Sunday, May 31, 2009

याद आया

प्रस्तुति - इन्टरनेट से (मारी हुयी)

आज बिछड़ा हुआ एक दोस्त बहुत याद आया,
अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक्त बहुत याद आया,

कुछ लम्हे, साथ बिताए कुछ पल,
साथ मे बैठ कर गुनगुनाया वो गीत बहुत याद आया,

इक मुस्कान, इक हँसी, इक आँसू, इएक दर्द,
वो किसी बात पे हँसते हँसते रोना बहुत याद आया,

वो रात को बातों से एक दूसरे को परेशान करना,
आज सोते वक्त वही ख्याल बहुत याद आया,

कुछ कह कर उसको चिढ़ाना और उसका नाराज़ हो जाना,
देख कर भी उसका अनदेखा कर परेशान करना बहुत याद आया,

मुझे उदास देख उसकी आँखें भर आती हैं,
आज अकेला हूँ तो वो बहुत याद आया,

मेरे दिल के करीब थी उसकी बातें,
जब दिल ने आवाज़ लगाई तो बो बहुत याद आया,

मेरी ज़िन्दगी की हर खुशी मे शामिल उसकी मौजूदगी,
आज खुश होने का दिल किया तो वो बहुत याद आया,

मेरे दर्द को अपनानाने का दावा था उसका,
मुझ से अलग हो मुझे दर्द देने वाला बहुत याद आया,

मेरी कविता पर कभी हँसना तो कभी हैरान हो जाना,
सब समझ कर भी अन्जान बने रहना बहुत याद आया,

उन पुरानी तस्वीरों को लेकर बैठा हूँ आज,
फिर मिलने की उम्मीद देकर उसका अलविदा कहना बहुत याद आया

Monday, May 25, 2009

सुपर-30 के 48 छात्र आईआईटी में सफल

सूबे की प्रतिभाओं ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में पूरे देश को लोहा मनवा दिया है। इस बार भी यहां के सैकड़ों छात्रों ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता पायी है। पिछले कई वर्षो से सुपर 30 के नाम से मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिये मशहूर वरिष्ठ आईपीएस अभ्यानंद के 54 छात्रों में से इस बार 48 छात्रों को सफलता मिली है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि उनके रहमानी सुपर 30 शाखा के सभी दस अल्पसंख्यक बच्चों ने आईआईटी परीक्षा में सफलता पायी है। इनमें से अधिकांश बच्चों अथवा उनके परिजनों ने सपनों में भी आईआईटी की परिकल्पना नहीं की थी। इसी तरह फिटजी के 110 छात्रों ने इस प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता अर्जित किया है। इसके साथ ही राजधानी के अन्य दर्जन भर कोचिंग संस्थाओं व स्कूलों के सैकड़ों छात्रों ने इस प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता अर्जित कर सूबे का नाम रौशन किया है।

