कुष्ठ रोग के कारण सीतापुर की शिवरानी को ससुराल से निकाल दिया गया। पति भी अलग रहने लगा। पेट भरने के लिए उसे भीख मांगनी पड़ी, लेकिन अब शिवरानी की जिंदगी बदल गई है। बीमारी पीछे छूट चुकी है।
-लिंब सेंटर में ही भर्ती सत्तर वर्षीय परमात्मा की दास्तां भी शिवरानी जैसी ही है। पंद्रह वर्ष पहले कुष्ठ रोग का शिकार क्या हुए, सभी ने अछूत घोषित कर दिया। एक मंदिर में पनाह मिली। यहां भी उनके प्रति लोगों का रवैया कुछ अलग नहीं था, पर अब सब कुछ पहले जैसा हो गया है। बीमारी गायब हो चुकी है। दोस्त-रिश्तेदार नियमित तौर पर हालचाल लेने आ रहे हैं।
लिंब सेंटर में इस समय इलाज करा रहे शिवरानी, परमात्मा, सुरेश, ममता उन कुष्ठ रोगियों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जिनके जीवन में लिंब सेंटर के प्रोफेसर डा. एके अग्रवाल के प्रयास से उजाला आ चुका है। इसकी प्रेरणा कहां से मिली? डा. अग्रवाल बताते हैं कि पांच वर्ष पहले पत्नी के देहांत के बाद उन्होंने गरीब मरीजों की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। गांव-देहात जाकर नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाए। दो वर्ष पहले ओपीडी में इलाज के लिए आए एक कुष्ठ रोगी की व्यथा देखी, तो ऐसे मरीजों के पुनर्वास को अपने जीवन का ध्येय बना लिया। पत्नी के नाम पर 'स्नेह फाउंडेशन' नामक संस्था बनाई, जिसमें अपने सभी नाते-रिश्तेदारों को प्रतिमाह पांच सौ से एक हजार रुपये दान देने के लिए प्रेरित किया। हर महीने छह से आठ हजार रुपये जमा होने लगे। पर इस राशि से वह एक माह में बमुश्किल एक मरीज के इलाज का ही खर्च उठा पा रहे थे। आर्थिक मदद के लिए कई लोगों से संपर्क किया। इसी बीच रोटरी क्लब ने पांच लाख रुपये से अधिक की मदद दी। फिर क्या था, प्रो. अग्रवाल के ध्येय को पंख लग गए। इस पुनीत कार्य में इन्हें चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके सिंह का साथ मिला। प्रो. सिंह ने न्यूनतम खर्च में रविवार के दिन कुष्ठ मरीजों की सर्जरी की। प्रो.अग्रवाल ने कुछ स्थानीय डाक्टरों के सहयोग से बाराबंकी, हरदोई और लखनऊ में शिविर लगाकर अस्सी निर्धन कुष्ठ मरीजों को इलाज के लिए चिह्नित किया। पिछले दिसंबर से इन रोगियों का क्रमवार नि:शुल्क आपरेशन किया गया और लिंब सेंटर में फिजियोथेरेपी के सहायक उपकरण लगाए गए। इस कार्य में लिंब सेंटर की कार्यशाला के प्रमुख अरविंद निगम ने तो साथ दिया ही, यहां की सिस्टर प्रोमिला पाल और सिस्टर नीलम ने विशेष रूप से अपनी ड्यूटी कुष्ठ रोगियों के वार्ड में लगवा कर उन्हें नर्सिग सेवा दी। इन सभी के प्रयास से अब तक 109 कुष्ठ रोगियों का पुनर्वास हो चुका है। हौसला अभी बरकरार है। लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा कुष्ठ रोगियों को अभिशप्त जीवन से निकाल कर समाज में खोया मुकाम फिर से दिलाने का है। ऐसे लोगों के लिए जिगर मुरादाबादी ने अपने भाव इस तरह जाहिर किए थे-'वरना क्या था, सिर्फ तरतीबे-अनासिर [पंचतत्व] के सिवा। खास कुछ बेताबियों का नाम इन्सां हो गया।।'
This blog is designed to motivate people, raise community issues and help them. लोगों को उत्साहित करना, समाज की ज़रुरतों एवं सहायता के लिए प्रतिबद्ध
Sunday, August 31, 2008
Friday, August 29, 2008
ग्राहकों से अच्छे सम्बध बनाये रखने के तरीके (भाग १)
ग्राहक से आपने पहली बार व्यवसाय करते समय आपने जितना कङी मेहनत की थी, उतनी ही कङी मेहनत व्यवसाय को आगे बनाये रखने के लिये भी करें ।
आपने शायद पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त बहुत कङी मेहनत की होगी । आपने ग्राहक को अपने सामान या आपकी सेवा से होने वाले फायदे के बारें में बताते हुऐ अत्याधिक समय लगाया होगा । आपने ग्राहक की आवश्यकताओ और उन्हें कैसे पूरा करना है को सीखा होगा । आपने वादा होगा कि आप ग्राहक की आवश्यकताओ को समय पर तथा हर समय पर सर्वोत्तम तरीके से पूरा करेंगें । अब जब आप ग्राहक को सामान बेच ही चुकें हैं आप उतनी कङी मेहनत व्यवसाय को आगे बनाये रखने की कोशिश कीजिये जितनी आपने पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त बहुत कङी मेहनत की थी। आपको ग्राहक से हर बार मिलते समय वैसे ही ध्यान दें जैसे कि आप पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त कर रहे थे।
वादे को निभायें ।
आपने ग्राहक को कई प्रकार से वादे किये होंगे। ये किसी प्रकार की मौखिक जबाबदेही, लिखित जबाबदेही हो सकती है, ये चाहे जो कुछ भी हो वादा वादा ही होता है तथा आपको इसे निभाना ही चाहिये । वादे को पूरी तरह से निभाना ग्राहक से अच्छे सम्बंधो का आधार है। यह ग्राहक से अच्छे सम्बंध बनाये रखने के लिये बहुत आवश्यक है।
ग्राहक से हालचाल पूछते रहना ।
ग्राहक को अच्छी सेवा देने के लिये हालचाल पूछते रहना आवश्यक है। अधिकतर हालचाल पूछने में कोई ज्यादा मेहनत नहीं लगानी पङती। परंतु ग्राहक से हालचाल पूछने के फायदे अनगिनत हैं । ग्राहक से हालचाल पूछना यह ग्राहक को एहसास कराता है कि आप ग्राहक के बारे मैं चिंता करतें हैं और ग्राहक से व्यापार करने के लिये वचनबद्ध हैं । एक साधारण सा प्रश्न जैसे कि आप कैसे हैं या आपके द्वारा लिया गया सामान ठीक से काम कर रहा कि नहीं, ग्राहक के व्यवहार तथा उसकी जरुरतों को प्रभावित कर सकता है।
अनुपयोगी परामर्श देने या बेचने से बचना ।
कई बार लोग सोचतें हैं कि अनुपयोगी परामर्श देकर ग्राहक को सामान खरीदने के लिये प्रेरित किया जा सकता है। जबकि अधिकतर ग्राहक इस तरह की चालबाजियाँ दूर से ही जान लेतें हैं, इस तरह की गलत परामर्श ग्राहक के आपके प्रति भरोसे को समाप्त कर सकती है । ग्राहक यह सोच सकता है कि विक्रेता उससे किसी खास को खरीदने के लिये क्यों जोर दे रहा है। क्या बेचे जाने वाला सामान इतना घटिया है कि ग्राहक को इस तरह से बेचने को मजबूर होना पङा । ग्राहक को अनुपयोगी परामर्श देने से बचें यह आप, आपके ग्राहक के साथ सम्बंध तथा आपके सामान के बारें में ग्राहक पर नकारात्मक प्रभाव डालता है ।
ग्राहक को धन्यवाद पत्र लिखे ।
यह भले ही अनोखा लगे लेकिन ग्राहक आपके धन्यवाद पत्र को काफी पसन्द करेंगें । ग्राहक से व्यापार मिलिने पर व्यापार देने के लिये धन्यवाद पत्र लिखना ग्राहक के साथ आपके सम्बंध को मजबूत आधार देता है और भविष्य में ग्राहक को आपसे व्यापार करने के लिये प्रेरित करता है । कभी-कभी ये बातें काफी छोटी जान पङ्ती हैं पर यह आपके ग्राहक के साथ सम्बंधों को मजबूत करतीं हैं ।
ऐसी किसी चीज की शाबासी ना लेना जो आपने न की हो ।
कई बार ऐसा होता है कि आपके काम का आपको सम्मान न मिले, ऐसा होने पर आप भी सोचेगें कि आप भी कभी-कभी दूसरों के किये हुये काम की शाबासी लें । लेकिन अगर कभी ग्राहक को इसका पता चलता है कि आपने ऐसा किया है तो ग्राहक का आपसे विस्वास समाप्त हो सकता है । आपको ग्राहक को पूर्ण रुप से अवगत कराना चाहिये कि कौन सा काम आपने किया है और कौन सा नहीं । जब आप कहेंगें कि यह काम किसी दूसरे ने कीया है आप इसकी शाबासी नहीं ले सकते तो ग्राहक आपकी ईमानदारी तथा जीवन मूल्यों का सम्मान करेगा । इस प्रकारण की ईमानदारी तथा जीवन मूल्यों ग्राहक के साथ सम्बंधों को अनन्त काल तक रखेंगें ।
ग्राहक द्वारा आपसे खरीदे सामान के बारे में अच्छा महसूस करायें ।
क्या कभी आपने ऐसी वस्तु खरीदी है जिसके बारे में आप आश्चर्य करें कि मैंने ठीक किया या नहीं ? यह किसी भी कारण से हो सकता है जिसमें विक्रेता का अपने सामान तथा सेवा के प्रति व्यवहार भी शामिल हो सकता है । यदि विक्रेता का अपने सामान तथा सेवा के प्रति विस्वास नहीं है तो आप कैसै सोच सकतें हैं कि ग्राहक आपसे खरीदे सामान के बारे में अच्छा महसूस करेगा ।
ग्राहक जानना चाहता है कि वे ठीक निर्णय ले रहे हैं कि नहीं ? इसलिये आपको ग्राहक को आश्वस्त करना होगा कि आपसे सामान खरीदने का ग्राहक का निर्णय सही है । आपको ग्राहक द्वारा आपसे सामान खरीदने पर अच्छा महसूस करने में सहायता करनी होगी । आपको इसके लिये आपके द्वारा बेची जाने वाली वस्तु या सेवा से सम्बंधित सारी जानकारी, आँकङे, बाजार भाव, तकनीकी सूचना रखनी होगी जिससे ग्राहक समझ सके कि आपसे ली गयी सेवा या वस्तु उचित है ।
अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचें ।
आजकल व्यापार में “अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचना” अत्यंत आवश्यक है । मेरा अभिप्राय यह है कि आपको पारम्परिक विचारधारा से आगे निकल कर सोचना होगा या आप पूर्व में जैसा करते रहे हैं उससे अलग हट कर सोचना होगा ।
ग्राहक से सामंजस्य बनाते समय “अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचना” उपयोगी हो सकता है । कई बार अलग विचारधारा जो पूर्व में न किया गया हो ग्राहक को आकृषित करती है । यह पुरानी समस्याऔं के नये उत्तर देती है या ग्राहक को नई दिशा देती है ।
एक आयत बनाइये और सोचिये कि आपने क्या – क्या दायरे में रह कर किया है और सोचिये कि किस प्रकार आप ग्राहक को भिन्न द्विष्टकोण प्रदान कर सकतें हैं ।
ग्राहक द्वारा दी गई विस्तृत सूचना पर ध्यान दें ।
एक कम्पनी अपने विज्ञापन में लिखती थी कि वे ग्राहक द्वारा दी गई विस्तृत सूचना पर ध्यान देतें हैं । यह काफी गम्भीर तथा आकृषिक सूचना है जो नये सम्भावित ग्राहकों को बताती है कि कम्पनी अपने उत्तम उत्पादों तथा सेवाओं के लिये वचनवद्ध है । विस्तृत सूचना प्रत्येक व्यापार के लिये आवश्यक है । विस्तृत सूचना पर अनगिनत बार ध्यान न देना ग्राहक को परेशानी में डाल सकता है । ग्राहक आपसे क्या चाहिता है इस पर आप विस्तृत रुप से ध्यान देते हैं तो ग्राहक को कोई परेशानी या चिंता नहीं होगी । इस प्रकार ग्राहक अपना वक्त किसी और महत्वपूर्ण सूचना में लगा सकते हैं ।
सेवा या वस्तु में कोई कमी न हो ।
“सेवा या वस्तु में कोई कमी न हो” से मेरा अभिप्राय सेवा या वस्तु में कोई कमजोरी या आधा अधूरापन न होने से है । ग्राहक को पूर्ण सेवा प्रदान कर आपने जो एक काम प्रारम्भ किया था उससे समाप्त कर सकेगें । आपके काम में पूर्णता होगी तथा ग्राहक को आपकी सेवा में कोई कमी या रुकावट नहीं होगी । आपको जैसे ही कोई कमी या रुकावट पता पङ्ती है तो आपको तुरंत ध्यान देना चाहिये । इस तरह नई परेशानियाँ का तुरंत आप समाधान कर सकेंगें । आपके ग्राहक आशा करते हैं कि जैसे ही उनको सेवा या वस्तु आपसे मिलती है उससे सम्बंधित सारी कमियाँ दूर हो जायें ।
कोई गुप्त उददेश्य न हो ।
गुप्त उददेश्य होना बताता है कि आप अपने उददेश्यौं तथा लक्ष्य के प्रति पूर्णतया ईमानदार नहीं हैं । आपको ऐसा ग्राहक के साथ नहीं करना चाहिये । ऐसा होने पर आप ग्राहक का विस्बास खो सकतें हैं । आपको अपने उददेश्य तथा लक्ष्य सामने रखने चाहिये । आपको अपने उददेश्य तथा लक्ष्य के इस्तमाल के किये ग्राहक के साथ जोङ – तोङ नहीं करना चाहिये । अगर आपके ग्राहक आपको ऐसा करते हुये पातें हैं और अगर ये सत्य है तो आपके ग्राहक के साथ सम्बंध नकारात्मक प्रभाव डालेगें । किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जो गुप्त उददेश्य रखता हो तथा आपने उससे व्यापार किया होगा । आपने कैसा महसूस किया जब आपको उसके गुप्त उददेश्य के बारे में पता चला ।
अपनी आंतिरिक परेशानियाँ ग्राहक को न बतायें ।
कई बार कम्पनी में कई आंतिरिक परेशानियाँ होती हैं जो कम्पनी के कर्मचारीयों को ही पता रहतीं हैं । समय – समय पर प्रत्येक कम्पनी को ऐसा अनुभव होता है । ये समस्यायें कम्पनी को सुलझानी चाहिये इनका ग्राहक पर प्रभाव हो भी सकता है और नहीं भी । कई बार ऐसा हो सकता है कि ग्राहक को इन समस्यायें को बताने का नकारात्मक प्रभाव न हो, क्योंकि हो सकता है कि ग्राहक को दूसरे माध्यम से इनका पता चल जाये । लेकिन कई बार ग्राहक को इन समस्याऔं को बताने का कोई कारण नहीं होता, न ही ग्राहक से इनका सीधा सम्बंध नहीं होता । ग्राहक को इन समस्याऔं को बताने से बिना वजह चिंता होगी कि कम्पनी उसे आगे अपने उत्पाद, वस्तु या सेवा दे पायेगी ।
ग्राहक का आपसे सम्बंध का महत्व ।
जब आप किसी के महत्वपूर्ण मूल्य के बारे में सोचतें हैं तो आप इसको बनाये तथा बचाये रखने के लिये काम करतें हैं । जब आप किसी का कम मूल्य या कोई मूल्य नहीं सोचतें हैं तो आप इसको छोङ देते हैं या उसे महत्व नहीं देते । आप ग्राहक से सम्बंधों के बारे में क्या सोचते हैं, क्या आप इसे महत्वपूर्ण मानते हैं या नहीं ?
मानिये आप ग्राहक से सम्बंधों को महत्वपूर्ण मानते हैं तब क्या आप जैसा अभी ग्राहक से व्यवहार करतें हैं वैसा ही करेंगें या नहीं । क्या आप ग्राहक से व्यवहार बनाये तथा बचाये रखने के लिये काम करतें हैं या आप सोचते हैं कि इसका कम मूल्य या कोई मूल्य नहीं है । आप ग्राहक को कैसे बताते हैं कि आप ग्राहक से व्यवहार बनाये तथा बचाये रखने को महत्व देतें हैं ।
ग्राहक को भेङिया – भेङिया कह कर मत शोर मचाइये ।
आपने पुरानी भेङिया वाली सुनी होगी जिसमें गङरिया बार - बार गाँव वालौं को भेङिया – भेङिया कह कर अकारण सहायता के लिये आवाज लगाता था , परंतु एक बार वास्तव में भेङिया आया और गङरिया को बचाने इस बार कोई नहीं आया क्योंकि सभी ने सोचा इस बार भी गङरिया उनका मजाक उङा रहा है । इस कहानी का मूल यह है कि आपको ग्राहक से तब तक सहायता नहीं माँगनी चाहिये जब तक आपको सहायता की वास्तिवक आवश्यकता नहीं है । आपको यह कभी नहीं कहना चाहिये कि आपको सहायता की जरुरत है जबकि ऐसा नहीं है । ऐसा भी हो सकता है कि ग्राहक का धैर्य समाप्त हो जाये और वह आप पर ध्यान देना बन्द कर दे और आपको भेङियों के लिये छोर दे ।
ऐसा कुछ करें जिससे ग्राहक दूसरों से आपकी तारीफ करें ।
हो सकता है ग्राहक आपकी तस्वीर लेकर ना चलता हो और दूसरों को दिखाता और सुनाता हो कि आप कितने सुन्दर है । लेकिन आप जरुर चाहेंगें कि आपके ग्राहक व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करें । ये आपके लिये महत्वपूर्ण विज्ञापन हो सकता है जो कि रुपये पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है ।
एक तरीका जिससे ये सम्भव है कि ग्राहक व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करें जब आप ग्राहक के लिये अपनी तरफ से कुछ अधिक कोशिश करतें हैं । तब आप अपने आपको प्रतियोगिता में दूसरों से अलग दिखातें हैं । यही ग्राहक को व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करने के लिये प्रेरित करता है ।
ग्राहक से अधिक कार्य मत करवाओ।
आपका काम ग्राहक की सेवा करना है । आपको ग्राहक के काम को सरल बनाना चाहिये, न कि मुश्किल । आपको ग्राहक से व्यापार करने और कई अनेक सरल तरीके खोजने चाहिये । आपको ग्राहक से कम कार्य की अपेक्षा करनी चाहिये जैसे कि कम कागजी काम, कम लोगों से सम्पर्क, कम समय में कार्य सम्पादन । ये सब कार्य ग्राहक को आपके व्यापार करने के तौर-तरीकों के बारे में बताता है ।
ग्राहक से आप अपना भी कार्य मत करवाए।
ग्राहक से आप अपना भी कार्य मत करवाए । हो सकता हो कि ग्राहक को कार्य करने का समय न हो, शिक्षा न हो, अनुभव न हो या दिलचष्पी न हो । इसलिये आपके लिये ये जरुरी हो जाता है कि आप ग्राहक से सम्पर्क से पहिले अपने उत्पाद से जुङी सारी जानकारी रखें । आपको अपने उत्पाद तथा सेवा से जुङी सारी जानकारी के अलावा ग्राहक से जुङी जानकारी भी रखनी चाहिये । आपको ग्राहक को अपने उत्पाद तथा सेवा से जुङी सारी जानकारी ग्राहक को देनी चाहिये न कि इसका उल्टा ।
मैं आशा करता हूँ कि आपने अपना गृहकार्य कर लिया है ।
ग्राहक के पहुँच में रहें ।
ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध रखने के लिये व्यक्तिगत सम्पर्क आवश्यक है । सम्पर्क बनाने या बनाये रखना सम्पर्क के बिना कठिन है । आप तक ग्राहक की पहुँच ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध बनाने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है । यदि आप सिर्फ सदैव धन्यवाद देते हैं, टेलीफोन पर उत्तर देने वाली मशीन या ईमेल पर आफिस से बाहर हूँ वाला व्यवहार ग्राहक को अत्यन्त परेशान कर सकता है । ये नवीन तकनीकी सुविधाजनक है परंतु पुरानी तकनीकी को हटा नहीं सकती हैं जिनमें ग्राहक से जीवंत सम्बन्ध बनाने में जोर दिया जाता है । इलेक्ट्रोनिक साधनों पर अधिक भरोसा न करें । आप अपने आपको ग्राहक के पहुँच में रखें । आपको ग्राहक से व्यक्तिगत सम्पर्क रखने के लिये समय देना चाहिये । यह आपके लिये ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण निवेश होगा ।
जबाबदेयी बनें ।
