प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
# Leader
# Creative
# Progressive
आज मैं 84 साल का हूं और 40 साल से प्रदेश में काम कर रहा हूं। साल 1950 में मैं रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स कर जेब में 100 रुपए लेकर काम करने निकला था। शुरुआत झांसी से की और फिर 1958 में मैं मुरैना आ गया और अपना कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया। जापान से 55 करोड़ का लोन मिला रेल लाइन बिछाने के लिए। साल 1983 में रीवा आया रेल लाइन का काम करने के लिए।
लोगों ने मुझसे कहा- यह मुश्किल काम है। मैंने जीवन में एक ही चीज सीखी कि कोई काम यदि मुश्किल है और कोई न कह रहा हो तो वह जरूर करना चाहिए। मेरे लिए यह शगुन होता है और इससे पॉजीटिव एनर्जी मिलती है। इराक में 1979 में 250 करोड़ का काम निकला, मेरा टेंडर सबसे नीचा था। ग्रुप की बैलेंस शीट कम थी और बैंक से 20 करोड़ की गारंटी लेना थी। बैंक वालों ने मुझे बुलाया और मेरी हाइट और वजन देखकर तैश से देखा.. जब कोई तैश से देखता है तो मुझे अच्छा लगता है। आखिर मेरा काम हुआ। मुझे नहीं पता था कि मैं दुनिया में इतना जी पाऊंगा और इतना काम कर पाऊंगा। प्रदेश की जमीन काफी पवित्र है और मैं यहां 35 हजार करोड़ रुपए निवेश करूंगा।