प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
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पटना. नाम यदुवेंद्र किशोर सिंह, पिता अवध किशोर सिंह। उम्र 29 वर्ष। विक्टोरिया बॉयज स्कूल, दार्जिलिंग से वर्ष 2002 में मैट्रिक। एयरफोर्स स्कूल, नई दिल्ली से इंटरमीडिएट (2004। क्राइस कॉलेज बेंगलुरु से स्नातक (2007) और ईडीआई, अहमदाबाद से 2008 में पोस्ट ग्रेजुएट डिघ्लोमा इन बिजनेस इंटरप्रन्योर मैनेजमेंट की पढ़ाई की। मल्टीनेशनल कंपनियों में लाखों रुपए का ऑफर ठुकरा कर आज समेकित खेती कर रहे हैं।
मधुबनी जिले के फूलपसरास प्रखंड के खुटौना गांव में यदुवेंद्र ने 7.5 एकड़ में पांच तालाब बनवाया है। जलजमाव वाले इस क्षेत्र में कुछ नए तालाब भी बनवाए, जबकि कुछ पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार भी करवाया है। इस वर्ष तालाब में इंडियन कार्प मछली का बीज डाला है। साथ ही 100 आम के पौधे लगाए। 10 गाय रखे हैं। धान, गेहूं, सरसो और अरहर की खेती भी कर रहे हैं। इस प्रकार समेकित खेती की शुरुआत की है।
लोगों ने माना लोहा
प्रबंधन की पढ़ाई के बाद नौकरी ठुकरा खेती करने जब गांव आए, तो लोग हंस रहे थे। कई लोगों ने कहा- दिमाग फिर गया है। अब लोग समेकित खेती में इनके कुशल प्रबंधन का लोहा मानने लगे हैं। मछलीपालन, बागवानी, पशुपालन और सामान्य खेती से प्रतिवर्ष कम से कम 25 लाख रुपए शुद्ध मुनाफा होने की उम्मीद है।
आत्म संतुष्टि के लिए कर रहे खेती
यदुवेंद्र की योजना है कि समेकित खेती में राज्य का यह महत्वपूर्ण मॉडल बने। इसे किसानों के समेकित खेती का प्रशिक्षण केंद्र बनाने का लक्ष्य है। मधुबनी सहित राज्य के किसानों को कम खर्च में अधिक लाभ के लिए समेकित खेती का मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित करना भी उनका लक्ष्य है। धान और गेहूं की खेती के लिए श्रीविधि तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को वे प्रेरित करते हैं।