Wednesday, May 20, 2009

मौसमी सब्जियां

सलाद के पत्ते : ये पत्ते विटामिन ए,सी,ई और पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम और दूसरे खनिज तत्वों से भरपूर होते है। सलाद के पत्ते जितने हरे होगें, उतने पोषक तत्वों से भरपूर होगें। सलाद की पत्तियां चुनते समय देख ले कि वे ताजी और कडक हों। उन पर लगी मिट्टी और कीडों को पानी से धो कर साफ किया जा सकता है। लेकिन जो पत्तियां मुरझायी हुई हो या पीली पड गयी हों, उन्हें ना लें। पनीर और दूसरी ताजी-कटी सब्जियों के साथ इन सलाद के पत्तों को मिला कर खाना स्वास्थ्यकारी होता है। कम कैलोरीवाले इस सलाद को खाने से चौगुना फायदा होता है।
खीरा : खीरे का इस्तेमाल सलाद के रूप में करते है। यह क्षारीय और खनिज तत्वों से भरपूर होता है। इसमें पोटेशियम होता है, जो हाइ ब्लड पे्रशर के शिकार लोगों का ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है। खीरा खाने से खूब पेशाब आता है। यह अल्सर के इलाज में प्रभावकारी है।
मूली : नेचुरोपैथ इसे बहुत उपयोगी मानते हैं। इसमें विटामिन सी, सोडियम और कैल्शियम होने की वजह से यह पीलिया या कमजोर लिवर के रोगियों को खाने के लिए दी जाती है। इसकी तीखी गंघ होती है। अगर सलाद बनाते समय सब्जियों के साथ इसके पत्तों को भी मिला कर लिया जाए, तो इसकी गंघ कम हो जाती है।
शिमला मिर्च : लाल और हरी शिमला मिर्च विटामिन सी का बेहतरीन स्त्रोत हैं। सलाद बनाते समय इसे भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
करेला : सुबह खाली पेट 1 छोटा चम्मच कच्चे करेले का जूस लेने से ब्लड शुगर का स्तर तेजी से सामान्य हो जाती है। यह केवल डाइबिटीज से पीडित लोगों के लिए ही प्रभ्रावकारी नहीं हैं। चुंकि यह शरीर पर क्षारीय प्रभाव डालता है, इसलिए शरीर से विषैले तत्वों को भी बाहर निकालता है। करेले में कॉपर, आयरन और पोटेशियम होता है। इसे खाने का सबसे अच्छा तरीका यह है इन्हें प्रेशर कुकर में स्टीम दिलवाएं और फिर इसमें भरावन भर कर प्याज के साथ भून कर खाएं।
भिंडी : यह सब्जी विश्वभर में पसंद की जाती है। इसमें पेक्टोस होने की वजह से यह क्षारीय होती है और जिलेटिन की वजह से एसिडिटी, अपच के शिकार लोगों को ठंडक पहुंचाती है। जिन लोगों को पेशाब से संबंघित समस्याएं होती है, उन्हें डॉक्टर खासतौर से भिंडी खाने की हिदायत देते है।
पोदीना : पोदीने की पत्तियां कच्ची खाने से शरीर की सफाई होती है व ठंडक मिलती है। यह बहुत ही गुणकारी होता है। ताजा पोदीना एंजाइम्स से भरपूर होता है। यह पाचन में सहायता करता है। अनियमित मासिकघर्म की शिकार महिला के शारीरिक चक्र में प्रभावकारी ढंग से संतुलन कायम करता है। यह भूख खोलने का काम करता है। पोदीने की चाय या पोदीने का अर्क लिवर के लिए अच्छा होता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में बहुत ही उपयोगी डिटॉक्सीफायर का काम करता है। मेंथॉल ऑइल पोदीने का ही अर्क है और दांतो से संबंघित समस्याओं को दूर करने में और क्लोरीन होती है। इसका सबसे बेहतर इस्तेमाल इसे घनिए की पत्तियो के साथ चटनी के रूप में खाना हैं। इसे घनिए की पत्ती, प्याज, काले नमक और काली मिर्च के साथ चटनी के रूप में खाना सबसे अच्छा होता है। चाहें, तो सलाद बनाने के बाद उसे पोदीने की पत्तियों से सजा कर खाएं।
मशरूम : चाइनीज काले मशरूम को खाने से टयूमर नहीं होता। यहां मिलने वाले मशरूम भी खनिज तत्वों से भरपूर होते है मशरूम खासतौर से उन लोगों को खाने के लिए दिये जाते हैं, जिनके लिपिड और कोलेस्ट्राल में असंतुलन होता है।
बैगंन : बैगंन में पोटेशियम, सल्फर, क्लोरीन, थोडा-बहुत आयरन और विटामिन सी होता है। जो लोग वायु विकार के शिकार होते है, उन्हें बैगन खाने चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार आर्थराइटिस के रोगियों को इस सब्जी के अलावा आलू- टमाटर से परहेज करना चाहिए। बैंगन खाने से कोलेस्ट्राल कम होता है और खट्टी डकारे भी दूर होती है।
