Thursday, November 28, 2013

अदरक #ginger

सौजन्य से : www.facebook.com (https://www.facebook.com/BE.INDIAN.BUY.NDIAN.RAJIVDIXIT/posts/762914910389525:0)
#ginger

सामान्य परिचय : भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत आद्रक, आर्द्रशाक
हिंदी अदरक, आदी, सौंठ।
मराठी आलें।
गुजराती आदु।
बंगाली आदा, सूंठ।
तेलगू सल्लम, शोंठि।
द्राविड़ी हमिशोठ।
अंग्रेजी जिंजर रूट
लैटिन जिंजिबर आफिशिनेल।



गुण :
अदरक में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है।
वैज्ञानिकों के मतानुसार अदरक की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 12.4 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप में पाए जाते हैं।
सोंठ में प्रोटीन, नाइट्रोजन, अमीनो एसिड्स, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोस, फ्रूक्टोस, सुगंधित तेल, ओलियोरेसिन, जिंजीवरीन, रैफीनीस, कैल्शियम, विटामिन `बी` और `सी`, प्रोटिथीलिट एन्जाइम्स और लोहा भी मिलते हैं। प्रोटिथीलिट एन्जाइम के कारण ही सोंठ कफ हटाने व पाचन संस्थान में विशेष गुणकारी सिद्ध हुई है।
अदरक
तत्व मात्रा
प्रोटीन 2.30%
वसा 0.90%
जल 80.90%

सूत्र 2.40%
कार्बोहाइड्रेट 12.30%
खनिज 1.20%
कैल्शियम लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100

फास्फोरस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /00
लौह लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /00

सोंठ
जल 9% ,प्रोटीन 15.40%,सूत्र 6.20%, स्टार्च 5.30%, कुल भस्म 6.60%,
उडनशील तेल 2%

बाहरी स्वरूप : यह उर्वरा और रेत मिश्रित मिट्टी में पैदा होने वाला गुल्म जाति की वनस्पति का कन्द है, इसके पत्ते बांस के पत्तों से मिलते-जुलते तथा एक या डेढ़ फीट ऊंचे लगते हैं।

हानिकारक प्रभाव : अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, कुष्ठ, पीलिया, रक्तपित्त, घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर और गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

मात्रा :अदरक 5 से 10 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम, रस 5 से 10 से मिलीलीटर, रस और शर्बत 10 से 30 मिलीलीटर।

विभिन्न रोगों में अदरक से उपचार:

1 हिचकी :- *सभी प्रकार की हिचकियों में अदरक की साफ की हुई छोटी डली चूसनी चाहिए।
*अदरक के बारीक टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। घी या पानी में सेंधानमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
*एक चम्मच अदरक का रस लेकर गाय के 250 मिलीलीटर ताजे दूध में मिलाकर पीने से हिचकी में फायदा होता है।
*एक कप दूध को उबालकर उसमें आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डाल दें और ठंडा करके पिलाएं।
*ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके चूसने से पुरानी एवं नई तथा लगातार उठने वाली हिचकियां बंद हो जाती हैं। समस्त प्रकार की असाध्य हिचकियां दूर करने का यह एक प्राकृतिक उपाय है।"

2 पेट दर्द :- *अदरक और लहसुन को बराबर की मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में पानी से सेवन कराएं।
*पिसी हुई सोंठ एक ग्राम और जरा-सी हींग और सेंधानमक की फंकी गर्म पानी से लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। एक चम्मच पिसी हुई सोंठ और सेंधानमक एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट दर्द, कब्ज, अपच ठीक हो जाते हैं।
*अदरक और पुदीना का रस आधा-आधा तोला लेकर उसमें एक ग्राम सेंधानमक डालकर पीने से पेट दर्द में तुरन्त लाभ होता है।
*अदरक का रस और तुलसी के पत्ते का रस 2-2 चम्मच थोड़े से गर्म पानी के साथ पिलाने से पेट का दर्द शांत हो जाता है।
*एक कप गर्म पानी में थोड़ा अजवायन डालकर 2 चम्मच अदरक का रस डालकर पीने से लाभ होता है।
*अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर उस पर कालीमिर्च का पिसा हुआ चूर्ण डालकर चाटने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
*अदरक का रस 5 मिलीलीटर, नींबू का रस 5 मिलीलीटर, कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम को मिलाकर पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।"

