प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में पिछले 4 से 11 दिसंबर 2009 तक हुए नोबल पुरस्कार समारोह में भारत के अपूर्व मिश्रा को युवा वैज्ञानिक के अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वे अकेले भारतीय हैं। मात्र 19 साल के अपूर्व ने दो आविष्कार किया है जिसका उपयोग विश्वस्तर पर हो रहा है। ग्लेविनेटर को अमेरिका तथा विशेष बोतल को भारत ने पेटेंट किया है। नोबल फाउंडेशन तथा स्वीडिश फेडरेशन आफ यंग साइंटिस्ट की ओर से अपूर्व को स्टाकहोम आमंत्रित किया गया था।
स्वीडन से लौटकर अपूर्व अपने नाना से मिलने जगदलपुर आए। उन्होंने अपने रिसर्च वर्क तथा उपलब्धियों के विषय में भास्कर से चर्चा की। उड़ीसा के भुवनेश्वर निवासी अपूर्व को वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा अपने नाना लक्ष्मीनारायण दास से मिली। कुछ साल पहले उनके नाना को पेरालिसिस अटेक हुआ। रोजाना की दिनचर्या में होने वाली परेशानी को देखते हुए ग्लेविनेटर के आविष्कार की सोच दिमाग में उपजी। लकवा पीड़ित व्यक्ति हिलने डुलने में असमर्थ होता है।
खाना-पानी लेने, कपड़े बदलने, शौच और पेशाब जाने जैसे जरुरी काम वह कर नहीं पाता और परिजनों को बताने में भी समर्थ नहीं होता। ग्लेविनेटर का आविष्कार कर अपूर्व ने लकवा पीड़ित तथा विकलांगता से परेशान लोगों को राहत देने का काम किया है। जिसका उपयोग विश्व स्तर पर हो रहा है।
ग्लेविनेटर हेलमेट के आकार का मिनी कंप्यूटर जैसा उपकरण है जो माथे और भौंह के बीच के मांसपेसियों की संवेदना से काम करता है। मरीज को पानी या भोजन चाहिए अथवा बाथरुम जाना है, कपड़े बदलना है यह सारी बातें कंप्यूटर के स्क्रीन पर आ जाती है। स्पीकर के माध्यम से साथ बैठे व्यक्ति को यह संदेश मिल जाता है कि मरीज को किस चीज की जरुरत है। सेंसर और ट्रांसमीटर लगा होने से रोगी के दिमाग में उपजी इच्छा स्क्रीन पर दिख जाती है।
ग्लेविनेटर में लकवा पीड़ित व्यक्ति से संबंधित आप्शन होता है। अपूर्व ने सौ से अधिक मरीजों पर प्रयोग किया है। अमेरिका में पेटेंट इस सस्ते उपकरण का उपयोग पूरे विश्व में हो रहा है। अपूर्व की इच्छा है ग्लेविनेटर को अधिक एडवांस स्वरुप देना, ताकि टेलीविजन देखने, फ्रिज, पंखा के उपयोग समेत अन्य जरुरतों को जानना जो लकवा पीड़ित चाहता है। ग्लेविनेटर का उपयोग फाइटर एयरक्राफ्ट में भी होने लगा है। जब विमान उड़ाते समय पायलट का हाथ और पैर व्यस्त रहता है। इस आविष्कार के लिए पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम ने 2006 में नेशनल टेक्नालाजी अवार्ड से सम्मानित किया।
स्वीडन के समारोह में नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक थामस ए स्टिट्ज, जान डिमहावर, जार्ज ई स्मिथ, जेक डब्लू जोस्टाक, कैरोल डब्लु ग्रेडर, वेंकटरमन रामकृष्णन तथा स्वीडन और लातविया में भारत के राजदूत बालकृष्ण शेट्टी, नोबल पुरस्कार कमेटी के सेक्रेटरी डा. गोरेन के हेनसान समेत स्वीडन के महाराजा, महारानी, प्रधानमंत्री और विश्व के महान हस्तियों ने भारत के इस युवा वैज्ञानिक से रिसर्च वर्क पर चर्चा कर शाबासी दी।
अपूर्व कहते हैं भविष्य में उनकी योजना मानव और मशीन के बीच के गहरे संबंध पर रिसर्च करना है। वे ईमेल के जरिए विश्वस्तर के वैज्ञानिकों से संपर्क कर विभिन्न आविष्कार पर मार्गदर्शन लेते हैं। टोरेंटो यूनिवर्सिटी के स्टीव मेन, वैज्ञानिक डीन केमेन तथा इन्टेल के चेयरमेन क्रेग बैरेट को रोल माडल मानते हैं जिनकी मदद से विश्व स्तर पर भारत के इस प्रतिभा को ख्याति और अवसर मिला।
7 comments:
अरे वाह ये तो बहुत ही खुशी की बात है
इस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥
अरे वाह ये तो बहुत ही खुशी की बात है
इस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥
बहुत सुखद खबर सुनाई आपने.
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बहुत बढिया उपलब्धि ।
नववर्ष की शुभकामनाएँ!
हमे मान होना चाहिये ऎसे महान युवा नोजवामो पर,
धन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए
वाह इन दो अविष्कारों के बारे में तो हमने सुना ही नहीं था, बधाई हो अपूर्व को और आपको धन्यवाद।
सही दिशा में किए गए आविष्कार। अपूर्व बहुत बहुत बधाइयो के हकदार हें। छोटी उम्र है। अभी वे बहुत कमाल कर सकते हैं।
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