मटर : इसमें सल्फर, फास्फोरस, क्लोरीन और पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है। मटर ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। यदि इसे अनाज और दालों के साथ खाया जाए, तो इसके बेहतरीन परिणाम मिलते हैं। यदि केवल मटर को अघिक मात्रा में खाया जाए, तो यह पाचन के लिए अच्छा नहीं है। लिपिड को कम करने के लिए मटर एक अच्छी सब्जी है। इसे खाने से आवेरियन कैंसर नहीं होता।
सीताफल : यह खनिज तत्वों से भरपूर होता है। कच्चो सीताफल का रस विषैले तत्वों को बाहर निकालने, एसिडिटी दूर करने और वजन कम करने के लिए दिया जाता है। प्रोस्टेट की बीमारी के इलाज के लिए सीताफल क बीज खाने चाहिए। इसमें आयरन, मैगनीशियम, सेलेनियम और फास्फोरस होता है। जिन लोगों का पेट गरमी और मौसम में गडबडा जाता है, उनके लिए यह बहुत अच्छा है।
आलू : आलू सालभर मिलता है, लेकिन गर्मियों में इसकी खपत बढ जाती हहै। आलू में विटामिन सी और बी 6 पोटेशियम, फास्फोरस मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और रेशा होता है चुंकि ये अत्यघिक क्षारीय होते है, इसलिए इन्हें गर्मियों में खाना अच्छा होता है। इनके छिलकें एंटी ऑक्सीडेंट ये भरपूर होते है, इसलिए इन्हें छील कर नहीं खाना चाहिए। इन्हें उबाल कर या भून कर खाना अच्छा होता है, क्योकि तब इसके विटामिन और खनिज तत्व अघिक मात्रा में बरकरार रहते है। युरिक एसिड बढने पर कच्चे आलू का जूस पीना चाहिए।
लौकी, तोरी और टिंडा : ये सब्जियां खनिज तत्वों से भरपूर होती है। क्षारीय होने के कारण शरीर को ठंडक पहुंचाती है। अकसर हम इन्हें खाना पसंद नहीं करते, पर ये बहुत फायदेमंद होती है। इन्हें अपने भोजन में शामिल करने के लिए इन्हें बनाने की नयी - स्वादिष्ट रेसिपी मालूम करें। कश्मीरी डिश यखनी बनाने के लिए लौकी को बडे टुकडों में काट कर दही में पका कर खाएं।
हरे बींस, फ्रेंच बींस और फ्लैट बींस : हरे बींस कॉपर मैगनीज, जिंक, मैगनीशियम और सोडियम से भरपूर होत है। ये सभी खनिज शरीर के लिए जरूरी होते है। हरे बींस फाइबर से भरपूर होत्रे है, जो कोलेक्ट्रॉल को कम करने में मददगार होते है। अघिकतर हरी सब्जियां कैरोटिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन से भरपूर होती है।
प्याज : प्याज बहुत ही उपयोगी सब्जी है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते है। यह खूनसे विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। इसकी सब्जी बना कर खाने से बुखार, कफ और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। पुराने जमाने में इजिप्शियन नियमित रूप ये प्याज और लहसुन खाते थे सल्फर की वजह से इनसे तीखी गंघ आती है। कच्चा प्याज खाने से अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढता है। प्याज और अदरक का रस आस्थमा के रोगियों के लिए अच्छा होता है। प्याज खाने से खून पतला होता है और लिवर की बिमारियों के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्याज खाने के बाद मुंह से गंघ आने लगती है, लेकिन पोदीन की पत्तियां खाने से इस गंघ को दूर किया जा सकता है।
टमाटर : दिन में रोज एक टमाटर खाएं और बीमारियों को दूर भगाएं। टमाटर विटामिन ए,सी, फोलेट, पोटेशियम, फाइबर ओर दुसरे सभी तरह के सुरक्षात्मक एंटी ऑक्सीडेंट बहुतायत में मिलते है। इसे खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है और प्रतिरोघक क्षमता बढती है, जिससे कोल्ड ओर फ्लू नहीं होता। टमाटर प्राकृतिक सनस्क्रीन का भी काम करता है। इसे खाने से घमनियों और दिल के रोग की समस्याएं नहीं होती। यह बढती उम्र को रोकने में मददगार फ्री रेडिकल्स लाइकोपेन और बीटा कैराटिन से भरपूर होते है। अगर टमाटरों को थोडा गरम करके या फिर थोडी सी चिकनाई के साथ खाया जाएं, वो यौवन को संरक्षण प्रदान करनेवाले पोषक तत्वों में इजाफा होता है।

