Thursday, March 8, 2012

संघर्ष को सलाम

Source: dainik bhaskar news

भोपाल। मेरी आवाज मेरी पहचान : शुभ्रा खरे, उद्घोषक

8 साल बाद एंकरिंग की दुनिया में लौटीं, फिर पाया मुकाम बनाई पहचान
शुभ्रा खरे ने लगभग 8 साल बाद एंकरिंग दोबारा शुरू की। वें एमए प्रीवियस की पढ़ाई कर रही थीं, उसी दौरान शादी और फिर बेटियों ऐश्वर्या और समृद्धि के हो जाने के कारण जॉब छोड़ना पड़ा। पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलता पूर्वक निभाने के बाद एक बार फिर उन्होंने माइक को थामा। टीवी और आकाशवाणी में संचालन का दायित्व निभाया। सफर थोड़ा कठिन था, आठ सालों में संचालन की दुनिया बदल
चुकी थी।

कोशिश : परिवार और हॉबी एक साथ..
माइक पर सधे हुए शब्द और सम्मोहक आवाज के कारण शुभ्रा एक बार फिर आकाशवाणी पर अपनी आवाज और प्रस्तुतिकरण के अंदाज से जादू बिखेर रही हैं। शुभ्रा ने बेटियों के पालनपोषण के कारण एमए प्रीवियस की पढ़ाई के बाद ब्रेक लिया और लंबे समय बाद एमए फाइनल किया।


फैमिली सपोर्ट मेरी स्ट्रेंथ : डॉ. लता सिंह मुंशी, नृत्यांगना

3 साल बाद लौटीं अब एमएलबी गल्र्स कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ. लता सिंह मुंशी प्रख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना और एमएलबी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. लता ने बताया कि 1998 में मुझे भारत सरकार के द्वारा चाइना में इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल में परफार्म करने का मौका मिला। उसी दौरान मैं प्रेग्नेंट थी। मैंने उस शो को छोड़ दिया। क्योंकि मुझे ईश्वर की अनुपम कृति मां बनने का सौभाग्य प्राप्त करना था। मुझे हाइपोथायराइड था। बहुत मुश्किल से बेटा यमन हुआ।

इरादा : जो चाहा वो कर पाई
डॉ. लता बताती हैं मैंने तीन साल तक अपने डांस के करियर को छोड़ दिया। उसके बाद मैंने पति श्याम जी के सपोर्ट से अपनी डांस की प्रेक्ट्सि शुरू की। मैंने पैसों के लिए नहीं बल्कि खुद की पहचान बनाने के लिए दोबारा करियर को चुना। फिर सें भरतनाट्यम शुरू किया, आज बेहद खुश हूं।


5 साल बाद मिली स्पीड : अपराजिता अग्रवाल, क्रिएटिव हेड

5 साल बाद लौटी एड एजेंसी के प्रोफेशन में, जाना माना नाम बन चुकी हैं
अपराजिता अग्रवाल ने अपनी विलपावर से न केवल एक्सीडेंट के बाद रिकवर किया, बल्कि एड कंपनी में क्रिएटिव हेड के रूप में काम कर रही हैं, साथ ही पत्नी, मां और कारपोरेट वुमन के रूप में बेतहर तालमेल के साथ सफलता हासिल कर रही हैं। अपराजिता ने बताया कि 1995 में एमए गोल्ड मैडलिस्ट होने के बाद मैं एमफिल कर रही थीं तभी मेरा एक्सीडेंट हो गया। बड़ी मुश्किल से रिकवर हुआ। फैमिली के सपोर्ट ने मुझे ताकत दी।

विश्वास : भरोसे की जीत
वे बताती हैं मैंने बेटी शिवानी और अदित्रि के जन्म के समय ब्रेक लिया। दोनों बार मैं अलग प्रोफाइल में काम कर रही थी। एक में जॉब एक में बिजनेस वुमन। उसके बाद क्रिएटिव आर्ट में रूचि होने के कारण एडवरटाइजमेंट की फील्ड में आई। वहां डिजाइनिंग में क्रिएटिव हेड हूं।


बैलेंस फैमिली एंड प्रोफेशन : श्वेता जोशी (शर्मा), शिक्षिका

2 साल बाद लौटी अब फैशन टेक्नोलॉजी में लेक्चरॉर पोस्ट पर हैं
श्वेता जोशी (शर्मा) ने कॉस्ट्यूम टेक्नोलॉजी एंड ड्रेस मेकिंग में पढ़ाई करने के बाद 2006 में वूमेंस पॉलीटेक्निक कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के रूप में जॉब जॉइन किया। लेकिन 2009 में प्रेगनेंसी की वजह से ब्रेक लिया। दो साल ब्रेक लेने के बाद फिर फैशन टेक्नोलॉजी में लेक्चरार के रूप में काम कर रही हैं। परिवार और टीचिंग में बैलेंस बिठाते हुए अपने दायित्व का सफलता पूर्वक निर्वहन कर रही श्वेता जोशी (शर्मा) एक मिसाल हैं।

मेहनत न थकीं न रुकीं
वे कहती हैं जॉब में ब्रेक लेने की वजह से एजुकेशन को ब्रेक नहीं किया। मैंने एमएसी न्यूट्रीशियन में किया। डाइटीशियन का कोर्स किया। अब बेटा ढाई साल का है। मैं जॉब कर रही हूं। साथ ही एमएससी टेक्सटाइल के बाद पीएचडी भी करूंगी, ताकि अपने बच्चों को भी बेहतर गाइड कर सकूं।

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