Monday, December 12, 2011

मिलावट

प्रस्तुति - ZeeNews, संजीव कुमार दुबे

दूध में पानी मिलाने की बात अब काफी पुरानी हो चुकी है। अब जेहन में यही सवाल बार-बार आता है कि आज की तारीख में बाजार में ऐसा क्या बिकता है, जो शुद्ध हो, जिसमें मिलावट न हो, जिसकी शुद्धता पर कोई सवाल न उठता हो। गौर करें तो शायद ही ऐसी कोई चीज हो जिसके बारे में हम यह दावे और बड़े इत्मीनान से कह सकें कि अमुक चीज में मिलावट नहीं है। दूध और घी में मिलावट की बात पुरानी हो चुकी है। अब तो मिनरल वाटर में भी मिलावट करना शुरू कर दिया गया है।

पर्व-त्यौहारों के करीब आते ही आप ऐसी खबरों से दो-चार होते हैं। त्यौहार शुरू होते ही मिलावटखोरों का बाजार गर्म हो जाता है। आप सुनते है कि मावा, खोया में अमुक जगह पर मिलावट हो रही थी, मिलावटी रैकेट पकड़ा गया, हजारों टन नकली पनीर बरामद हुआ। यह सब इतना बताने के लिए काफी है कि आप लाख अपनी सेहत के मामले में ऐहतियात बरतें, मिलावटखोरों को इसकी चिंता नहीं। उन्हें अपने मुनाफे की चिंता है आपके सेहत की नहीं। अगर आपका सेहत उनके लिए मायने रखता तो मिलावट जैसा अपराध हरगिज नहीं होती। मिलावट भी ऐसा कि उसे सुनकर सहज ही यकीन करना मुश्किल होता है।

बाजारों में मिलने वाले खाद्य पदार्थों में हल्दी में रंग, काली मिर्च में पपीते का बीज, लाल मिर्च में ईंट का चूर्ण, दाल-चावल में कंकड़, सरसों के तेल में केमिकल, घी में पशुओं की चर्बी तक मिलावटखोर मिला देते हैं। दूध को आयुर्वेद में संपूर्ण आहार कहा गया है और उसमें भी खूब मिलावट हो रही है। दूध में कॉस्टिक सोडा, डिटरजेंट, यूरिया, साबुन, चर्बी और तेल के साथ एसेंस मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। सरसों के तेल में आर्जीमोन और बिनौले के बीज की मिलावट की जाती है। देशी घी में चर्बी मिलाने की बातें सामने आती हैं।

मिलावट का सेहत पर मंडराता खतरा
जानकारों के मुताबिक, मिलावट के इस्तेमाल से हमारा खाना इतना खतरनाक हो चुका है कि लोगों को इससे कैंसर और जेनेटिक डिसऑर्डर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ये बीमारियां जंक फूड और रोज के खाने-पीने की चीजों में हो रही मिलावट की वजह से हो रही है।

फसल बढ़ाने के लिए और उसे खाने के लिए लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए पेस्टीसाइड का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। फल और सब्जियों में भारी मात्रा में डीजीटी मिलाया जा रहा है, जो पुरुषों में स्पर्म काउंट्स को कम कर रहा है। इसके साथ ही महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ा रहा है। सब्जी को हरा रंग देने के लिए प्रयोग किए जाने वाला मेलेकाइट ग्रीन लीवर, आंत, किडनी सहित पूरे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। मेलेकाइट ग्रीन का अधिक सेवन पुरुषों में नपुंसकता और औरतों में बांझपन का भी कारण बन सकता है। यह कैंसर की वजह भी बन सकता है।

मिलावट की जांच के कुछ तरीके
दूध में ज्यादातर पानी, यूरिया, सर्फ, स्टार्च आदि चीजों की मिलावट की जाती है। इसमें मिलावट की जांच के लिए लैक्टोमीटर इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर लैक्टोमीटर 30 यूनिट से ज्यादा डूब जाता है, तो इसका मतलब दूध में पानी या पाउडर मिला हुआ है।

यूरिया का पता लगाने के लिए टेस्ट ट्यूब में 5 मिली दूध लें और उसमें ब्रोमोथाइमोल ब्लू का घोल डालें। 10 मिनट बाद, अगर उसमें नीला रंग दिखाई देता है, तो इसका मतलब दूध में यूरिया मिला हुआ है। इसके अलावा, आप दूध में आयोडीन सल्यूशन की कुछ बूंदे डालें। अगर दूध का रंग नीला हो जाता है, तो समझ जाइए उसमें मिलावट की गई है।

आइसक्रीम में वॉशिंग पाउडर और सैकरीन की मिलावट की जाती है। इसकी जांच के लिए आइसक्रीम में थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाएं। वॉशिंग पाउडर होने की स्थिति में इसमें झाग बनने लगेगा। अगर सैकरीन की मिलावट की गई है तो आइसक्रीम का टेस्ट शुरू में बहुत मीठा लगता है, लेकिन बाद में काफी कड़वा स्वाद महसूस होता है।