3 मुंह की दुर्गध :- एक चम्मच अदरक का रस एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुख की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।

4 दांत का दर्द:- *महीन पिसा हुआ सेंधानमक अदरक के रस में मिलाकर दर्द वाले दांत पर लगाएं।
*दांतों में अचानक दर्द होने पर अदरक के छोट-छोटे टुकड़े को छीलकर दर्द वाले दांत के नीचे दबाकर रखें।
*सर्दी की वजह से दांत के दर्द में अदरक के टुकड़ों को दांतों के बीच दबाने से लाभ होता है। "

5 भूख की कमी:- अदरक के छोटे-छोटे टुकड़ों को नींबू के रस में भिगोकर इसमें सेंधानमक मिला लें, इसे भोजन करने से पहले नियमित रूप से खिलाएं।

6 सर्दी-जुकाम:- पानी में गुड़, अदरक, नींबू का रस, अजवाइन, हल्दी को बराबर की मात्रा में डालकर उबालें और फिर इसे छानकर पिलाएं।

7 गला खराब होना:- अदरक, लौंग, हींग और नमक को मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां तैयार करें। दिन में 3-4 बार एक-एक गोली चूसें।

8 पक्षाघात (लकवा):- *घी में उड़द की दाल भूनकर, इसकी आधी मात्रा में गुड़ और सोंठ मिलाकर पीस लें। इसे दो चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार खिलाएं।
*उड़द की दाल पीसकर घी में सेकें फिर उसमें गुड़ और सौंठ पीसकर मिलाकर लड्डू बनाकर रख लें। एक लड्डू प्रतिदिन खाएं या सोंठ और उड़द उबालकर इनका पानी पीयें। इससे भी लकवा ठीक हो जाता है।"

9 पेट और सीने की जलन :- एक गिलास गन्ने के रस में दो चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच पुदीने का रस मिलाकर पिलाएं।

10 वात और कमर के दर्द:- अदरक का रस नारियल के तेल में मिलाकर मालिश करें और सोंठ को देशी घी में मिलाकर खिलाएं।

11 पसली का दर्द :- 30 ग्राम सोंठ को आधा किलो पानी में उबालकर और छानकर 4 बार पीने से पसली का दर्द खत्म हो जाता है।

12 चोट लगना, कुचल जाना:- चोट लगने, भारी चीज उठाने या कुचल जाने से
पीड़ित स्थान पर अदरक को पीसकर गर्म करके आधा इंच मोटा लेप करके पट्टी बॉंध दें। दो घण्टे के बाद पट्टी हटाकर ऊपर सरसो का तेल लगाकर सेंक करें। यह प्रयोग प्रतिदिन एक बार करने से दर्द शीघ्र ही दूर हो जाता है।

13 संग्रहणी (खूनी दस्त) :- सोंठ, नागरमोथा, अतीस, गिलोय, इन्हें समभाग लेकर पानी के साथ काढ़ा बनाए। इस काढे़ को सुबह-शाम पीने से राहत मिलती है।

14 ग्रहणी (दस्त) :- गिलोय, अतीस, सोंठ नागरमोथा का काढ़ा बनाकर 20 से 25 मिलीलीटर दिन में दो बार दें।

15 भूखवर्द्धक :- *दो ग्राम सोंठ का चूर्ण घी के साथ अथवा केवल सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-सुबह खाने से भूख बढ़ती है।
*प्रतिदिन भोजन से पहले नमक और अदरक की चटनी खाने से जीभ और गले की शुद्धि होती है तथा भूख बढ़ती है।
*अदरक का अचार खाने से भूख बढ़ती है।
*सोंठ और पित्तपापड़ा का पाक (काढ़ा) बुखार में राहत देने वाला और भूख बढ़ाने वाला है। इसे पांच से दस ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें।
*सोंठ, चिरायता, नागरमोथा, गिलोय का काढ़ा बनाकर सेवन करने से भूख बढ़ती है और बुखार में भी लाभदायक है।"

