Monday, June 8, 2009

जिनीवा की एलिजाबेथ

प्रस्तुति - नवभारत टाइम्स

स्विट्जरलैंड की यह भक्त आजकल रामेश्वरम (तमिलनाडु) के मंदिरों में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका नाम एलिजाबेथ िगलेर है। जिनीवा की एलिजाबेथ यहां के रामनाथस्वामी मंदिर में हर साल 4-5 लाख रुपए दान करती है। मंदिर ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष भानुमति नाचिआर ने बताया: अक्टूबर 2004 में एलिजाबेथ ने एक फैक्स भेजकर मंदिर को दान देने की बात कही थी। तब किसी ने उस पत्र का जवाब नहीं दिया।

भानुमति ने कहा जब मैं 2006 में ट्रस्टी बोर्ड का अध्यक्ष बना तो मैंने उसके पत्र को फाइलों में पड़ा देखा। मैंने उसे जवाब दिया और फिर उसने उसी साल हमारे द्वारा बताए गए एकाउंट नंबर में चार लाख भेज दिए। उसके बाद से हर साल यह सिलसिला जारी है।

भानुमति ने बताया: हमें अफसोस है कि हममें से किसी ने भी उसे देखा नहीं है। अगर वह कभी यहां आई भी है तो भगवान रामनाथस्वामी और देवी पर्वतवर्धनी के चुपचाप दर्शन कर के ही निकल गई।

इस साल इस भक्तिन ने कमाल ही कर दिया। उसने फैक्स करके इच्छा जताई कि वह एक बड़ी रकम भेजना चाहती है। भानुमति ने कहा: हमें उम्मीद नहीं थी कि यह इतनी बड़ी रकम होगी। उसने 2 करोड़ आठ लाख की रकम मंदिर के खाते में ट्रांसफर कर दी है। यह रकम इस साल 19 फरवरी को मंदिर के खाते में आई।

एलिजाबेथ ने इस रकम को खर्च करने के लिए जो निर्देश दिए थे वह हर साल की ही तरह थे। उसने कहा था: यह रकम डेली पूजा के अलावा रकम महाशिवरात्रि और रूद्र पूजा समारोह पर खर्च की जाए। हर साल 11 दिसंबर को 101 गरीब लोगों को भोजन भी कराया जाए। भानुमति ने बताया: हम उससे मिले नहीं हैं। साथ ही हम उसकी जिन्दगी में 11 दिसंबर का क्या महत्व है को भी नहीं जानते, पर उसकी इच्छा का सम्मान जरूर करते हैं।

4 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

एक विदेशी की ऐसी भक्ति देख विस्मय होता है...अच्छी शुरुआत है आध्यात्म की और....

राज भाटिय़ा said...

अगर उन का कोई अता पता हो तो हमे बताये,या कोई फ़ोन ना० हो तो बताये,भाई यह लोग भी हमारी तरह से ही शांति की खोज मै लगे है, हमारी तरह ही दुखि भी है.

ghughutibasuti said...

बहुत रोचक!
घुघूती बासूती

Vishal Gupta said...

quite interesting. some thing very unlikely to be seen in India