ग्राहक के प्रति जबाबदेयी बनने के लिये समय से चलना आवश्यक है । जबाबदेयी बनना माने ग्राहक को तुरंत जबाब देना । जब ग्राहक आपसे कोई सवाल पूछता है या कुछ माँगता है तब ग्राहक आशा करता है कि आप उसे शीघ्र सुनेगें तथा जबाब देगें । यदि आपकी तरफ से इसमें कोई देरी होती है तो यह ग्राहक को सूचित करती है कि आप ग्राहक द्वारा दिये गये काम से कुछ अधिक जरुरी काम कर रहे हैं । मैं ग्राहक को अपना अधिक जरुरी काम करने के बाद जबाब दूंगा ।
इसके बजाय आपको ग्राहक को इस तरह का सन्देश देना चाहिये कि आपकी समस्या मेरी प्रमुखता है मैं शीघ्रातिशीघ्र आपकी समस्या का निष्पादन करुंगा ।
उत्तरदायी बनें ।
उत्तरदायी बनने का अर्थ काफी बङा होता है । इसका अर्थ ग्राहक जैसी सेवा की अपेक्षा तथा योग्य होता है आप उसे वह प्रदान कर रहे हैं । और ग्राहक को जैसी सेवा मिली है आप उसका पूर्णरुप से आलोचना या प्रशंसा सुनने के लिये तैयार हैं । यदि ग्राहक के साथ सारा कुछ अपेक्षित न चल रहा हो तो उत्तरदायी बनना या उत्तरदायित्व तय करना समस्या खङी करता है । समस्या के लिये किसी को उत्तरदायी ठहराना काफी बङी बात है लेकिन इससे ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध रखने में कोई सहायता नहीं मिलती है । अगर आप ग्राहक की किसी समस्या के लिये जिम्मेदार हैं तो आपको उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिये । इससे समस्या को बिना किसी देरी के सुधारने में मदद मिलती है । आप ऐसी समस्या के बारे में सोचिये जिसके लिये आप जिम्मेदार थे तथा आपने बिना किसी देरी के समस्या को सुधारने में मदद की ।
लचीलापन रखें ।
लचीलापन रखने से मेरा अर्थ बङा ही साफ है कि आप ग्राहक के लिये कई तरह से झुकने कि लिये तैयार रहें । ग्राहक कई सम्भावित उत्तर पसन्द करतें हैं । कोई भी कुछ पूर्वनिर्धारित नियम थोपा जाना पसन्द नहीं करता है । परिस्थिती के अनुसार ग्राहक सम्भावित दिशा में जाना पसन्द करेगा । कई बार हम व्यापार में पूर्वनिर्धारित नियम थोपतें हैं जिससे हम व्यापार में लचीलापन खो देते हैं । जो कि ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने के लिये आवश्यक है ।
भरोसेमन्द बनें ।
जब ग्राहक महसूस करता है कि आप भरोसेमन्द हैं यह आपके व्यापार मैं ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने के लिये महत्वपूर्ण घटक है । ग्राहक का भरोसा पाने के लिये आपको काफी प्रयत्न करना पङ्ता है । भरोसा होने पर ग्राहक आपसे झुकाव महसूस करता है तथा दूसरों को भी बताता है कि आप पर उसका पुराना भरोसा है । जिन्दगी में आप कई बार इसकी आवश्यकता महसूस न हो पर भरोसा होना ग्राहक पर धनात्मक प्रभाव डालता है । ऐसा होने पर ग्राहक आपसे ज्यादा से ज्यादा व्यापार करता है ।
सम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङिये ।
कोई भी सम्बन्ध तोङ्ना नहीं चाहता है पर दुर्भाग्यवश जिन्दगी तथा व्यापार में आप ऐसा करने को मजबूर होतें हैं । सम्बन्ध तोङ्ने के कई तरीके हैं हो सकता है आप असभ्य तरीके से सम्बन्ध तोङे इस तरीके से आप ग्राहक से पुरानी मधुर स्मितयों को भी नुकसान पहुँचा सकतें हैं । अगर इस बार आप किसी वजह से ग्राहक से व्यापार या अनुबन्ध खोते है तो आपको याद रखना चाहिये कि यह आपके ग्राहक से पुराने सम्बन्धों को हानि ना पहुँचाऐ । अगर आप क्रोध में व्यापार या अनुबन्ध खोने के सिलसिले में ग्राहक से बात करते हैं तो हो सकता है कि भविष्य में आपसे ग्राहक व्यापार न करे । हो सकता है कि आप ग्राहक को अपना व्यापार दूसरे व्यापारी से स्थानांतरित करने में सहायता न करें । परंतु ऐसे कई तरीके हो सकते है कि जिसमें आप सम्मानपूर्वक ऐसा कर सकें । आप सोचिये कि ऐसे कौन – कौन से तरीके हैं जिसमें आप सम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङ सकें ।
--- असम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङिये ।
कभी नहीं ।
क्षमता से अधिक वादे न करें ।
आप जिस प्रकार व्यस्त हैं उसमें ऐसा हो सकता है कि आप ग्राहक से अपनी क्षमता से अधिक वादा कर दें । विशेषकर ऐसा हो सकता है कि आप ग्राहक को बेहतर से बेहतर सेवा प्रदान करने के लिये उससे क्षमता से अधिक वादे कर दें । यह आप ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने की आशा में करते हैं । लेकिन यदि आप अपना वादा पूरा नहीं कर सके तो ग्राहक से बने बनाये अच्छे सम्बन्ध वैसे ही नहीं रहेंगे । इसलिये ये अच्छा हो सकता है कि आप पहिले से ही आप क्षमता से अधिक वादे न करें । ऐसी स्थिती में आप ग्राहक को कोई भी इच्छायें अधूरी नहीं होंगी ।
जब आपको न कहना हो तब आप न कहें यह एक अच्छा गुण हो सकता है । यह ग्राहक में आपके प्रति भरोसा तथा सम्बन्ध बनाये रखेगा ।
आप जैसा कहते हैं वैसा करें ।
आपके ग्राहक से सम्बन्ध विश्बास पर आधारित हैं । ग्राहक आप पर भरोसे के आधार पर आपको व्यापार देता है । आप इस विश्बास को मत हिलाइये । भरोसे का एक बङा भाग आपके ग्राहक से वादों को निभाना है । अगर आपने ग्राहक से कुछ वादा निभाया है तो उसे पूरा करें । इन्हें आपको किसी भी कीमत पर पूरा करना चाहिये चाहे आपको इसमें व्यापार से पैसा लगाना पङे । भविष्य में आपको इससे फायदा पहुँचेगा ।
बहुत अधिक ज्यादा भी न बेचें ।
जिन्दगी में कई चीजों की तरह अच्छी चीजे आपके पास ज्यादा भी हो सकती हैं । ये विक्रय पर भी लागू होती है चूंकि विक्रय से ही मुनाफा होता है, न बेचना नुकसानदेह हो सकता है । ऐसा हो सकता है कि ग्राहक अधिक पढा-लिखा न हो कि उसे आपकी सेवा तथा उत्पादों से क्या फायदा है यह पता न हो । एक लक्ष्य यह भी हो सकता है कि इनमें समंवय लाया जाये । बेचना दवाई की तरह है एक अनुपात में देने से कई फायदे होतें हैं परंतु अधिक या कम देना ग्राहक को नुकसान पहुचा सकता है अधिक बेचने पर ग्राहक सन्देह प्रकट कर सकता है, झुँझला सकता है या सवाल कर सकता है कि सही मात्रा क्या होनी चाहिये । कई बार अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने के लिये कम बेचना ज्यादा अच्छा है ।
ग्राहक के दृष्टिकोण से सोचें ।
कई बार ग्राहक का दृष्टिकोण कोई बाहर वाला सही तरीके से बता सकता है । आप समस्या के इतने करीब होतें है कि आप सही समाधान नहीं बता सकते । इसलिये कोई ऐसा जो कम्पनी से सम्बध न हो ग्राहक के सही दृष्टिकोण को बता सकता है । यदि आप के पास ग्राहक के व्यापार, कार्यप्रणाली तथा इसमें काम करने वाले व्यक्तियों इतनी महत्वपूर्ण ज्ञान होता है जो और किसी के पास नहीं होता है । ऐसे में आप ग्राहक के दृष्टिकोण को बेहतर बता सकते हैं। और आप ग्राहक को अधिक तथा अनपेक्षित लाभ दिला सकतें हैं ।
लेकिन आप को इस जानकारी को ग्राहक को इस प्रकार बताना चाहिये कि वह इसे धनात्मक तरीके से ले, न कि इससे आपके सम्बन्ध खराब हों क्योंकि कई मामले अत्यंत ज्वलंत हो सकते हैं ।
ग्राहक के लिये कागजी काम कम करें ।
आपको सदैव ग्राहक से कई सारी जानकारी की आवश्यकता होती है यह आपको आज तथा भविष्य में ग्राहक की जरुरतें बताती है । लेकिन इस जानकारी के लिये ग्राहक को काफी कागजी काम करना पङ्ता है । ग्राहक से सम्बन्ध बनाये रखने के लिये आपको कागजी काम कम से कम रखना चाहिये । आप ही सोचिये अगर आप कुछ खरीदने जाये और आपसे कई कागजी फार्म भरवाये जायें । आप कितना प्रसन्न महसूस करेंगें ठीक वैसा ही ग्राहक भी महसूस करता है जब आप उससे व्यापार करते समय कागजी फार्म भरने को कहते हैं ।
विपदा योजना तैयार रखें ।
आपको सदैव विपदा से निपटने की योजना तैयार रखनी चाहिये । आपको सदैव यह सोचना चाहिये कि अगर ऐसा हो तो ? सोचिये आपको नियत तिथि पर अपने ग्राहक को माल भेजना हो या कार्य पूरा करना हो । ऐसी स्थिती में आप क्या विपदा योजना तैयार रखेंगें ? आपको किसी दूसरे तरीके से निर्धारित स्थान तक सामान पहुचाने का तरीका तैयार रखना चाहिये । क्या हो अगर सामान्य तरीके से सामान भेजे और यह समय से न पहुँचे । ऐसी कौन सा विपदा योजना है जो आपको भविष्य में ऐसा होने से रोके ।
नवीनता लाइये ।
कई बार ऐसा होता है कि व्यापार में नवीनता लाने का कोई अवसर उपलब्ध न हो विशेषकर जब आप ग्राहक से सम्बन्ध बङाने के बारे में सोच रहे हों । अधिकतर हम पारम्पिरक तरीका प्रयोग में लातें हैं क्या हो यदि ये तरीके अधिक उपयोगी न हों ?