16 अजीर्ण :- *यदि प्रात:काल अजीर्ण (रात्रि का भोजन न पचने) की शंका हो तो हरड़, सोंठ तथा सेंधानमक का चूर्ण जल के साथ लें। दोपहर या शाम को थोड़ा भोजन करें।
*अजवायन, सेंधानमक, हरड़, सोंठ इनके चूर्णों को एक समान मात्रा में एकत्रित करें। एक-एक चम्मच प्रतिदिन सेवन करें।
*अदरक के 10-20 मिलीलीटर रस में समभाग नींबू का रस मिलाकर पिलाने से मंदाग्नि दूर होती है।"

17 उदर (पेट के) रोग :- सोंठ, हरीतकी, बहेड़ा, आंवला इनको समभाग लेकर कल्क बना लें। गाय का घी तथा तिल का तेल ढाई किलोग्राम, दही का पानी ढाई किलोग्राम, इन सबको मिलाकर विधिपूर्वक घी का पाक करें, तैयार हो जाने पर छानकर रख लें। इस घी का सेवन 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम करने से सभी प्रकार के पेट के रोगों का नाश होता है।

18 बहुमूत्र :- अरदक के दो चम्मच रस में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

19 बवासीर के कारण होने वाला दर्द :- दुर्लभा और पाठा, बेल का गूदा और पाठा, अजवाइन व पाठा अथवा सौंठ और पाठा इनमें से किसी एक योग का सेवन करने से बवासीर के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है।

20 मूत्रकृच्छ (पेशाब करते समय परेशानी) :- *सोंठ, कटेली की जड़, बला मूल, गोखरू इन सबको दो-दो ग्राम मात्रा तथा 10 ग्राम गुड़ को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से मल-मूत्र के समय होने वाला दर्द ठीक होता है।
*सोंठ पीसकर छानकर दूध में मिश्री मिलाकर पिलाएं।"

21 अंडकोषवृद्धि :- इसके 10-20 मिलीलीटर रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से वातज अंडकोष की वृद्धि मिटती है।

22 कामला (पीलिया) :- अदरक, त्रिफला और गुड़ के मिश्रण का सेवन करने से लाभ होता है।

23 अतिसार (दस्त):- *सोंठ, खस, बेल की गिरी, मोथा, धनिया, मोचरस तथा नेत्रबाला का काढ़ा दस्तनाशक तथा पित्त-कफ ज्वर नाशक है।
*धनिया 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम इनका विधिवत काढ़ा बनाकर रोगी को सुबह-शाम सेवन कराने से दस्त में काफी राहत मिलती है।"

24 वातरक्त :- अंशुमती के काढ़ा में 640 मिलीलीटर दूध को पकाकर उसमें 80 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने के लिए दें। उसी प्रकार पिप्पली और सौंठ का काढ़ा तैयार करके 20 मिलीलीटर प्रात:-शाम वातरक्त के रोगी को पीने के लिए दें।

25 वातशूल :- सोंठ तथा एरंड के जड़ के काढे़ में हींग और सौवर्चल नमक मिलाकर पीने से वात शूल नष्ट होता है।

26 सूजन :- *सोंठ, पिप्पली, जमालगोटा की जड़, चित्रकमूल, बायविडिंग इन सभी को समान भाग लें और दूनी मात्रा में हरीतकी चूर्ण लेकर इस चूर्ण का सेवन तीन से छ: ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सुबह करें।
*सोंठ, पिप्पली, पान, गजपिप्पली, छोटी कटेरी, चित्रकमूल, पिप्पलामूल, हल्दी, जीरा, मोथा इन सभी द्रव्यों को समभाग लेकर इनके कपडे़ से छानकर चूर्ण को मिलाकर रख लें, इस चूर्ण को दो ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से त्रिदोष के कारण उत्पन्न सूजन तथा पुरानी सूजन नष्ट होती है।
*अदरक के 10 से 20 मिलीलीटर रस में गुड़ मिलाकर सुबह-सुबह पी लें। इससे सभी प्रकार की सूजन जल्दी ही खत्म हो जाती है।"

