Wednesday, September 9, 2009

बेबी बाई

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर

दुर्ग. बेबी बाई के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है, वह कभी स्कूल की ड्यौढ़ी नहीं चढ़ी, लेकिन सीमेंट, रेती, गिट्टी का हिसाब पूरा आता है। वह मजदूरों को पेमेंट भी नाप-जोख के हिसाब से कर देती है।

दुर्ग की पहली महिला ठेकेदार बेबी बाई चक्रधारी ने यह साबित कर दिया है कि मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता। पुरुषों का एकाधिकार समझे जाने वाले ठेकेदारी के काम में सेंध लगाने वाली बेबी बाई को देखकर लोग अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि एक महिला होकर भी वह तीसरे माले पर भी पुरुषों की तरह बांस पर लटक कर मजदूरों से काम करवाती होगी।

बेबी बाई बताती हैं कि एक रेजा के रुप में उसने रेती, गिट्टी से नाता जोड़ा। 10 साल सिर पर केवल ईंट, गिट्टी उठाते-उठाते उसके मन में आगे बढ़ने की ललक उठी। बस उसने ठान लिया। किसी तरह राजमिस्त्री का काम सीखा। कई साल तक राजमिस्त्री के रूप में काम करके वह ठेकेदार बन गई।

वह बताती है कि पिछले पांच सालों से वह ठेकेदारी का काम कर रही है। उसके पास आज 55 मजदूर हैं और कई राजमिस्त्री हैं जो उसके लिए काम को पूरा करने में मदद करते हैं। बेबी बाई बताती हैं कि उसके द्वारा कराए गए प्रमुख कायरे में पुलिस लाइन में बने दुमंजिला क्वार्टर्स, शहर का दादा-दादी, नाना-नानी पार्क, शहर के सबसे पुराने चर्च का जीणोद्धार का काम भी उसे ही मिला था। वह बताती है कि अब तक उसका लाइसेंस नहीं बन सका है, लेकिन पेटी ठेकेदार के रुप में वह अपना काम कर रही है।

बेबी बाई के साथ मजदूरों की लंबी चौड़ी फौज है और अब उसकी बेटी और बेटा भी उसके काम में हाथ बटा रहे हैं। बेबी का बेटा नल ठेकेदार है। बोरिंग, नल जैसे काम वह संभालता है।

वहीं बेटी ममता भी अपनी मां का हाथ बटाती है। बेबी बताती है कि उसे पढ़ना-लिखना नहीं आता, लेकिन वह स्टाक से लेकर पेमेंट तक सारी चीजों का हिसाब किताब रखती है। बेबी बाई का मानना है कि उसकी ईमानदारी और अच्छे काम को देखकर उसे काम मिलने लगा है। उसकी इच्छा है कि वह किसी तरह अपना लाइसेंस बनवाए ताकि खुलकर अपना काम कर सके।

3 comments:

Udan Tashtari said...

प्रेरणादायी..शुभकामनाऐं.

संगीता पुरी said...

परिस्थितियों से समझौता कर लेनेवालों को इनसे सीख लेनी चाहिए .. उनका लायसेंस बन जाए तो लाभ और बढ सकता है .. शुभकामनाएं !!

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब बेबी वाई को हमारी तरफ़ से बधाई, इसे कहत हैजिन्दा दिली ओर मान सम्मान से जीना.
धन्यवाद