क्यों न हम कुछ नया अमल में लायें क्योंकि हो सकता है कि ये हमारे लिये जागने तथा कुछ नया करने का समय हो सकता है जो व्यापार में नयी उमंग लाये । पारम्पिरक तरीके के बजाय कुछ नया कीजिये । कुछ ऐसा कीजिये जो आपने पहिले कभी न किया हो । नवीनता लाइये । हो सकता है कि आप किसी नई परम्परा की शुरुवात कर रहे हों जो कि पुराने नियमों को झुठला दे ।
80/20 का फार्मूला प्रयोग में ना लायें ।
पुराने 80/20 नियम के अनुसार आप अपना 80% समय 20% ग्राहकों के साथ बितातें हैं । मानिये कि 20% ग्राहक ऐसे हैं जो आपका ध्यान चाहतें हैं किंतु क्या यह सही है कि आप इस प्रकार अपना समय दें। यदि ये आपके सही है तो क्या 20% ग्राहक आपके 80% व्यापार को प्रतिनिध्तिव करतें हैं । यदि नहीं तो क्या यह 80% ग्राहक के लिये सही है जो आपके अधिकतर व्यापार को प्रतिनिध्तिव करतें हैं । माना कि 80% ग्राहक ऐसे हैं जो संतुष्ट हैं किंतु उनको भी आपको सभी के जैसा समान रुप से समय देना चाहिये ।
अपनी ओर् आगे बङ कर सक्रिय होना ।
आगे बङ कर सक्रिय होना से मेरा अर्थ ग्राहक के बताने से पूर्व स्वयं आगे बङ कर समझ लेना है । ऐसा करके आप सभी मामलौं में आगे रहतें हैं और कोई भी चीज अपने नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देते । ग्राहक आगे बङ कर सक्रिय रहने वाले व्यापारी को ज्यादा पसन्द करतें हैं बजाय उसके जिसको हर बात बतानी पङे । जब आप आगे बङ कर स्वयं ग्राहक की परेशानी या समस्या पर काम करते हैं तो आप नुकसान से बचाव ज्यादा अच्छे तरीके से करतें हैं । आगे बङ कर सक्रिय रहने पर आप अपनी ऊर्जा तथा समय का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि आप इसमें आपातस्थिति का इंतजार नहीं करते हैं । आगे बङ कर सक्रिय रहने पर सभी को विशेषकर ग्राहक को तनाव कम होता है ।
समस्या खङी होने से पहिले समाधान करें ।
आप क्या पसन्द करेंगें --
अ. ग्राहक को समस्या आने पर बेहतर से बेहतर सेवा देना
ब. समस्या आने ही न देना
सही उत्तर – ब । ग्राहक सम्भवतया “समस्या आने ही न देना” ही ज्यादा पसन्द करेगा । यही बेहतर ग्राहक की सेवा है जो ग्राहक अनुभव करना चाहेगें । गुणवत्ता प्रक्रिया यही सिखाती है । गुणवत्ता पाने के लिये आपको समस्या आने से रोकना होगा ।
शुरुवात से ही सही दिशा में चलें ।
गुणवत्ता प्रक्रिया की दूसरा मूलभूत शिक्षा है पहली बार से ही समस्या आने ही न देना है । सोचिये यह् आपके ग्राहक के लिये क्या माने रखता है । यह आपके ग्राहक तथा आपके व्यवसाय की लागत कैसे बङाता है । आपके व्यवसाय की लागत बङाने के अलावा यह ग्राहक से आपके समबन्ध को कैसे प्रभावित करता है । ग्राहक से आपके समबन्ध प्रभावित होना ही सबसे बङी लागत है ।
ग्राहक से कार्य संपादन के समय में कमी लायें ।
चक्रीय समय वह है जो बार – बार एक प्रक्रिया को पूरा होने में लगता है । चक्रीय समय को घटाने से उत्पादकता, क्षमता, दक्षता बङती है । जब भी आप चक्रीय समय घटाते हैं आप ग्राहक के पैसे बचाते हैं । कई बार व्यापारी केवल अपना चक्रीय समय घटाना चाहता है , ग्राहक का नहीं । ये भी सोचना चाहिये कि ग्राहक का चक्रीय समय कैसे घट सकता है जैसे कि ग्राहक का आर्डर भेजना का समय या बिल का पेमेंट भेजने में लगे समय को कम करना । इन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना के अलावा ग्राहक के व्यापार के चक्रीय समय को और कैसे कम कर सकतें हैं ।
ग्राहक के साथ एकरसता में कार्य करें ।
एकरसता में काम कर हम एक टीम में कार्य करते हैं बजाय टुकङों में बँट कर । एकरसता में काम करना माने 5 + 5 = 11 या और भी ज्यादा । उदाहरण के लिये – 10 लोग मिल ज्यादा अच्छा परिणाम ला सकतें हैं बजाय 10 व्यक्ति अलग - अलग काम करें । एकरसता में काम करने से प्रतिभा, अनुभव, नवोत्पाद, सृजनात्मकता, रचनात्मकता तथा समग्रता का एहसास कराता है । एकरसता टीम में तथा साथ – साथ काम करने की कुंजी है । एकरसता में काम करना ग्राहक से संबन्धों को मजबूती देता है । एकरसता में काम कर आप या ग्राहक कोई भी अकेला महसूस नहीं करेगा ।
अपने कम्पनी की जटिलताऔं को कम करें ।
आप इसे कई नामों से बुला सकतें हैं जैसे कि नियम, प्रक्रिया, नीति, आवश्यकता, प्रथा, परंपरा, कार्यप्रणाली । लेकिन ग्राहक के लिये ये सभी एक समान हैं – एक बङी जटिलता । आप सोचिये अगर आपको कई सारे नियमों को पूरा करना पङे या कई सारे फार्मों को पूरा करना पङे तो आपको कैसा लगेगा । आपको व्यापार से जुङी इस लाल-फीताशाही को घटाने का प्रयत्न करना चाहिये ।
ग्राहक के लिये नियमों में सरलता लायें ।
एक पुरानी कहावत है कि नियम तो तोङ्ने के लिये ही बने हैं । हो सकता है जीवन में सतता बनाने के लिये यह अच्छा तत्व-ज्ञान न हो परंतु ग्राहक से व्यापार करते समय यह बुध्दिमानी पूर्ण हो सकता है वो भी तब जबकि आपको उस ग्राहक को उन नियमों से गुजरना पङे ।
क्या आपके संगठन के नियम ग्राहक से व्यापार के लिये परेशानी बङाते हैं या ये ग्राहक और आपके संबन्धों में रुकावट डालते हैं । क्या संगठन में नकारात्मक प्रभाव डाले बिना इन नियमों की उपेक्षा हो सकती है तो यह “नियम तो तोङ्ने के लिये ही बने हैं” का अच्छा उदाहरण होगा ।
आपको उन परिस्थितियों तथा कारणों को बताना होगा जिसके लिये आप नियमों को तोङ रहे हैं । निश्चितरुप से ग्राहक आपके अलग से किये गये प्रयत्नों की प्रशंसा करेगा । हर कोई कभी-कभी नियमों को तोङता है ।
समस्या का समाधान करने वाले बनें ।
ग्राहक की सहायता करने का एक तरीका उसकी समस्या को हल करना है । ऐसा करने में मैं आपको समस्या या समाधान का भाग होना चाहिये, न कि परेशानी का । कई बार हो सकता है चूँकि आप ग्राहक के संगठन का हिस्सा नहीं होतें हैं इसलिये आप बेहतर तरीके से इन समस्या के उत्तर ढूढने और अमल में लातें हैं । समस्या का समाधान पाने के लिये आपको कोई माडल अपनाना चाहिये । निम्न माडल आपको आपके लक्ष्य को पूरा करता है :
१ समस्या को जानने में ग्राहक के साथ काम करें । कई बार यह कठिन हो सकता है । अगर आप सही ढंग से समस्या को नहीं समझते हैं समस्या का समाधान जानना बिलकुल असंभव होगा । कई बार आप ग्राहक के मुकाबले समस्या को सरल तरीके से जानतें हैं ।
२ समस्या का मूल जानने की कोशिश करें । यह जरुरी नहीं कि समस्या का मूल वही हो जो ग्राहक बता रहा हो । कई बार आपको समस्या का मूल जानने के लिये गहन छानबीन करनी पङेगी ।
३ समस्या का सम्भावित उत्तरों पता लगाइये । तरह-तरह की राय जानिये । इसमें ग्राहक के कर्मचारियों, विक्रेता तथा ग्राहक के ज्ञान तथा अनुभव का सहयोग लीजिये ।
४ समस्या का सबसे सही उत्तर को चुनिये । मैं पुनः बताना चाहूँगा कि जितने ज्यादा लोग आप इसमें शामिल करेंगें उतने बेहतर परिणाम आपको मिलेंगें ।
५ आप ग्राहक से कार्यवाही पूरा कर सुनिश्चित कीजिये कि आपने समस्या का सही समाधान दिया है तथा ये समस्या अब भविष्य में नहीं पुनः होगी ।
ग्राहक को सही दिशा में ले जायें ।
यह काफी महत्वपूर्ण है कि ग्राहक को सर्वश्रेष्ठ सेवा मिले । आपको ये लक्ष्य पाना होगा और ये जरुरी नहीं कि सेवा कौन देता है हो सकता है कि कोई और । ग्राहक से अच्छे संबन्ध रखने के लिये उसे वहाँ भेजे जो उसकी जरुरतें सही से पूरा कर सके । इस तरह ग्राहक की जरुरतें सही से पूरी होंगी । यह आपकी पहली और प्रमुख प्राथमिकता होती है । इससे आपके ग्राहक से संबन्ध और मजबूत होंगे ।
आपने शायद पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त बहुत कङी मेहनत की होगी । आपने ग्राहक को अपने सामान या आपकी सेवा से होने वाले फायदे के बारें में बताते हुऐ अत्याधिक समय लगाया होगा । आपने ग्राहक की आवश्यकताओ और उन्हें कैसे पूरा करना है को सीखा होगा । आपने वादा होगा कि आप ग्राहक की आवश्यकताओ को समय पर तथा हर समय पर सर्वोत्तम तरीके से पूरा करेंगें । अब जब आप ग्राहक को सामान बेच ही चुकें हैं आप उतनी कङी मेहनत व्यवसाय को आगे बनाये रखने की कोशिश कीजिये जितनी आपने पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त बहुत कङी मेहनत की थी। आपको ग्राहक से हर बार मिलते समय वैसे ही ध्यान दें जैसे कि आप पहली बार ग्राहक से व्यापार पाते वक्त कर रहे थे।
