का पाउडर मिलाकर पेड़ों को रंगने से कीड़े उन पर नहीं चढ़ते हैं। किरण बताती हैं कि कुछ अरसा पहले शीशम के सूखने की बीमारी फै ली थी। उनके पारिवारिक खेतों में सैकड़ों पेड़ सूख गए, जिससे करीब ५ लाख रुपए का नुकसान हुआ। एक दिन वे सूखे पेड़ों के पास खड़ी थीं, तो उनके मन में यह सवाल आया कि आखिर ये पेड़ क्यों सूख रहे हैं। उनकी दादी घर के किवाड़ में, जहां कीड़े लग जाते थे, मिट्टी का तेल लगाती थीं और कीड़े नष्ट हो जाते थे।
No comments:
Post a Comment