Saturday, May 7, 2011

टिकेश्वरी

Source: दैनिक भास्कर , रीना पाल


रायपुर.परिवार के साथ आधे पेट भोजन करके सीजी बोर्ड की बारहवीं परीक्षा की मेरिट लिस्ट में पांचवें नंबर पर आने वाली टिकेश्वरी साहू की मदद करने दर्जनों हाथ आगे बढ़े हैं। इसमें से कई लोग ऐसे हैं, जो नाम तक गुप्त रखना चाहते हैं।

सबकी इच्छा यही है कि फैक्ट्री मजदूर की बेटी टिकेश्वरी खूब मन लगाकर बढ़े और सीए बनने के अपने सपने को पूरा करे। भास्कर में छपा अपना फोटो, हर तरफ से मिल रही तारीफ और सुबह से शाम तक घर पर मिलने आने वाले लोगों का सिलसिला।

भीड़ इतनी थी कि मां-पिताजी शनिवार को काम पर ही नहीं जा सके। घर में खाना तो बना, लेकिन खाने की भी फुरसत किसी को नहीं मिली। सारा कुछ उसे किसी परीकथा की तरह लग रहा है। ऐसा कुछ तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।

शनिवार को दिनभर टिकेश्वरी साहू को शनिवार को भी बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। साथ ही उसकी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य लोगों ने भी व्यक्तिगत तौर पर उसकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।

मदद करने वाले हर तरह के लोग हैं। उरला के एक उद्योगपति ने उसके शिक्षक को फोन करके सीए बनने तक की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने का भरोसा दिलाया है। आग्रह केवल इतना कि उद्योगपति का नाम कहीं नहीं आना चाहिए।

उद्योगपति ने भास्कर से इतना ही कहा कि वह चाहते हैं कि यह मेधावी छात्रा खूब पढ़े। पैसा उसके लिए समस्या नहीं होगा। तिल्दा में रहने वाले एक व्यक्ति ने भी टिकेश्वरी साहू के परिवार को पूरी मदद देने का प्रस्ताव दिया है।

शाम को बीरगांव के नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश देवांगन और पूर्व शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा के पुत्र पंकज भी छात्रा से मिलने घर पहुंच गए। हर तरह से आ रहे मदद के प्रस्तावों से छात्रा के अलावा उसके माता-पिता भी दुविधा में हैं। किसकी मदद लें, किसे विनम्रता से मना करें।

टिकेश्वरी ने बताया- शुक्रवार को रिजल्ट के बाद दिनभर गुरुजी के साथ मीडियाकर्मियों से बात कर-करके मेरी हालत खराब थी। घर आकर सोई तो सीधे सुबह 7 बजे नींद खुली। बहुत दिन बाद शुक्रवार की रात चैन से सोई। सुबह अपने टीचर के फोन से नींद खुली।

वे मुझे बता रहे थे कि तुम्हारा फोटो सारे पेपर में छपा है। घर में तो सारे अखबार आते नहीं, इसलिए छोटे भाई ने साइकिल उठाई और स्कूल गया। वहां से सारे पेपर लेकर आया। घर के सारे लोग अखबार ठीक से देख भी नहीं पाए थे कि लोगों के घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।

टिकेश्वरी पढ़ो, खूब पढ़ो

कोई अपने संस्थान में मुझे निशुल्क पढ़ाई के लिए बुला रहा है तो कोई भाई-बहन को पुरस्कार राशि देने की बात कर रहा है। रिजल्ट के दूसरे दिन करीब दर्जन भर लोगों ने मुझसे और मेरे मां-पिताजी से संपर्क कर कुछ ऐसी ही बातें कहीं। जब इतने लोग आगे आ रहे हैं तो जिस स्कूल में मैं पढ़ी वह कैसे पीछे रह जाता।

गुरुकुल स्कूल से मुझे 21 हजार रुपए पुरस्कार के रूप में दिए जाने की भी सूचना दी गई। कर्मचारी राज्य बीमा निगम श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक जीके डागर ने भी मेरी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।

श्री डागर ने कहा, मेरा बेटा सीए है और मैं बखूबी यह जानता हूं कि इस पढ़ाई में कितना खर्चा आएगा। मैं टिकेश्वरी के परिवार वालों से मिलूंगा, वह जैसी मदद चाहेंगे, मैं उस स्तर पर जाकर मदद करने के लिए तैयार हूं।

अभी भी लग रहा है सपना, आगे पढ़ाई की उम्मीद जागी

मीडिया वालों ने शनिवार को भी ढेरों सारे सवाल किए। यकीन नहीं हो रहा कि यह सच है या सपना, रिजल्ट आने के बाद से यह लाइन कितनी बार बोल चुकी हूं यह मुझे खुद को याद नहीं। लोग मुझे और मेरे परिवार को आर्थिक मदद देने की बात कर रहे हैं।

ऐसा हुआ तो मैं आगे की पढ़ाई तो कर ही सकूंगी, साथ ही मेरे घर की हालत भी सुधर जाएगी। मां-पिताजी पहले समझ नहीं पा रहे थे कि हो क्या रहा है। मैंने बताया कि वह लोग पैसे देने की बात कर रहे हैं, ताकि मैं आगे पढ़ सकूं। इस पर उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान तो आई, लेकिन इस बार भी वह ज्यादा कुछ नहीं कह सके।.

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बहुत अच्छी जानकारी दी आप ने टिकेश्वरी के बारे, यह बच्ची आगे की पढाई कर सके ओर एक अच्छी नागरिक बने यही शुभकामनाऎ हे हमारी