वादे को निभायें ।
आपने ग्राहक को कई प्रकार से वादे किये होंगे। ये किसी प्रकार की मौखिक जबाबदेही, लिखित जबाबदेही हो सकती है, ये चाहे जो कुछ भी हो वादा वादा ही होता है तथा आपको इसे निभाना ही चाहिये । वादे को पूरी तरह से निभाना ग्राहक से अच्छे सम्बंधो का आधार है। यह ग्राहक से अच्छे सम्बंध बनाये रखने के लिये बहुत आवश्यक है।
ग्राहक से हालचाल पूछते रहना ।
ग्राहक को अच्छी सेवा देने के लिये हालचाल पूछते रहना आवश्यक है। अधिकतर हालचाल पूछने में कोई ज्यादा मेहनत नहीं लगानी पङती। परंतु ग्राहक से हालचाल पूछने के फायदे अनगिनत हैं । ग्राहक से हालचाल पूछना यह ग्राहक को एहसास कराता है कि आप ग्राहक के बारे मैं चिंता करतें हैं और ग्राहक से व्यापार करने के लिये वचनबद्ध हैं । एक साधारण सा प्रश्न जैसे कि आप कैसे हैं या आपके द्वारा लिया गया सामान ठीक से काम कर रहा कि नहीं, ग्राहक के व्यवहार तथा उसकी जरुरतों को प्रभावित कर सकता है।
अनुपयोगी परामर्श देने या बेचने से बचना ।
कई बार लोग सोचतें हैं कि अनुपयोगी परामर्श देकर ग्राहक को सामान खरीदने के लिये प्रेरित किया जा सकता है। जबकि अधिकतर ग्राहक इस तरह की चालबाजियाँ दूर से ही जान लेतें हैं, इस तरह की गलत परामर्श ग्राहक के आपके प्रति भरोसे को समाप्त कर सकती है । ग्राहक यह सोच सकता है कि विक्रेता उससे किसी खास को खरीदने के लिये क्यों जोर दे रहा है। क्या बेचे जाने वाला सामान इतना घटिया है कि ग्राहक को इस तरह से बेचने को मजबूर होना पङा । ग्राहक को अनुपयोगी परामर्श देने से बचें यह आप, आपके ग्राहक के साथ सम्बंध तथा आपके सामान के बारें में ग्राहक पर नकारात्मक प्रभाव डालता है ।
ग्राहक को धन्यवाद पत्र लिखे ।
यह भले ही अनोखा लगे लेकिन ग्राहक आपके धन्यवाद पत्र को काफी पसन्द करेंगें । ग्राहक से व्यापार मिलिने पर व्यापार देने के लिये धन्यवाद पत्र लिखना ग्राहक के साथ आपके सम्बंध को मजबूत आधार देता है और भविष्य में ग्राहक को आपसे व्यापार करने के लिये प्रेरित करता है । कभी-कभी ये बातें काफी छोटी जान पङ्ती हैं पर यह आपके ग्राहक के साथ सम्बंधों को मजबूत करतीं हैं ।
ऐसी किसी चीज की शाबासी ना लेना जो आपने न की हो ।
कई बार ऐसा होता है कि आपके काम का आपको सम्मान न मिले, ऐसा होने पर आप भी सोचेगें कि आप भी कभी-कभी दूसरों के किये हुये काम की शाबासी लें । लेकिन अगर कभी ग्राहक को इसका पता चलता है कि आपने ऐसा किया है तो ग्राहक का आपसे विस्वास समाप्त हो सकता है । आपको ग्राहक को पूर्ण रुप से अवगत कराना चाहिये कि कौन सा काम आपने किया है और कौन सा नहीं । जब आप कहेंगें कि यह काम किसी दूसरे ने कीया है आप इसकी शाबासी नहीं ले सकते तो ग्राहक आपकी ईमानदारी तथा जीवन मूल्यों का सम्मान करेगा । इस प्रकारण की ईमानदारी तथा जीवन मूल्यों ग्राहक के साथ सम्बंधों को अनन्त काल तक रखेंगें ।
ग्राहक द्वारा आपसे खरीदे सामान के बारे में अच्छा महसूस करायें ।
क्या कभी आपने ऐसी वस्तु खरीदी है जिसके बारे में आप आश्चर्य करें कि मैंने ठीक किया या नहीं ? यह किसी भी कारण से हो सकता है जिसमें विक्रेता का अपने सामान तथा सेवा के प्रति व्यवहार भी शामिल हो सकता है । यदि विक्रेता का अपने सामान तथा सेवा के प्रति विस्वास नहीं है तो आप कैसै सोच सकतें हैं कि ग्राहक आपसे खरीदे सामान के बारे में अच्छा महसूस करेगा ।
ग्राहक जानना चाहता है कि वे ठीक निर्णय ले रहे हैं कि नहीं ? इसलिये आपको ग्राहक को आश्वस्त करना होगा कि आपसे सामान खरीदने का ग्राहक का निर्णय सही है । आपको ग्राहक द्वारा आपसे सामान खरीदने पर अच्छा महसूस करने में सहायता करनी होगी । आपको इसके लिये आपके द्वारा बेची जाने वाली वस्तु या सेवा से सम्बंधित सारी जानकारी, आँकङे, बाजार भाव, तकनीकी सूचना रखनी होगी जिससे ग्राहक समझ सके कि आपसे ली गयी सेवा या वस्तु उचित है ।
अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचें ।
आजकल व्यापार में “अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचना” अत्यंत आवश्यक है । मेरा अभिप्राय यह है कि आपको पारम्परिक विचारधारा से आगे निकल कर सोचना होगा या आप पूर्व में जैसा करते रहे हैं उससे अलग हट कर सोचना होगा ।
ग्राहक से सामंजस्य बनाते समय “अपने दायरे से बाहर निकल कर सोचना” उपयोगी हो सकता है । कई बार अलग विचारधारा जो पूर्व में न किया गया हो ग्राहक को आकृषित करती है । यह पुरानी समस्याऔं के नये उत्तर देती है या ग्राहक को नई दिशा देती है ।
एक आयत बनाइये और सोचिये कि आपने क्या – क्या दायरे में रह कर किया है और सोचिये कि किस प्रकार आप ग्राहक को भिन्न द्विष्टकोण प्रदान कर सकतें हैं ।
ग्राहक द्वारा दी गई विस्तृत सूचना पर ध्यान दें ।
एक कम्पनी अपने विज्ञापन में लिखती थी कि वे ग्राहक द्वारा दी गई विस्तृत सूचना पर ध्यान देतें हैं । यह काफी गम्भीर तथा आकृषिक सूचना है जो नये सम्भावित ग्राहकों को बताती है कि कम्पनी अपने उत्तम उत्पादों तथा सेवाओं के लिये वचनवद्ध है । विस्तृत सूचना प्रत्येक व्यापार के लिये आवश्यक है । विस्तृत सूचना पर अनगिनत बार ध्यान न देना ग्राहक को परेशानी में डाल सकता है । ग्राहक आपसे क्या चाहिता है इस पर आप विस्तृत रुप से ध्यान देते हैं तो ग्राहक को कोई परेशानी या चिंता नहीं होगी । इस प्रकार ग्राहक अपना वक्त किसी और महत्वपूर्ण सूचना में लगा सकते हैं ।
सेवा या वस्तु में कोई कमी न हो ।
“सेवा या वस्तु में कोई कमी न हो” से मेरा अभिप्राय सेवा या वस्तु में कोई कमजोरी या आधा अधूरापन न होने से है । ग्राहक को पूर्ण सेवा प्रदान कर आपने जो एक काम प्रारम्भ किया था उससे समाप्त कर सकेगें । आपके काम में पूर्णता होगी तथा ग्राहक को आपकी सेवा में कोई कमी या रुकावट नहीं होगी । आपको जैसे ही कोई कमी या रुकावट पता पङ्ती है तो आपको तुरंत ध्यान देना चाहिये । इस तरह नई परेशानियाँ का तुरंत आप समाधान कर सकेंगें । आपके ग्राहक आशा करते हैं कि जैसे ही उनको सेवा या वस्तु आपसे मिलती है उससे सम्बंधित सारी कमियाँ दूर हो जायें ।
कोई गुप्त उददेश्य न हो ।
गुप्त उददेश्य होना बताता है कि आप अपने उददेश्यौं तथा लक्ष्य के प्रति पूर्णतया ईमानदार नहीं हैं । आपको ऐसा ग्राहक के साथ नहीं करना चाहिये । ऐसा होने पर आप ग्राहक का विस्बास खो सकतें हैं । आपको अपने उददेश्य तथा लक्ष्य सामने रखने चाहिये । आपको अपने उददेश्य तथा लक्ष्य के इस्तमाल के किये ग्राहक के साथ जोङ – तोङ नहीं करना चाहिये । अगर आपके ग्राहक आपको ऐसा करते हुये पातें हैं और अगर ये सत्य है तो आपके ग्राहक के साथ सम्बंध नकारात्मक प्रभाव डालेगें । किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जो गुप्त उददेश्य रखता हो तथा आपने उससे व्यापार किया होगा । आपने कैसा महसूस किया जब आपको उसके गुप्त उददेश्य के बारे में पता चला ।
अपनी आंतिरिक परेशानियाँ ग्राहक को न बतायें ।
कई बार कम्पनी में कई आंतिरिक परेशानियाँ होती हैं जो कम्पनी के कर्मचारीयों को ही पता रहतीं हैं । समय – समय पर प्रत्येक कम्पनी को ऐसा अनुभव होता है । ये समस्यायें कम्पनी को सुलझानी चाहिये इनका ग्राहक पर प्रभाव हो भी सकता है और नहीं भी । कई बार ऐसा हो सकता है कि ग्राहक को इन समस्यायें को बताने का नकारात्मक प्रभाव न हो, क्योंकि हो सकता है कि ग्राहक को दूसरे माध्यम से इनका पता चल जाये । लेकिन कई बार ग्राहक को इन समस्याऔं को बताने का कोई कारण नहीं होता, न ही ग्राहक से इनका सीधा सम्बंध नहीं होता । ग्राहक को इन समस्याऔं को बताने से बिना वजह चिंता होगी कि कम्पनी उसे आगे अपने उत्पाद, वस्तु या सेवा दे पायेगी ।
ग्राहक का आपसे सम्बंध का महत्व ।
जब आप किसी के महत्वपूर्ण मूल्य के बारे में सोचतें हैं तो आप इसको बनाये तथा बचाये रखने के लिये काम करतें हैं । जब आप किसी का कम मूल्य या कोई मूल्य नहीं सोचतें हैं तो आप इसको छोङ देते हैं या उसे महत्व नहीं देते । आप ग्राहक से सम्बंधों के बारे में क्या सोचते हैं, क्या आप इसे महत्वपूर्ण मानते हैं या नहीं ?
