प्रस्तुति दिनेश कुमार कसेरा।
गोरखपुर [सहजनवां], रामसमुझ शुक्ल 90 साल के युवा हैं। उनके लिए यही कहना ज्यादा मुनासिब होगा। इस उम्र में भी उन्हें हाथी की सवारी का शौक है। शादी विवाह का न्योता करने वह हाथी पर ही चढ़कर जाते है। उनका जज्बा बेजोड़ है। उन्होंने इलाके में एलान कर रखा है कि कोई उनसे पंजा लड़ाकर पराजित करे तो एक लाख रुपया इनाम देंगे। वे कहते है बुढ़ापा क्या है अभी तो उनके जीवन का बसंत शुरू हुआ है।
गोरखपुर के सहजनवां तहसील के महिउद्दीनपुर उर्फ तख्ता निवासी रामसमुझ का 35 सदस्यों वाला भरा पूरा परिवार है। उनके तीन बेटे हैं। जिनमें रामकृपाल शुक्ल 72 वर्ष, अछैबरनाथ शुक्ल 68 वर्ष व वृजेन्द्रनाथ शुक्ल 64 वर्ष के हो चुके हैं। उनकी आंखें बगैर चश्मा सबकुछ देख लेती हैं। आवाज खनकती हुई कड़क। सात नाती ,आठ पनाती तथा उनके परिवार के लोग उन्हे ही अपना मुखिया मानते है। बकौल रामसमुझ जवानी के दिनों में पहलवानी करते थे और लाठी भांजने के शौकीन रहे। वे कहते हैं मरते दम तक मेहनत करना नहीं छोड़ेंगे। मजदूरों के साथ खेत में काम करने के साथ-साथ ट्रैक्टर से बाजार करने सहजनवां जाते है। दरवाजे पर हाथी रखने और उसकी पूजा करने का उनका शौक देखने लायक है। छपरा से दो माह पूर्व एक हथिनी लेकर आए है जिसका नाम उन्होंने पवन कली रखा है। रामसमुझ गांव और आसपास के गांवों में अपनी पवनकली पर सवारी कर न्यौता करने जाते है।
दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास से भरे रामसमुझ साल में तीन-चार बार धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते है। वह रोजाना अपने परिवार के बच्चों व महिलाओं के साथ खेतीबारी के बाद कीर्तन कर समय बिताते है। जीतोड़ मेहनत के आदी रामसमुझ अपनी डेढ़ सौ बीघा की खेती की देखभाल खुद करते हैं। उन्हें दिन के वक्त मजदूरों के साथ कुदाल चलाते अक्सर देखा जा सकता है।
2 comments:
सुकल जी के प्रणाम अउर उनके जिंदादिली के सलाम।
अजूबे देखने में आते हैं। शतायु होने का विश्वास दिलाने को।
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