Tuesday, May 19, 2009

सुभा होटल अशोका लेक व्यू की पहली महिला जीएम

प्रस्तुति = दैनिक भास्कर
‘आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, लेकिन काम के चलते उन्हें अपनी ड्यूटी, मॉरल वेल्यू और फैमिली वेल्यू कभी नहीं भूलना चाहिए।’ यह कहना है होटल लेक व्यू अशोका की पहली महिला जनरल मैनेजर सुभा लक्ष्मी बागची का। भुवनेश्वर से ट्रांसफर होकर हाल ही में भोपाल पहुंची श्रीमती बागची मानती हैं कि समाज में कामकाजी महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी होती है, इसलिए उन्हें परिवार और जॉब साथ को लेकर चलना आना चाहिए।
सास-ससुर बने प्रेरणा: उड़ीसा की रहने वाली सुभा बताती हैं कि 1984 में उन्होंने इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉपोरेशन (आईटीडीसी) में सीनियर हाउस कीपर के पद से करियर की शुरुआत की। उसी दौरान उनकी शादी हो गई। पति नौकरी करवाना नहीं चाहते थे, लेकिन सास-ससुर ने पूरा सहयोग किया।
उन्होंने साफ कह दिया कि उनकी बहू नौकरी जरूर करेगी। उस प्रेरणा ने ही लक्ष्य को तय करने में मदद की। नौकरी के दौरान हमेशा अपनी जिम्मेदारी को समझा और उनका निर्वाह किया। यह कभी नहीं सोचा कि तरक्की का क्या होगा। शायद वही मेहनत आज जीएम के पद तक लाई है।
परिवार के साथ जॉब मुश्किल नहीं : यह सही है कि कामकाजी महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी होती है, लेकिन उन्हें इस जिम्मेदारी को समझदारी से निभाना आना चाहिए। पति नागपुर में बैंक ऑॅफ इंडिया में सिक्योरिटी ऑफिसर हैं और बेटा बेंगलुरू में कैमिकल इंजीनियर, लेकिन उसके बाद भी परिवार के सभी सदस्य छुट्टियों में तालमेल बनाकर डेढ़ महीने में एक बार जरूर मिलते हैं, साथ ही फोन पर हमेशा टच में रहते हैं।
करना है कुछ बदलाव: होटल अशोका लेक व्यू में जगह बहुत है, लेकिन उसके मुकाबले में हरियाली बहुत कम। इस मानसून में यहां हरियाली बढ़ाने के लिए विशेष योजना तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि यह भोपाल का सबसे ज्यादा हरे-भरे होटल के तौर पर पहचाना जाएगा।
बड़ी झील हो लबालब : भुवनेश्वर से जब भोपाल तबादला हुआ, तो ज्यादातर लोगों से भोपाल ताल के बारे में सुना था, लेकिन यहां आकर पता चला कि ताल का हाल बहुत अच्छा नहीं है। अब तो ईश्वर से यही दुआ है कि इस बार मानसून में ताल फिर लबालब हो जाए।
लड़कियां हों आत्मनिर्भर
आज जमाना बदल गया है, अब अभिभावक खुद लड़कियों की शिक्षा में रुचि लेने लगे हैं, लेकिन लड़कियों को भी चाहिए कि वे आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरी लगन और मेहनत से तैयारी करें। तभी महिलाओं का संपूर्ण विकास हो सकेगा।

