सौजन्य से - दैनिक भास्कर
नई दिल्ली. आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने दिन के समय भी घनी झुग्गी बस्तियों में अंधेरा दूर भगाने का सफल प्रयोग करते हुए कई घरों में उजाला किया, वो भी बिना बिजली खर्च किए। आईआईटी एनएसएस यूनिट से जुड़े छात्रों ने झुग्गीवासियों को इसके लिए प्रेरित किया है। इसमें इस्तेमाल होगी दो लीटर कोल्डड्रिंक की खाली बोतल और उसमें भरा साफ पानी। खास बात यह है कि अक्सर कोल्डड्रिंक की खाली बोतलों को कबाड़ में फेंक दिया जाता है। लेकिन यही बोतल 50 से 55 वाट तक की रोशनी से घरों को रोशन कर रही है।
आईआईटी दिल्ली के छात्र रीवेंट सोनी ने बताया कि दो दिनों तक आईआईटी में पहले छात्रों को यह बताया गया कि बोतल से किस तरह प्रोटोटाइप बल्ब बनाकर झुग्गी बस्ती में रोशनी करनी है। इस प्रोजेक्ट को हमने 'लाइटर लाइट प्रोजेक्ट नाम दिया। वर्कशॉप के बाद 130 छात्रों में से 25 के हाथ में प्रोटोटाइप बल्ब रूपी बोतलें थीं, जिन्हें घरों की छतों में फिट करना बाकी था। इसमें अहम भूमिका निभाई मुंबई से आने वाले प्रदीप और रंजीत ने जो माई शेल्टर फाउंडेशन इंडिया संस्था चलाते हैं। इन्होंने ही यह 50 से 55 वाट का बल्ब हमें बनाना सिखाया।
ऐसे बनता और रोशनी करता है बल्ब
छात्रों ने बताया कि दो लीटर खाली प्लास्टिक की बोतल में पहले पानी भरना होता है। बोतल का पारदर्शी होना जरूरी है। इसके बाद उसे ऊपर से पूरी तरह से बंद करना पड़ता है। इसे ऐसे फिट करना होता है कि बोतल का एक तिहाई हिस्सा झुग्गी या घर की छत के ऊपर और दो तिहाई हिस्सा छत के अंदर कमरे में रहे। इसके बाद सूरज की रोशनी जैसे ही पानी में आएगी, वैसे ही अंधेरे घर में 50 से 55 वाट के बल्ब जैसी रोशनी हो जाएगी और अंधेरा दूर हो जाएगा।
छात्रों ने बताया कि दो लीटर खाली प्लास्टिक की बोतल में पहले पानी भरना होता है। बोतल का पारदर्शी होना जरूरी है। इसके बाद उसे ऊपर से पूरी तरह से बंद करना पड़ता है। इसे ऐसे फिट करना होता है कि बोतल का एक तिहाई हिस्सा झुग्गी या घर की छत के ऊपर और दो तिहाई हिस्सा छत के अंदर कमरे में रहे। इसके बाद सूरज की रोशनी जैसे ही पानी में आएगी, वैसे ही अंधेरे घर में 50 से 55 वाट के बल्ब जैसी रोशनी हो जाएगी और अंधेरा दूर हो जाएगा।
रविवार को मुनीरका की झुग्गियों के तीन घरों में जब छात्रों ने बोतल से बने प्रोटोटाइप बल्ब लगाए तो लोग आश्चर्यचकित से उन्हें देखते रहे और कई के मुंह से तो निकल पड़ा कि अरे यह तो हम भी कर सकते हैं। इसमें खास बात यह है कि बोतल में भरा गया पानी दो से तीन साल तक बदलने की जरूरत नहीं है।
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