मानिये आप ग्राहक से सम्बंधों को महत्वपूर्ण मानते हैं तब क्या आप जैसा अभी ग्राहक से व्यवहार करतें हैं वैसा ही करेंगें या नहीं । क्या आप ग्राहक से व्यवहार बनाये तथा बचाये रखने के लिये काम करतें हैं या आप सोचते हैं कि इसका कम मूल्य या कोई मूल्य नहीं है । आप ग्राहक को कैसे बताते हैं कि आप ग्राहक से व्यवहार बनाये तथा बचाये रखने को महत्व देतें हैं ।
ग्राहक को भेङिया – भेङिया कह कर मत शोर मचाइये ।
आपने पुरानी भेङिया वाली सुनी होगी जिसमें गङरिया बार - बार गाँव वालौं को भेङिया – भेङिया कह कर अकारण सहायता के लिये आवाज लगाता था , परंतु एक बार वास्तव में भेङिया आया और गङरिया को बचाने इस बार कोई नहीं आया क्योंकि सभी ने सोचा इस बार भी गङरिया उनका मजाक उङा रहा है । इस कहानी का मूल यह है कि आपको ग्राहक से तब तक सहायता नहीं माँगनी चाहिये जब तक आपको सहायता की वास्तिवक आवश्यकता नहीं है । आपको यह कभी नहीं कहना चाहिये कि आपको सहायता की जरुरत है जबकि ऐसा नहीं है । ऐसा भी हो सकता है कि ग्राहक का धैर्य समाप्त हो जाये और वह आप पर ध्यान देना बन्द कर दे और आपको भेङियों के लिये छोर दे ।
ऐसा कुछ करें जिससे ग्राहक दूसरों से आपकी तारीफ करें ।
हो सकता है ग्राहक आपकी तस्वीर लेकर ना चलता हो और दूसरों को दिखाता और सुनाता हो कि आप कितने सुन्दर है । लेकिन आप जरुर चाहेंगें कि आपके ग्राहक व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करें । ये आपके लिये महत्वपूर्ण विज्ञापन हो सकता है जो कि रुपये पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है ।
एक तरीका जिससे ये सम्भव है कि ग्राहक व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करें जब आप ग्राहक के लिये अपनी तरफ से कुछ अधिक कोशिश करतें हैं । तब आप अपने आपको प्रतियोगिता में दूसरों से अलग दिखातें हैं । यही ग्राहक को व्यापार जगत में आपकी धनात्मक तारीफ करने के लिये प्रेरित करता है ।
ग्राहक से अधिक कार्य मत करवाओ।
आपका काम ग्राहक की सेवा करना है । आपको ग्राहक के काम को सरल बनाना चाहिये, न कि मुश्किल । आपको ग्राहक से व्यापार करने और कई अनेक सरल तरीके खोजने चाहिये । आपको ग्राहक से कम कार्य की अपेक्षा करनी चाहिये जैसे कि कम कागजी काम, कम लोगों से सम्पर्क, कम समय में कार्य सम्पादन । ये सब कार्य ग्राहक को आपके व्यापार करने के तौर-तरीकों के बारे में बताता है ।
ग्राहक से आप अपना भी कार्य मत करवाए।
ग्राहक से आप अपना भी कार्य मत करवाए । हो सकता हो कि ग्राहक को कार्य करने का समय न हो, शिक्षा न हो, अनुभव न हो या दिलचष्पी न हो । इसलिये आपके लिये ये जरुरी हो जाता है कि आप ग्राहक से सम्पर्क से पहिले अपने उत्पाद से जुङी सारी जानकारी रखें । आपको अपने उत्पाद तथा सेवा से जुङी सारी जानकारी के अलावा ग्राहक से जुङी जानकारी भी रखनी चाहिये । आपको ग्राहक को अपने उत्पाद तथा सेवा से जुङी सारी जानकारी ग्राहक को देनी चाहिये न कि इसका उल्टा ।
मैं आशा करता हूँ कि आपने अपना गृहकार्य कर लिया है ।
ग्राहक के पहुँच में रहें ।
ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध रखने के लिये व्यक्तिगत सम्पर्क आवश्यक है । सम्पर्क बनाने या बनाये रखना सम्पर्क के बिना कठिन है । आप तक ग्राहक की पहुँच ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध बनाने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है । यदि आप सिर्फ सदैव धन्यवाद देते हैं, टेलीफोन पर उत्तर देने वाली मशीन या ईमेल पर आफिस से बाहर हूँ वाला व्यवहार ग्राहक को अत्यन्त परेशान कर सकता है । ये नवीन तकनीकी सुविधाजनक है परंतु पुरानी तकनीकी को हटा नहीं सकती हैं जिनमें ग्राहक से जीवंत सम्बन्ध बनाने में जोर दिया जाता है । इलेक्ट्रोनिक साधनों पर अधिक भरोसा न करें । आप अपने आपको ग्राहक के पहुँच में रखें । आपको ग्राहक से व्यक्तिगत सम्पर्क रखने के लिये समय देना चाहिये । यह आपके लिये ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण निवेश होगा ।
जबाबदेयी बनें ।
ग्राहक के प्रति जबाबदेयी बनने के लिये समय से चलना आवश्यक है । जबाबदेयी बनना माने ग्राहक को तुरंत जबाब देना । जब ग्राहक आपसे कोई सवाल पूछता है या कुछ माँगता है तब ग्राहक आशा करता है कि आप उसे शीघ्र सुनेगें तथा जबाब देगें । यदि आपकी तरफ से इसमें कोई देरी होती है तो यह ग्राहक को सूचित करती है कि आप ग्राहक द्वारा दिये गये काम से कुछ अधिक जरुरी काम कर रहे हैं । मैं ग्राहक को अपना अधिक जरुरी काम करने के बाद जबाब दूंगा ।
इसके बजाय आपको ग्राहक को इस तरह का सन्देश देना चाहिये कि आपकी समस्या मेरी प्रमुखता है मैं शीघ्रातिशीघ्र आपकी समस्या का निष्पादन करुंगा ।
उत्तरदायी बनें ।
उत्तरदायी बनने का अर्थ काफी बङा होता है । इसका अर्थ ग्राहक जैसी सेवा की अपेक्षा तथा योग्य होता है आप उसे वह प्रदान कर रहे हैं । और ग्राहक को जैसी सेवा मिली है आप उसका पूर्णरुप से आलोचना या प्रशंसा सुनने के लिये तैयार हैं । यदि ग्राहक के साथ सारा कुछ अपेक्षित न चल रहा हो तो उत्तरदायी बनना या उत्तरदायित्व तय करना समस्या खङी करता है । समस्या के लिये किसी को उत्तरदायी ठहराना काफी बङी बात है लेकिन इससे ग्राहक से अच्छा सम्बन्ध रखने में कोई सहायता नहीं मिलती है । अगर आप ग्राहक की किसी समस्या के लिये जिम्मेदार हैं तो आपको उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिये । इससे समस्या को बिना किसी देरी के सुधारने में मदद मिलती है । आप ऐसी समस्या के बारे में सोचिये जिसके लिये आप जिम्मेदार थे तथा आपने बिना किसी देरी के समस्या को सुधारने में मदद की ।
लचीलापन रखें ।
लचीलापन रखने से मेरा अर्थ बङा ही साफ है कि आप ग्राहक के लिये कई तरह से झुकने कि लिये तैयार रहें । ग्राहक कई सम्भावित उत्तर पसन्द करतें हैं । कोई भी कुछ पूर्वनिर्धारित नियम थोपा जाना पसन्द नहीं करता है । परिस्थिती के अनुसार ग्राहक सम्भावित दिशा में जाना पसन्द करेगा । कई बार हम व्यापार में पूर्वनिर्धारित नियम थोपतें हैं जिससे हम व्यापार में लचीलापन खो देते हैं । जो कि ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने के लिये आवश्यक है ।
भरोसेमन्द बनें ।
जब ग्राहक महसूस करता है कि आप भरोसेमन्द हैं यह आपके व्यापार मैं ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने के लिये महत्वपूर्ण घटक है । ग्राहक का भरोसा पाने के लिये आपको काफी प्रयत्न करना पङ्ता है । भरोसा होने पर ग्राहक आपसे झुकाव महसूस करता है तथा दूसरों को भी बताता है कि आप पर उसका पुराना भरोसा है । जिन्दगी में आप कई बार इसकी आवश्यकता महसूस न हो पर भरोसा होना ग्राहक पर धनात्मक प्रभाव डालता है । ऐसा होने पर ग्राहक आपसे ज्यादा से ज्यादा व्यापार करता है ।
सम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङिये ।
कोई भी सम्बन्ध तोङ्ना नहीं चाहता है पर दुर्भाग्यवश जिन्दगी तथा व्यापार में आप ऐसा करने को मजबूर होतें हैं । सम्बन्ध तोङ्ने के कई तरीके हैं हो सकता है आप असभ्य तरीके से सम्बन्ध तोङे इस तरीके से आप ग्राहक से पुरानी मधुर स्मितयों को भी नुकसान पहुँचा सकतें हैं । अगर इस बार आप किसी वजह से ग्राहक से व्यापार या अनुबन्ध खोते है तो आपको याद रखना चाहिये कि यह आपके ग्राहक से पुराने सम्बन्धों को हानि ना पहुँचाऐ । अगर आप क्रोध में व्यापार या अनुबन्ध खोने के सिलसिले में ग्राहक से बात करते हैं तो हो सकता है कि भविष्य में आपसे ग्राहक व्यापार न करे । हो सकता है कि आप ग्राहक को अपना व्यापार दूसरे व्यापारी से स्थानांतरित करने में सहायता न करें । परंतु ऐसे कई तरीके हो सकते है कि जिसमें आप सम्मानपूर्वक ऐसा कर सकें । आप सोचिये कि ऐसे कौन – कौन से तरीके हैं जिसमें आप सम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङ सकें ।
--- असम्मानपूर्वक सम्बन्ध तोङिये ।
कभी नहीं ।
क्षमता से अधिक वादे न करें ।