27 शूल (दर्द) :- सोंठ के काढ़े के साथ कालानमक, हींग तथा सोंठ के मिश्रित चूर्ण का सेवन करने से कफवातज हृदयशूल, पीठ का दर्द, कमर का दर्द, जलोदर, तथा विसूचिका आदि रोग नष्ट होते हैं। यदि मल बंद होता है तो इसके चूर्ण को जौ के साथ पीना चाहिए।

28 संधिपीड़ा (जोड़ों का दर्द) :- *अदरक के एक किलोग्राम रस में 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर आग पर पकाना चाहिए, जब रस जलकर तेल मात्र रह जाये, तब उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की पीड़ा मिटती है।
*अदरक के रस को गुनगुना गर्म करके इससे मालिश करें।"

29 बुखार में बार-बार प्यास लगना :- सोंठ, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, खस लाल चंदन, सुगन्ध बेला इन सबको समभाग लेकर बनाये गये काढ़े को थोड़ा-थोड़ा पीने से बुखार तथा प्यास शांत होती है। यह उस रोगी को देना चाहिए जिसे बुखार में बार-बार प्यास लगती है।

30 कुष्ठ (कोढ़) :- सोंठ, मदार की पत्ती, अडूसा की पत्ती, निशोथ, बड़ी इलायची, कुन्दरू इन सबका समान-समान मात्रा में बने चूर्ण को पलाश के क्षार और गोमूत्र में घोलकर बने लेप को लगाकर धूप में तब तक बैठे जब तक वह सूख न जाए, इससे मण्डल कुष्ठ फूट जाता है और उसके घाव शीघ्र ही भर जाते हैं।

31 बुखार में जलन :- सोंठ, गन्धबाला, पित्तपापड़ा खस, मोथा, लाल चंदन इनका काढ़ा ठंडा करके सेवन करने से प्यास के साथ उल्टी, पित्तज्वर तथा जलन आदि ठीक हो जाती है।

32 हैजा :- अदरक का 10 ग्राम, आक की जड़ 10 ग्राम, इन दोनों को खरल (कूटकर) इसकी कालीमिर्च के बराबर गोली बना लें। इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ देने से हैजे में लाभ पहुंचता है इसी प्रकार अदरक का रस व तुलसी का रस समान भाग लेकर उसमें थोड़ी सी शहद अथवा थोड़ी सा मोर के पंख की भस्म मिलाने से भी हैजे में लाभ पहुंचता है।

33 इन्फ्लुएंजा :- 6 मिलीलीटर अदरक रस में, 6 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें।

34 सन्निपात ज्वर :- *त्रिकुटा, सेंधानमक और अदरक का रस मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम चटायें।
*सन्निपात की दशा में जब शरीर ठंडा पड़ जाए तो इसके रस में थोड़ा लहसुन का रस मिलाकर मालिश करने से गरमाई आ जाती है।"

35 गठिया :- 10 ग्राम सोंठ 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।

36 वात दर्द, कमर दर्द तथा जांघ और गृध्रसी दर्द :- एक चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच घी मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

37 मासिक-धर्म का दर्द से होना (कष्टर्त्तव) :- इस कष्ट में सोंठ और पुराने गुड़ का काढ़ा बनाकर पीना लाभकारी है। ठंडे पानी और खट्टी चीजों से परहेज रखें।

38 प्रदर :- 10 ग्राम सोंठ 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें और शीशी में छानकर रख लें। इसे 3 सप्ताह तक पीएं।

39 हाथ-पैर सुन्न हो जाना :- सोंठ और लहसुन की एक-एक गांठ में पानी डालकर पीस लें तथा प्रभावित अंग पर इसका लेप करें। सुबह खाली पेट जरा-सी सोंठ और लहसुन की दो कली प्रतिदिन 10 दिनों तक चबाएं।

40 मसूढ़े फूलना (मसूढ़ों की सूजन) :- *मसूढ़े फूल जाएं तो तीन ग्राम सोंठ को दिन में एक बार पानी के साथ फांकें। इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है। यदि दांत में दर्द सर्दी से हो तो अदरक पर नमक डालकर पीड़ित दांतों के नीचे रखें।
*मसूढ़ों के फूल जाने पर 3 ग्राम सूखा अदरक दिन में 1 बार गर्म पानी के साथ खायें। इससे रोग में लाभ होता है।
*अदरक के रस में नमक मिलाकर रोजाना सुबह-शाम मलने से सूजन ठीक होती है।"