चीनी में चॉक पाउडर की मिलावट की जाती है। इसकी जांच करने के लिए एक गिलास पानी में 10 ग्राम चीनी मिलाएं। उसे 2 मिनट तक बिना हिलाए रख दें। अगर तली में कुछ सफेद पदार्थ आता है तो वह चॉक पाउडर है।

शहद में पानी और चीनी के घोल की मिलावट की जाती है। इसकी जांच के लिए रुई को शहद में भिगो लें और आग लगा दें। यह पूरी तरह जल जाए, तो शहद शुद्ध है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मिलावट की गई है। चीनी के घोल की मिलावट होने पर यह जलते हुए कड़-कड़ की आवाज करेगा। दूसरा तरीका है कि शहद की कूछ बूंदों को एक पानी भरे ग्लास में गिराएं। अगर शहद की बूंदें बिना इधर-उधर बिखरे सीधे तलछट में जाकर बैठ जाए तो इसका मतलब हुआ शहद बिल्कुल शुद्ध है।

कॉफी में भी चिकोरी की मिलावट की जाती है। इसकी जांच के लिए एक गिलास पानी लें। उसके ऊपर कॉफी के सैंपल को थोड़ा सा छिड़कें। शुद्ध कॉफी पानी के ऊपर तैरती रहेगी, लेकिन चिकोरी कुछ ही सेकंड में पानी में डूबने लगेगी। जब आप सतह को थोड़ा तिरछा करेंगे, तो वह कैरेमल की वजह से रंग भी छोड़ेगी।

चाय पत्ती में रंग वाली पत्तियां और इस्तेमाल की गई चाय पत्ती मिलाई जाती है। इसकी जांच के लिए रंग वाली चाय पत्ती को अगर आप सफेद कागज पर रगड़ेंगे, तो यह रंग छोड़े। वहीं गीले फिल्टर पेपर पर मिलावटी चाय पत्ती छिड़कने पर वह गुलाबी लाल रंग का दाग छोड़ेगी।

लाल मिर्च में ईँट के बुरादे की मिलावट की जाती है। इसकी जांच के लिए 2 ग्राम लाल मिर्च को टेस्ट ट्यूब में डालें और उसमें 5 मिली एसीटोन मिलाएं, अगर तुरंत लाल रंग दिखाई दे, तो इसका मतलब इसमें ईंट का बुरादा मिलाया गया है। पानी में मिलाने पर ईंट का बुरादा नीचे बैठ जाएगा।

कई रोगों में गुणकारी हल्दी में पीले रंग की मिलावट की जाती है। इसकी जांच करनी होत तो पानी में मिलाई हुई हल्दी का थोड़ा-सा हिस्सा अलग कर लें। उसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें मिलाएं। अगर तुरंत उसका रंग बैंगनी हो जाए, तो इसका मतलब रंग मिलाया गया है।

काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाए जाने की बात सभी जानते हैं लेकिन इसकी जांच करनी हो तो काली मिर्च के कुछ दाने अल्कोहल में मिलाएं। काली मिर्च नीचे बैठ जाएगी, पपीते के बीज और हल्की काली मिर्च उसके ऊपर आ जाएंगी।

हींग में सोप स्टोन और मिट्टी की मिलावट की जाती है। इसे जांचना हो तो इसमें भी पानी में मिलाएं और थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। सोप और मिट्टी नीचे तल में बैठ जाएंगी। नमक में वाइट पाउडर स्टोन या शैलक्री की मिलावट की जाती है।

इसकी जांच करनी हो तो पानी में एक चम्मच नमक मिलाएं। नमक से पानी का रंग सफेद नहीं होता. मिलावट होने पर पानी का रंग सफेद होगा। बाकी मिलावट नीचे सतह पर रह जाएगी।

आलू, शकरकंदी की जांच करने के लिए घी में कुछ बूंदे आयोडीन की डालें। जब भूरा आयोडीन अपना रंग बदलकर नीला हो जाए, तो यह घी में मिलावट का संकेत है।


मिलावट पर सजा का प्रावधान
इस कानून के तहत दोषी को कम-से-कम छह महीने की कैद और 1,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। अगर किसी चीज के खाने से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो कम-से-कम तीन साल की कैद से लेकर उम्रकैद तक की सजा भी हो सकती है। साथ ही 5,000 रुपये या उससे ज्यादा जुर्माना भी हो सकता है।

मिलावट रोकना तो हमारे हाथ में नहीं है लेकिन कुछ एहतियात ऐसे है जिसका सहारा लेकर मिलावटी पदार्थ को जांच-परख कर उससे बचा जा सकता है, सजग रहा जा सकता है। अपनी सेहत की हिफाजत करनी है तो कुछ न कुछ करना तो होगा ही। हम थोड़ी कोशिश कर मिलावट की जांच कर सकते हैं और मिलावटी पदार्थ से बचने की सजगता भी बरत सकते हैं। पश्चिमी देशों में मिलावट पर बने कानून काफी सख्त हैं, लेकिन हमारे देश में लचर कानून मिलावट के दलालों को बच निकलने का मौका देता है।

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