आप जिस प्रकार व्यस्त हैं उसमें ऐसा हो सकता है कि आप ग्राहक से अपनी क्षमता से अधिक वादा कर दें । विशेषकर ऐसा हो सकता है कि आप ग्राहक को बेहतर से बेहतर सेवा प्रदान करने के लिये उससे क्षमता से अधिक वादे कर दें । यह आप ग्राहक से अच्छे सम्बन्ध बनाने या बनाये रखने की आशा में करते हैं । लेकिन यदि आप अपना वादा पूरा नहीं कर सके तो ग्राहक से बने बनाये अच्छे सम्बन्ध वैसे ही नहीं रहेंगे । इसलिये ये अच्छा हो सकता है कि आप पहिले से ही आप क्षमता से अधिक वादे न करें । ऐसी स्थिती में आप ग्राहक को कोई भी इच्छायें अधूरी नहीं होंगी ।
जब आपको न कहना हो तब आप न कहें यह एक अच्छा गुण हो सकता है । यह ग्राहक में आपके प्रति भरोसा तथा सम्बन्ध बनाये रखेगा ।
आप जैसा कहते हैं वैसा करें ।
आपके ग्राहक से सम्बन्ध विश्बास पर आधारित हैं । ग्राहक आप पर भरोसे के आधार पर आपको व्यापार देता है । आप इस विश्बास को मत हिलाइये । भरोसे का एक बङा भाग आपके ग्राहक से वादों को निभाना है । अगर आपने ग्राहक से कुछ वादा निभाया है तो उसे पूरा करें । इन्हें आपको किसी भी कीमत पर पूरा करना चाहिये चाहे आपको इसमें व्यापार से पैसा लगाना पङे । भविष्य में आपको इससे फायदा पहुँचेगा ।
बहुत अधिक ज्यादा भी न बेचें ।
जिन्दगी में कई चीजों की तरह अच्छी चीजे आपके पास ज्यादा भी हो सकती हैं । ये विक्रय पर भी लागू होती है चूंकि विक्रय से ही मुनाफा होता है, न बेचना नुकसानदेह हो सकता है । ऐसा हो सकता है कि ग्राहक अधिक पढा-लिखा न हो कि उसे आपकी सेवा तथा उत्पादों से क्या फायदा है यह पता न हो । एक लक्ष्य यह भी हो सकता है कि इनमें समंवय लाया जाये । बेचना दवाई की तरह है एक अनुपात में देने से कई फायदे होतें हैं परंतु अधिक या कम देना ग्राहक को नुकसान पहुचा सकता है अधिक बेचने पर ग्राहक सन्देह प्रकट कर सकता है, झुँझला सकता है या सवाल कर सकता है कि सही मात्रा क्या होनी चाहिये । कई बार अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने के लिये कम बेचना ज्यादा अच्छा है ।
ग्राहक के दृष्टिकोण से सोचें ।
कई बार ग्राहक का दृष्टिकोण कोई बाहर वाला सही तरीके से बता सकता है । आप समस्या के इतने करीब होतें है कि आप सही समाधान नहीं बता सकते । इसलिये कोई ऐसा जो कम्पनी से सम्बध न हो ग्राहक के सही दृष्टिकोण को बता सकता है । यदि आप के पास ग्राहक के व्यापार, कार्यप्रणाली तथा इसमें काम करने वाले व्यक्तियों इतनी महत्वपूर्ण ज्ञान होता है जो और किसी के पास नहीं होता है । ऐसे में आप ग्राहक के दृष्टिकोण को बेहतर बता सकते हैं। और आप ग्राहक को अधिक तथा अनपेक्षित लाभ दिला सकतें हैं ।
लेकिन आप को इस जानकारी को ग्राहक को इस प्रकार बताना चाहिये कि वह इसे धनात्मक तरीके से ले, न कि इससे आपके सम्बन्ध खराब हों क्योंकि कई मामले अत्यंत ज्वलंत हो सकते हैं ।
ग्राहक के लिये कागजी काम कम करें ।
आपको सदैव ग्राहक से कई सारी जानकारी की आवश्यकता होती है यह आपको आज तथा भविष्य में ग्राहक की जरुरतें बताती है । लेकिन इस जानकारी के लिये ग्राहक को काफी कागजी काम करना पङ्ता है । ग्राहक से सम्बन्ध बनाये रखने के लिये आपको कागजी काम कम से कम रखना चाहिये । आप ही सोचिये अगर आप कुछ खरीदने जाये और आपसे कई कागजी फार्म भरवाये जायें । आप कितना प्रसन्न महसूस करेंगें ठीक वैसा ही ग्राहक भी महसूस करता है जब आप उससे व्यापार करते समय कागजी फार्म भरने को कहते हैं ।
विपदा योजना तैयार रखें ।
आपको सदैव विपदा से निपटने की योजना तैयार रखनी चाहिये । आपको सदैव यह सोचना चाहिये कि अगर ऐसा हो तो ? सोचिये आपको नियत तिथि पर अपने ग्राहक को माल भेजना हो या कार्य पूरा करना हो । ऐसी स्थिती में आप क्या विपदा योजना तैयार रखेंगें ? आपको किसी दूसरे तरीके से निर्धारित स्थान तक सामान पहुचाने का तरीका तैयार रखना चाहिये । क्या हो अगर सामान्य तरीके से सामान भेजे और यह समय से न पहुँचे । ऐसी कौन सा विपदा योजना है जो आपको भविष्य में ऐसा होने से रोके ।
नवीनता लाइये ।
कई बार ऐसा होता है कि व्यापार में नवीनता लाने का कोई अवसर उपलब्ध न हो विशेषकर जब आप ग्राहक से सम्बन्ध बङाने के बारे में सोच रहे हों । अधिकतर हम पारम्पिरक तरीका प्रयोग में लातें हैं क्या हो यदि ये तरीके अधिक उपयोगी न हों ?
क्यों न हम कुछ नया अमल में लायें क्योंकि हो सकता है कि ये हमारे लिये जागने तथा कुछ नया करने का समय हो सकता है जो व्यापार में नयी उमंग लाये । पारम्पिरक तरीके के बजाय कुछ नया कीजिये । कुछ ऐसा कीजिये जो आपने पहिले कभी न किया हो । नवीनता लाइये । हो सकता है कि आप किसी नई परम्परा की शुरुवात कर रहे हों जो कि पुराने नियमों को झुठला दे ।
80/20 का फार्मूला प्रयोग में ना लायें ।
पुराने 80/20 नियम के अनुसार आप अपना 80% समय 20% ग्राहकों के साथ बितातें हैं । मानिये कि 20% ग्राहक ऐसे हैं जो आपका ध्यान चाहतें हैं किंतु क्या यह सही है कि आप इस प्रकार अपना समय दें। यदि ये आपके सही है तो क्या 20% ग्राहक आपके 80% व्यापार को प्रतिनिध्तिव करतें हैं । यदि नहीं तो क्या यह 80% ग्राहक के लिये सही है जो आपके अधिकतर व्यापार को प्रतिनिध्तिव करतें हैं । माना कि 80% ग्राहक ऐसे हैं जो संतुष्ट हैं किंतु उनको भी आपको सभी के जैसा समान रुप से समय देना चाहिये ।
अपनी ओर् आगे बङ कर सक्रिय होना ।
आगे बङ कर सक्रिय होना से मेरा अर्थ ग्राहक के बताने से पूर्व स्वयं आगे बङ कर समझ लेना है । ऐसा करके आप सभी मामलौं में आगे रहतें हैं और कोई भी चीज अपने नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देते । ग्राहक आगे बङ कर सक्रिय रहने वाले व्यापारी को ज्यादा पसन्द करतें हैं बजाय उसके जिसको हर बात बतानी पङे । जब आप आगे बङ कर स्वयं ग्राहक की परेशानी या समस्या पर काम करते हैं तो आप नुकसान से बचाव ज्यादा अच्छे तरीके से करतें हैं । आगे बङ कर सक्रिय रहने पर आप अपनी ऊर्जा तथा समय का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि आप इसमें आपातस्थिति का इंतजार नहीं करते हैं । आगे बङ कर सक्रिय रहने पर सभी को विशेषकर ग्राहक को तनाव कम होता है ।
समस्या खङी होने से पहिले समाधान करें ।
आप क्या पसन्द करेंगें --
अ. ग्राहक को समस्या आने पर बेहतर से बेहतर सेवा देना
ब. समस्या आने ही न देना
सही उत्तर – ब । ग्राहक सम्भवतया “समस्या आने ही न देना” ही ज्यादा पसन्द करेगा । यही बेहतर ग्राहक की सेवा है जो ग्राहक अनुभव करना चाहेगें । गुणवत्ता प्रक्रिया यही सिखाती है । गुणवत्ता पाने के लिये आपको समस्या आने से रोकना होगा ।
शुरुवात से ही सही दिशा में चलें ।
गुणवत्ता प्रक्रिया की दूसरा मूलभूत शिक्षा है पहली बार से ही समस्या आने ही न देना है । सोचिये यह् आपके ग्राहक के लिये क्या माने रखता है । यह आपके ग्राहक तथा आपके व्यवसाय की लागत कैसे बङाता है । आपके व्यवसाय की लागत बङाने के अलावा यह ग्राहक से आपके समबन्ध को कैसे प्रभावित करता है । ग्राहक से आपके समबन्ध प्रभावित होना ही सबसे बङी लागत है ।
ग्राहक से कार्य संपादन के समय में कमी लायें ।
चक्रीय समय वह है जो बार – बार एक प्रक्रिया को पूरा होने में लगता है । चक्रीय समय को घटाने से उत्पादकता, क्षमता, दक्षता बङती है । जब भी आप चक्रीय समय घटाते हैं आप ग्राहक के पैसे बचाते हैं । कई बार व्यापारी केवल अपना चक्रीय समय घटाना चाहता है , ग्राहक का नहीं । ये भी सोचना चाहिये कि ग्राहक का चक्रीय समय कैसे घट सकता है जैसे कि ग्राहक का आर्डर भेजना का समय या बिल का पेमेंट भेजने में लगे समय को कम करना । इन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना के अलावा ग्राहक के व्यापार के चक्रीय समय को और कैसे कम कर सकतें हैं ।
ग्राहक के साथ एकरसता में कार्य करें ।