41 गला बैठना, श्वांस-खांसी और जुकाम :- अदरक का रस और शहद 30-30 ग्राम हल्का गर्म करके दिन में तीन बार दस दिनों तक सेवन करें। दमा-खांसी के लिए यह परमोपयोगी है। यदि गला बैठ जाए, जुकाम हो जाए तब भी यह योग लाभकारी है। दही, खटाई आदि का परहेज रखें।

42 खांसी-जुकाम :- अदरक को घी में तलकर भी ले सकते हैं। 12 ग्राम अदरक के टुकड़े करके 250 मिलीलीटर पानी में दूध और शक्कर मिलाकर चाय की भांति उबालकर पीने से खांसी और जुकाम ठीक हो जाता है। घी को गुड़ में डालकर गर्म करें। जब यह दोनों मिलकर एक रस हो जाये तो इसमें 12 ग्राम पिसी हुई सोंठ डाल दें। (यह एक मात्रा है) इसको सुबह खाने खाने के बाद प्रतिदिन सेवन करने से खांसी-जुकाम ठीक हो जाता है।

43 खांसी-जुकाम, सिरदर्द और वात ज्वर :- सोंठ तीन ग्राम, सात तुलसी के पत्ते, सात दाने कालीमिर्च 250 मिलीलीटर पानी में पकाकर, चीनी मिलाकर गमागर्म पीने से इन्फ्लुएंजा, खांसी, जुकाम और सिरदर्द दूर हो जाता है अथवा एक चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच सेंधानमक पीसकर चौथाई चम्मच तीन बार गर्म पानी से लें।

44 गर्दन, मांसपेशियों एवं आधे सिर का दर्द :- यदि उपरोक्त कष्ट अपच, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए हो तो सोंठ को पीसकर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर लुग्दी बनाकर तथा हल्का-सा गर्म करके पीड़ित स्थान पर लेप करें। इस प्रयोग से आरम्भ में हल्की-सी जलन प्रतीत होती है, बाद में शाघ्र ही ठीक हो जाएगा। यदि जुकाम से सिरदर्द हो तो सोंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप करें। पिसी हुई सौंठ को सूंघने से छीके आकर भी सिरदर्द दूर हो जाता है।

45 गले का बैठ जाना :- अदरक में छेद करके उसमें एक चने के बराबर हींग भरकर कपड़े में लपेटकर सेंक लें। उसके बाद इसको पीसकर मटर के दाने के आकार की गोली बना लें। दिन में एक-एक करके 8 गोलियां तक चूसें अथवा अदरक का रस शहद के रस में मिलाकर चूसने से भी गले की बैठी हुई आवाज खुल जाती है। आधा चम्मच अदरक का रस प्रत्येक आधा-आधा घंटे के अन्तराल में सेवन करने से खट्टी चीजें खाने के कारण बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को कुछ समय तक गले में रोकना चाहिए, इससे गला साफ हो जाता है।

46 कफज बुखार :- *आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ एक कप पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष बचे तो मिश्री मिलाकर सेवन कराएं।
*अदरक और पुदीना का काढ़ा देने से पसीना निकलकर बुखार उतर जाता है। शीत ज्वर में भी यह प्रयोग हितकारी है। अदरक और पुदीना वायु तथा कफ प्रकृति वाले के लिए परम हितकारी है।"

47 अपच :- ताजे अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर भोजन से पहले और बाद में सेवन करने से अपच दूर हो जाती है। इससे भोजन पचता है, खाने में रुचि बढ़ती है और पेट में गैस से होने वाला तनाव कम होता है। कब्ज भी दूर होती है। अदरक, सेंधानमक और कालीमिर्च की चटनी भोजन से आधा घंटे पहले तीन दिन तक निरन्तर खाने से अपच नहीं रहेगा।

