Tuesday, March 10, 2015

नौ में से आठ विषय में था फेल, पाया 12 लाख का पैकेज

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर

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इंदौर. शहर के एक स्टूडेंट को दुबई की एक कम्पनी ने 12 लाख का पैकेज ऑफर किया है। आईआईएम को छोड़कर मैनेजमेंट स्टूडेंट्स अमूमन ऐसा पैकेज शुरुआत में तो नहीं पाते। रेनेसां कॉलेज से ग्रेजुएशन और इंदौर इंदिरा से पीजी करने वाले इस स्टूडेंट की सक्सेस से सभी इम्प्रेस्ड हैं। हालांकि इस सक्सेस के बैकग्राउंड में एक ऐसी कहानी है जो इस स्टूडेंट के हमउम्र युवाओं के लिए मिसाल है। सागर कहते हैं मेरी नौ में से आठ सब्जेक्ट्स में एटीकेटी आ गई, गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया, रूममेट्स ने पिटाई कर दी और दोस्त यारों ने बायकॉट कर दिया। मुझे लग रहा था अब सब खत्म... लेकिन दोस्तों! यकीन मानो जहां आप खत्म समझते हैं, वहीं जिंदगी आपको एक नई शुरुआत करने का मौक़ा देती है। इसे पहचान लो और आगे बढ़ जाओ। पढ़िए इस सक्सेस के पीछे की कहानी

नौ में से आठ विषय में था फेल, मेहनत से टॉपर बना और पाया 12 लाख का पैकेज

'23 साल का एक लड़का। नाम है सागर गर्ग। साधारण रहन-सहन, देखने में भी सादा ही। भीड़ में अलग नज़र आने जाने जैसा कुछ नहीं। कोटा से इंदौर आया पढ़ने। पिता बिज़नेसमैन। संयुक्त परिवार में रहते हैं। चचेरे भाइयो में ज्यादातर आईआईटी से पढ़े व लाखों का पैकेज पाने वाले और कभी 60 प्रतिशत मार्क्स से ज्यादा न पानेवाला सागर इंदौर से बी.कॉम ऑनर्स कर रहा था। हालांकि यहां सागर ने ग्रेजुएशन में तीनों साल मेडल्स पाए। शहर में दोस्ती यारी हो गई। अब पीजी भी इंदौर में ही शुरू हुआ। फिर सागर की दोस्ती साथ पढ़नेवाली एक लड़की से हुई। दोनों खास दोस्त बने। सब कुछ यूं ही अपनी गति से चल रहा था, लेकिन फिर कहानी में ट्विस्ट आया। लड़की से अलगाव हो गया। सागर ने उसे बहुत बुरा भला कहा और इस वजह से सभी दोस्तों ने बायकॉट कर दिया। सागर की परफॉर्मेंस खराब होने लगी। सागर ने कॉलेज जाना भी छोड़ दिया। मैनेजमेंट ने डीबार कर दिया। फिर पीजी सेकंड इयर के रिज़ल्ट में नौ में आठ सब्जेक्ट्स में एटीकेटी आ गई। सागर को लगा अब कॅरियर खत्म, लेकिन टीचर्स के सपोर्ट और मोटिवेशन से वह फिर उठा, मेहनत की और एटीकेटी एक्ज़ाम सभी सब्जेक्ट्स में 90 से ऊपर मार्क्स लाकर बैच का टॉपर बना। कैम्पस प्लेसमेंट में भी उसे 12 लाख का पैकेज ऑफर किया गया।'
टीचर्स और पैरेंट्स के प्रेम को परखना सबसे बड़ी भूल 
मैं आज जो कुछ भी हूं अपने टीचर्स और कुछ साथियों के सपोर्ट से हूं। ऐसा नहीं है कि मैंने ग़लतियां नहीं की। अपनी फ्रेंड के साथ जब मेरा झगड़ा हुआ तब मेंने बहुत खराब लैंग्वेज में उससे बात की। हालांकि मैंने उससे माफी भी मांगी। मुझ पर एक और प्रेशर था कि फेल होकर लौट गया तो डैड के मुझे इंदौर भेजने के फैसले पर लोग हंसेंगे। मैं हार गया था, लेकिन मेरे गाइड स्वप्निल कोठारी की हेल्प से मैं इससे उबर पाया। आज मैं अर्बन गुमटी की मार्केटिंग टीम में हूं। हाथ में एक अच्छी जॉब है। इससे यह निचोड़ निकाल पाया कि गुरु और माता पिता के आपके प्रति प्रेम और समर्पण पर शक मत करो। उसे परखो मत।


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