एकरसता में काम कर हम एक टीम में कार्य करते हैं बजाय टुकङों में बँट कर । एकरसता में काम करना माने 5 + 5 = 11 या और भी ज्यादा । उदाहरण के लिये – 10 लोग मिल ज्यादा अच्छा परिणाम ला सकतें हैं बजाय 10 व्यक्ति अलग - अलग काम करें । एकरसता में काम करने से प्रतिभा, अनुभव, नवोत्पाद, सृजनात्मकता, रचनात्मकता तथा समग्रता का एहसास कराता है । एकरसता टीम में तथा साथ – साथ काम करने की कुंजी है । एकरसता में काम करना ग्राहक से संबन्धों को मजबूती देता है । एकरसता में काम कर आप या ग्राहक कोई भी अकेला महसूस नहीं करेगा ।
अपने कम्पनी की जटिलताऔं को कम करें ।
आप इसे कई नामों से बुला सकतें हैं जैसे कि नियम, प्रक्रिया, नीति, आवश्यकता, प्रथा, परंपरा, कार्यप्रणाली । लेकिन ग्राहक के लिये ये सभी एक समान हैं – एक बङी जटिलता । आप सोचिये अगर आपको कई सारे नियमों को पूरा करना पङे या कई सारे फार्मों को पूरा करना पङे तो आपको कैसा लगेगा । आपको व्यापार से जुङी इस लाल-फीताशाही को घटाने का प्रयत्न करना चाहिये ।
ग्राहक के लिये नियमों में सरलता लायें ।
एक पुरानी कहावत है कि नियम तो तोङ्ने के लिये ही बने हैं । हो सकता है जीवन में सतता बनाने के लिये यह अच्छा तत्व-ज्ञान न हो परंतु ग्राहक से व्यापार करते समय यह बुध्दिमानी पूर्ण हो सकता है वो भी तब जबकि आपको उस ग्राहक को उन नियमों से गुजरना पङे ।
क्या आपके संगठन के नियम ग्राहक से व्यापार के लिये परेशानी बङाते हैं या ये ग्राहक और आपके संबन्धों में रुकावट डालते हैं । क्या संगठन में नकारात्मक प्रभाव डाले बिना इन नियमों की उपेक्षा हो सकती है तो यह “नियम तो तोङ्ने के लिये ही बने हैं” का अच्छा उदाहरण होगा ।
आपको उन परिस्थितियों तथा कारणों को बताना होगा जिसके लिये आप नियमों को तोङ रहे हैं । निश्चितरुप से ग्राहक आपके अलग से किये गये प्रयत्नों की प्रशंसा करेगा । हर कोई कभी-कभी नियमों को तोङता है ।
समस्या का समाधान करने वाले बनें ।
ग्राहक की सहायता करने का एक तरीका उसकी समस्या को हल करना है । ऐसा करने में मैं आपको समस्या या समाधान का भाग होना चाहिये, न कि परेशानी का । कई बार हो सकता है चूँकि आप ग्राहक के संगठन का हिस्सा नहीं होतें हैं इसलिये आप बेहतर तरीके से इन समस्या के उत्तर ढूढने और अमल में लातें हैं । समस्या का समाधान पाने के लिये आपको कोई माडल अपनाना चाहिये । निम्न माडल आपको आपके लक्ष्य को पूरा करता है :
१ समस्या को जानने में ग्राहक के साथ काम करें । कई बार यह कठिन हो सकता है । अगर आप सही ढंग से समस्या को नहीं समझते हैं समस्या का समाधान जानना बिलकुल असंभव होगा । कई बार आप ग्राहक के मुकाबले समस्या को सरल तरीके से जानतें हैं ।
२ समस्या का मूल जानने की कोशिश करें । यह जरुरी नहीं कि समस्या का मूल वही हो जो ग्राहक बता रहा हो । कई बार आपको समस्या का मूल जानने के लिये गहन छानबीन करनी पङेगी ।
३ समस्या का सम्भावित उत्तरों पता लगाइये । तरह-तरह की राय जानिये । इसमें ग्राहक के कर्मचारियों, विक्रेता तथा ग्राहक के ज्ञान तथा अनुभव का सहयोग लीजिये ।
४ समस्या का सबसे सही उत्तर को चुनिये । मैं पुनः बताना चाहूँगा कि जितने ज्यादा लोग आप इसमें शामिल करेंगें उतने बेहतर परिणाम आपको मिलेंगें ।
५ आप ग्राहक से कार्यवाही पूरा कर सुनिश्चित कीजिये कि आपने समस्या का सही समाधान दिया है तथा ये समस्या अब भविष्य में नहीं पुनः होगी ।
ग्राहक को सही दिशा में ले जायें ।
यह काफी महत्वपूर्ण है कि ग्राहक को सर्वश्रेष्ठ सेवा मिले । आपको ये लक्ष्य पाना होगा और ये जरुरी नहीं कि सेवा कौन देता है हो सकता है कि कोई और । ग्राहक से अच्छे संबन्ध रखने के लिये उसे वहाँ भेजे जो उसकी जरुरतें सही से पूरा कर सके । इस तरह ग्राहक की जरुरतें सही से पूरी होंगी । यह आपकी पहली और प्रमुख प्राथमिकता होती है । इससे आपके ग्राहक से संबन्ध और मजबूत होंगे ।
गुणों की खान है नीबू
नई दिल्ली, भाषा : नीबू का नियमित सेवन सेहत के लिहाज से बेहद लाभकारी है। विटामिन सी से भरपूर नीबू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही एंटी आक्सीडेंट का काम भी करता है। एक नीबू दिन भर की विटामिन सी की जरूरत पूरी कर देता है। शायद इसके स्वास्थ्य रक्षक गुणों के चलते ही पश्चिमी देशों में इसके सेवन को बढ़ावा देने के लिए 29 अगस्त को लेमन जूस डे मनाया जाता है। खाने में नीबू का इस्तेमाल कब से हो रहा है इसके निश्चित प्रमाण तो नहीं हैं लेकिन यूरोप और अरब देशों में लिखे गए दसवीं सदी के साहित्य में इसका जिक्र मिलता है। मुगल काल में नीबू को शाही फल माना जाता था। कहा जाता है कि भारत में पहली बार असम में नीबू की पैदावार हुई। फोर्टिस अस्पताल की आहार विशेषज्ञ साक्षी चावला ने बताया कि किसी भी अन्य फल के मुकाबले नीबू में विटामिन सी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। यह एंटी आक्सीडेंट की तरह काम करता है और कोलेस्ट्राल भी कम करता है। साक्षी ने कहा कि नीबू में मौजूद विटामिन सी और पोटेशियम घुलनशील होते हैं, जिसके चलते ज्यादा मात्रा में इसका सेवन भी नुकसानदायक नहीं होता। रक्ताल्पता से पीडि़त मरीजों को भी नीबू के रस के सेवन से फायदा होता है। यही नहीं, नीबू का सेवन करने वाले लोग जुकाम से भी दूर रहते हैं। बहरापन दूर करेगी जीन थिरैपी वाशिंगटन, एजेंसी : सुनने की समस्या (बहरापन) से ग्रस्त विश्व के लाखों लोगों को चिकित्सक अब जीन थिरैपी की मदद से ठीक करने की तैयारी में हैं। नेचर मैगजीन में प्रकाशित हालिया अध्ययन में कहा गया है कि कान के अंदर की कोशिकाओं को फिर विकसित कर बहरेपन की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सकती है। डा. जान ब्रिगांदे के नेतृत्व में अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक दल ने इसके लिए चूहे पर प्रयोग किए। इसके तहत बालों की वृद्धि को नियंत्रित करने वाली कोशिका एटो 1 के जीन को गर्भ में पल रहे एक चूहे के कान के अंदरूनी हिस्से में प्रत्यारोपित कर दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि उसके कान में नई कोशिकाएं विकसित होने लगीं। डेली टेलीग्राफ में ब्रिगांदे के हवाले से कहा गया है कि उन लोगों के लिए यह उत्साहवर्द्धक खबर है जिनकी सुनने की क्षमता कम हो गई है और कानों में झनझनाहट होती रहती है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि एक दिन हम ऐसे मरीजों की सुनने की क्षमता फिर बहाल करने में समर्थ होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि शोधकर्ताओं को अपने प्रयोग में कान के अंदरूनी हिस्से में बालों की वृद्धि नियंत्रित करने वाली नई कोशिकाएं विकसित करने में मदद मिली।
Tuesday, August 26, 2008
पाक विधि- नारियल बर्फ़ी
सामग्रीः 200 ग्राम नारियल पाउडर, 200 ग्राम चीनी, 700 - 800 मिलिलीटर दूध, एक चम्मच देसी घी
सारी चीज़ों को मिलाकर धीमी से मध्यम आँच पर पकायें। बीच बीच में हिलाते रहें ताकि दूध नीचे न लगे। इसे तब तक पकायें जब दूध का खोया न बन जाये और वह बर्तन से न चिपकते हुये अलग होना शुरू हो जाये। बस बर्फ़ी तैयार है। इसे किसी प्लेट में निकाल कर मनचाहे आकार में काट लें या रोल कर लें। उसपर नारियल पाउडर छिड़क कर सजायें। नारियल पाउडर यहां सभी सुपरमार्किटों में Kokosraspel के नाम से उपलब्ध है। देसी घी केवल इसलिये उपयोग किया जाता है ताकि मिश्रण बर्तन के साथ न चिपके। हल्के तले वाले बर्तन में भी चिपकने का डर होता है, इसलिये भारी तले वाले बर्तन में पकायें।
सारी चीज़ों को मिलाकर धीमी से मध्यम आँच पर पकायें। बीच बीच में हिलाते रहें ताकि दूध नीचे न लगे। इसे तब तक पकायें जब दूध का खोया न बन जाये और वह बर्तन से न चिपकते हुये अलग होना शुरू हो जाये। बस बर्फ़ी तैयार है। इसे किसी प्लेट में निकाल कर मनचाहे आकार में काट लें या रोल कर लें। उसपर नारियल पाउडर छिड़क कर सजायें। नारियल पाउडर यहां सभी सुपरमार्किटों में Kokosraspel के नाम से उपलब्ध है। देसी घी केवल इसलिये उपयोग किया जाता है ताकि मिश्रण बर्तन के साथ न चिपके। हल्के तले वाले बर्तन में भी चिपकने का डर होता है, इसलिये भारी तले वाले बर्तन में पकायें।
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