48 पाचन संस्थान सम्बन्धी प्रयोग :- *6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिनों तक भोजन से पूर्व खाएं। इस योग के प्रयोग से हाजमा ठीक होगा, भूख लगेगी, पेट की गैस कब्ज दूर होगी। मुंह का स्वाद ठीक होगा, भूख बढे़गी और गले और जीभ में चिपका बलगम साफ होगा।
*सोंठ, हींग और कालानमक इन तीनों का चूर्ण गैस बाहर निकालता है। सोंठ, अजवाइन पीसकर नींबू के रस में गीला कर लें तथा इसे छाया में सुखाकर नमक मिला लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम पानी से एक ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे पाचन-विकार, वायु पीड़ा और खट्टी डकारों आदि की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
*यदि पेट फूलता हो, बदहजमी हो तो अदरक के टुकड़े देशी घी में सेंक करके स्वादानुसार नमक डालकर दो बार प्रतिदिन खाएं। इस प्रयोग से पेट के समस्त सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं।
*अदरक के एक लीटर रस में 100 ग्राम चीनी मिलाकर पकाएं। जब मिश्रण कुछ गाढ़ा हो जाए तो उसमें लौंग का चूर्ण पांच ग्राम और छोटी इलायची का चूर्ण पांच ग्राम मिलाकर शीशे के बर्तन में भरकर रखें। एक चम्मच उबले दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पाचन संबधी सभी परेशानी ठीक होती है।"

49 कर्णनाद :- एक चम्मच सोंठ और एक चम्मच घी तथा 25 ग्राम गुड़ मिलाकर गर्म करके खाने से लाभ होता है।

50 आंव (कच्चा अनपचा अन्न) :- आंव अर्थात् कच्चा अनपचा अन्न। जब यह लम्बे समय तक पेट में रहता है तो अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। सम्पूर्ण पाचनसंस्थान ही बिगड़ जाता है। पेट के अनेक रोग पैदा हो जाते हैं। कमर दर्द, सन्धिवात, अपच, नींद न आना, सिरदर्द आदि आंव के कारण होते हैं। ये सब रोग प्रतिदिन दो चम्मच अदरक का रस सुबह खाली पेट सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं।

51 बार-बार पेशाब आने की समस्या :- अदरक का रस और खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग की बीमारी नष्ट हो जाती है।

52 शीतपित्त :- *अदरक का रस और शहद पांच-पांच ग्राम मिलाकर पीने से सारे शरीर पर कण्डों की राख मलकर, कम्बल ओढ़कर सो जाने से शीतपित्त रोग तुरन्त दूर हो जाता है।
*अदरक का रस 5 मिलीलीटर चाटने से शीत पित्त का निवारण होता है।"

53 आधासीसी (आधे सिर का दर्द) :- *अदरक और गुड़ की पोटली बनाकर उसके रसबिन्दु को नाक में डालने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है।
*आधे सिर में दर्द होने पर नाक में अदरक के रस की बूंदें टपकाने से बहुत लाभ होता है।"

54 गले की खराश :- ठंडी के मौसम में खांसी के कारण गले में खराश होने पर अदरक के सात-आठ ग्राम रस में शहद मिलाकर, चाटकर खाने से बहुत लाभ होता है। खांसी का प्रकोप भी कम होता है।

55 अस्थमा के कारण उत्पन्न खांसी :- अदरक के 10 मिलीलीटर रस में 50 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाटकर खाने से सर्दी-जुकाम से उत्पन्न खांसी नष्ट होती है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा के कारण उत्पन्न खांसी में भी अदरक से लाभ होता है।

56 तेज बुखार :- पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम शहद मिलाकर चाटकर खाने से बेचैनी और गर्मी नष्ट होती है।

57 बहरापन :- *अदरक का रस हल्का गर्म करके बूंद-बूंद कान में डालने से बहरापन नष्ट होता है।
*अदरक के रस में शहद, तेल और थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर कान में डालने से बहरापन और कान के अन्य रोग समाप्त हो जाते हैं।"

58 जलोदर :- प्रतिदिन सुबह-शाम 5 से 10 मिलीलीटर अदरक का रस पानी में मिलाकर पीने से जलोदर रोग में बहुत लाभ होता है।

59 ठंड के मौसम में बार-बार मूत्र के लिए जाना :- दस ग्राम अदरक के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है।

60 ज्वर (बुखार) :- *अदरक का रस पुदीने के क्वाथ (काढ़ा) में डालकर पीने से बुखार में राहत मिलती है।
*एक चम्मच शहद के साथ समान मात्रा में अदरक का रस मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलायें।"

