Thursday, February 5, 2009

उमा देवी

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
राष्ट्रीय बिलियर्डस चैंपियन उमा देवी के परिवार को अब उनकी उपलब्धियों पर नाज है। करीब एक दशक पहले तक ऐसा नहीं था। उमा के मध्यमवर्गीय परिवार में बिलियर्डस को महिलाओं का खेल नहीं माना जाता था। पिछले साल इंदौर में आयोजित राष्ट्रीय बिलियर्डस चैंपियनशिप का खिताब जीत चुकीं उमा ने एक के बाद एक कई खिताब अपने नाम कर समाज की दकियानूसी मान्यताओं को गलत साबित कर दिया है।
43 वर्षीय उमा ने बताया, ‘शुरुआत में मेरे परिवारजन इस खेल में भाग लेने के खिलाफ थे। उन्हें लगता था कि इसे क्लबों में अमीर लोग शराब पीने के बाद टाइमपास के लिए खेलते हैं।’
1995 से अपना कैरियर शुरू करने वाली उमा ने जब लगातार खिताब जीतने शुरू किए तो परिवार की यह धारणा बदल गई। उमा ने बिलियर्डस और स्नूकर के अब तक 10 राज्यस्तरीय खिताब जीते हैं। वे कहती हैं के उन्हें उनके पति ने हर कदम पर समर्थन किया। उमा को विभिन्न प्रतियोगिताओं के दौरान उनके विभाग से भी काफी समर्थन मिलता है।
उमा ने कहा कि इस खेल में कदम रखने के बाद से उन्हें लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उन्हें न तो पर्याप्त आर्थिक मदद मिली और न ही मीडिया ने उनकी उपलब्धियों को ठीक से पेश किया। उमा देवी ने 2002 के बाद चार बार एकलव्य अवार्ड के लिए अपना नामांकन भेजा, लेकिन सरकार को उनकी उपलब्धियां नजर नहीं र्आई।
उमा कहती हैं कि उन्होंने अब सरकार से किसी भी तरह की मदद की उम्मीद छोड़ दी है। उन्होंने कहा, ‘बिलियर्डस के प्रति समर्पण ने ही मुझे खेलते रहने को प्रेरित किया है। मैं तब तक इसे खेलती रहूंगी, जब तक मेरे लिए इसका आकर्षण खत्म नहीं हो जाता।’
संक्षिप्त प्रोफाइल
2002 : ब्रिटेन में स्नूकर चैंपियनशिप में भाग लिया, 2003 : चीन में आयोजित विश्व स्नूकर चैंपियनशिप में प्रतिभागिता, 2004 : नीदरलैंड में महिला स्नूकर चैंपियनशिप में भाग लिया, 2008 : भारत की राष्ट्रीय बिलियर्डस चैंपियन

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर, हमे नाज करना चाहिये उमा देवी पर.
धन्यवाद