Saturday, May 9, 2009

लंदन से प्यारा हमारा इंदौर


मेरा सपना था कि विदेश में अपना करियर बनाऊं। बचपन से लंदन जाने की इच्छा थी लेकिन इसके लिए मुझे काफी संघर्ष करने पड़ा। परिवार का सहयोग मिला तो आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाने की हिम्मत जुटा पाई।
वहां सबसे ज्यादा मुश्किल रहा पढ़ाई के पैटर्न को समझना इसके अलावा लैग्वेंज की प्रॉब्लम तो थी ही। लंदन में पढ़ाई का माहौल बिलकुल अलग था इसलिए शुरुआत काफी संघर्षो भरी रही। घर से पहली बार परदेश आई थी, होम सिकनेस होती थी। हमेशा घर याद आता था, ऐसे हालात में जॉब भी ढूंढ़ना था जो आसान नहीं था। सारी तकलीफों के बीच खुशी के पल वही थे जब घरवालों से कुछ देर बात कर लेती थी।
इसी तरह मेरा संघर्ष जारी रहा और बाहर रहना सीख गई। लंदन में कुछ महीने गुजारे तो देखा वहां के लोग भी हमारे जैसे ही हैं, सभी का हैल्पिंग नेचर देख मुझे वह देश भी अपने देश जैसा लगने लगा। फिर भी मेरा इंदौर तो लंदन से प्यारा है। पढ़ाई पूरी होने के बाद पापा-मम्मी ने मुझे वापस इंदौर आने के लिए कहा मगर इस बीच मुझे जॉब मिल गया। अब मैं हीथ्रो एयरपोर्ट में टेक्निकल इंजीनियर के पद पर जॉब कर रही हूं।
अब और आगे बढ़ना है, लंदन में रहते हुए जो आत्मविश्वास आया है वह आगे प्रोग्रेस करने में बहुत काम आएगा। इस कॉलम के माध्यम से कहना चाहती हूं कि अगर आपको बाहर नौकरी का अवसर मिले तो सिर्फ यह सोचकर न रुक जाएं कि अकेले कैसे काम करेंगे। जब तक आप सेफ जोन से बाहर नहीं आएंगे, संघर्ष करना नहीं सीख सकते। खुशबू फिलहाल इंदौर में ही है।
वैसे तो घर से निकलते ही विदेश चालू हो जाता है जहाँ अपनापन मिले वही देश, न मिले तो वही विदेश

Friday, May 1, 2009

उम्र नब्बे साल, करते हैं हाथी की सवारी

प्रस्तुति दिनेश कुमार कसेरा।
गोरखपुर [सहजनवां], रामसमुझ शुक्ल 90 साल के युवा हैं। उनके लिए यही कहना ज्यादा मुनासिब होगा। इस उम्र में भी उन्हें हाथी की सवारी का शौक है। शादी विवाह का न्योता करने वह हाथी पर ही चढ़कर जाते है। उनका जज्बा बेजोड़ है। उन्होंने इलाके में एलान कर रखा है कि कोई उनसे पंजा लड़ाकर पराजित करे तो एक लाख रुपया इनाम देंगे। वे कहते है बुढ़ापा क्या है अभी तो उनके जीवन का बसंत शुरू हुआ है।
गोरखपुर के सहजनवां तहसील के महिउद्दीनपुर उर्फ तख्ता निवासी रामसमुझ का 35 सदस्यों वाला भरा पूरा परिवार है। उनके तीन बेटे हैं। जिनमें रामकृपाल शुक्ल 72 वर्ष, अछैबरनाथ शुक्ल 68 वर्ष व वृजेन्द्रनाथ शुक्ल 64 वर्ष के हो चुके हैं। उनकी आंखें बगैर चश्मा सबकुछ देख लेती हैं। आवाज खनकती हुई कड़क। सात नाती ,आठ पनाती तथा उनके परिवार के लोग उन्हे ही अपना मुखिया मानते है। बकौल रामसमुझ जवानी के दिनों में पहलवानी करते थे और लाठी भांजने के शौकीन रहे। वे कहते हैं मरते दम तक मेहनत करना नहीं छोड़ेंगे। मजदूरों के साथ खेत में काम करने के साथ-साथ ट्रैक्टर से बाजार करने सहजनवां जाते है। दरवाजे पर हाथी रखने और उसकी पूजा करने का उनका शौक देखने लायक है। छपरा से दो माह पूर्व एक हथिनी लेकर आए है जिसका नाम उन्होंने पवन कली रखा है। रामसमुझ गांव और आसपास के गांवों में अपनी पवनकली पर सवारी कर न्यौता करने जाते है।
दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास से भरे रामसमुझ साल में तीन-चार बार धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते है। वह रोजाना अपने परिवार के बच्चों व महिलाओं के साथ खेतीबारी के बाद कीर्तन कर समय बिताते है। जीतोड़ मेहनत के आदी रामसमुझ अपनी डेढ़ सौ बीघा की खेती की देखभाल खुद करते हैं। उन्हें दिन के वक्त मजदूरों के साथ कुदाल चलाते अक्सर देखा जा सकता है।