61 ठंडी के मौसम में आवाज बैठना :- अदरक के रस में सेंधानमक मिलाकर चाटने से बहुत लाभ होता है।

62 संधिशोथ (जोड़ों की सूजन) :- *अदरक को पीसकर संधिशोथ (जोड़ों की सूजन) पर लेप करने से सूजन और दर्द जल्द ही ठीक होते हैं।
*अदरक का 500 मिलीलीटर रस और 250 मिलीलीटर तिल का तेल दोनों को देर तक आग पर पकाएं। जब रस जलकर खत्म हो जाए तो तेल को छानकर रखें। इस तेल की मालिश करने से जोड़ों की सूजन में बहुत लाभ होता है। अदरक के रस में नारियल का तेल भी पकाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।"

63 अम्लपित्त (खट्टी डकारें) :- *अदरक का रस पांच ग्राम मात्रा में 100 मिलीलीटर अनार के रस में मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह-शाम सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) की समस्या नहीं होती है।
*अदरक और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ पीने से लाभ होता है।।
*एक चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर प्रयोग करने से आराम मिलता है।"

64 वायु विकार के कारण अंडकोष वृद्धि :- वायु विकार के कारण अंडकोष की वृद्धि होने पर अदरक के पांच ग्राम रस में शहद मिलाकर तीन-चार सप्ताह प्रतिदिन सेवन करने से बहुत लाभ होता है।

65 दमा :- *लगभग एक ग्राम अदरक के रस को एक ग्राम पानी से सुबह-शाम लेने से दमा और श्वास रोग ठीक हो जाते हैं।
*अदरक के रस में शहद मिलाकर खाने से सभी प्रकार के श्वास, खांसी, जुकाम तथा अरुचि आदि ठीक हो जाते हैं।
*अदरक के रस में कस्तूरी मिलाकर देने से श्वास-रोग ठीक हो जाता है।
*लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग जस्ता-भस्म में 6 मिलीलीटर अदरक का रस और 6 ग्राम शहद मिलाकर रोगी को देने से दमा और खांसी दूर हो जाती है।
*अदरक का रस शहद के साथ खाने से बुढ़ापे में होने वाला दमा ठीक हो जाता है।
*अदरक की चासनी में तेजपात और पीपल मिलाकर चाटने से श्वास-नली के रोग दूर हो जाते हैं।
*अदरक का छिलका उतारकर खूब महीन पीस लें और छुआरे के बीज निकालकर बारीक पीस लें। अब इन दोनों को शहद में मिलाकर किसी साफ बड़े बर्तन में अच्छी तरह से मिला लेते हैं। अब इसे हांडी में भरकर आटे से ढक्कन बंद करके रख दें। जमीन में हांडी के आकार का गड्ढा खोदकर इस गड्ढे में इस हांडी को रख दें और 36 घंटे बाद सावधानी से मिट्टी हटाकर हांडी को निकाल लें। इसके सुबह नाश्ते के समय तथा रात में सोने से पहले एक चम्मच की मात्रा में सेवन करें तथा ऊपर से एक गिलास मीठा, गुनगुने दूध को पी लेने से श्वास या दमा का रोग ठीक हो जाता है। इसका दो महीने तक लगातार सेवन करना चाहिए।
*अदरक का रस, लहसुन का रस, ग्वारपाठे का रस और शहद सभी को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर चीनी या मिट्टी के बर्तन में भरकर उसका मुंह बंद करके जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़कर मिट्टी से ढक देते हैं। 3 दिन के बाद उसे जमीन से बाहर निकाल लेते हैं। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन रोगी को सेवन कराने से 15 से 30 दिन में ही यह दमा मिट जाता है।"

66 ब्रोंकाइटिस :- 15 ग्राम अदरक, चार बादाम, 8 मुनक्का- इन सभी को पीसकर सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करने से ब्रोंकाइटिस में लाभ मिलता है।

For rest please check the article mentioned above...

Wednesday, November 27, 2013

गोंद

सौजन्य से : www.facebook.com (https://www.facebook.com/AcharyaBalkrishanJi)

किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है .
- कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है .
- नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है - पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
- आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
- सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।



- बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
- हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है - एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
- गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है .
- प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
- ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
- इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है .

Monday, November 25, 2013

सिरका



सौजन्य से : www.facebook.com (https://www.facebook.com/AcharyaBalkrishanJi)

- सिरका कई प्रकार का होता है।अंगूर, सेब, संतरे, अनन्नास, जामुन तथा अन्य फलों के रस, जिनमें शर्करा पर्याप्त है, सिरका बनाने के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें जीवाणुओं के लिए पोषण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

- आयुर्वेद में सिरके का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आप अपने बालों को सुंदर बनाने के लिए भी सिरके का प्रयोग कर सकते हैं। सिरका बालों के लिए अच्छा है । डेंड्रफ, जूं जैसी समस्याओं से बचने के लिए सिरके का प्रयोग लाभकारी है। बालों की अच्छी तरह से सफाई और बालों को स्व्स्थ रखने में सिरके का इस्तेमाल किया जाता है। बालों की कंडीशनिंग के लिए भी सिरके का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- बालों में होने वाले फुंसी, फंगस और इसी तरह की अन्य समस्याओं को दूर करने और बैक्टीरिया इत्यादि को नष्ट करने में भी सिरके का प्रयोग किया जाता है।

- बालों की चमक बरकरार रखने के लिए और बालों को मुलायम और सुंदर बनाने के लिए सिरके से किफायती कुछ भी नहीं।

- सिरके से बालों को सीधा भी किया जा सकता है। यदि रूखे और घुंघराले बालों को सीधा करना है तो सिरके का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में आपको चाहिए कि आप सेब के सिरके से बालों को धोएं और इससे जल्द ही आप बाल सीधे कर पाएंगे।

- भोजन के साथ सिरका खाने से रक्त पतला होता है।

- सिरका, चर्बी कम करने और शरीर से विषैले पदार्थ निकालने की प्रक्रिया में सहायक होता है तथा इससे रक्त से वसा और हानिकारक कोलिस्ट्रोल कम होता है।

- सिरका बुद्धि में तीव्रता का कारण बनता है और ह्रदय के लिए लाभदायक होता है।

- सिरके में मौजूद सेट्रिक एसिड आहार में मौजूद कैल्शियम को शरीर का अंश बनाता है और शरीर की भीतरी क्रियाओं के लिए अत्याधिक लाभदायक होता है।

- सिरका, पाचनक्रिया के लिए हानिकारिक बैक्र्टिरिया का नाश करता है। जिन लोगों को पाचनतंत्र की समस्या और क़ब्ज़ तथा दस्त अथवा पेट दर्द में ग्रस्त हैं वह सिरका की सहायता से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

- सिरके का एक अन्य लाभ यह है कि वह अमाशय की एसिड के स्राव को संतुलित करता है ।

- सिरका दांतों की गंदगी दूर करने और मसूड़े की सूजन में लाभदायक है।

- डाक्टर, कमज़ोर स्नायुतंत्र, गठिया और अल्सर के रोगियों के लिए सिरके को हानिकारक बताते हैं।

- जामुन का सिरका पेट सम्बंधी रोगों के लिए लाभकारक है। जामुन के सिरके से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है , कब्ज दूर होती है व मूत्र साफ होता है।काले पके हुए जामुन साफ धो कर पोछ कर मिटटी के बर्तन में नामक मिलाकर साफ कपडे से बांध कर धुप में रख दे । एक सप्ताह धुप में रखने के पश्चात् इसको साफ कपडे से छान कर रस को कांच के बोतल में भर कर रख दे यह सिरका तैयार है । मुली प्याज गाजर शलजम मिर्च आदि के टुकडे भी उसी सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है ।

- किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है।

- एक प्याले में सेब का सिरका, एक कप शहद और छिले हुए लहसुन की आठ गाँठे मिलाओ। इन सबको तेज चलने वाली मिक्सी में डाल कर एक मिनट के लिए चला दो और घोल तैयार करो। इस मिश्रण को एक काँच की बोतल में डाल कर पाँच दिन के लिए फ्रिज में बन्द करके रखो। आम खुराक -दो चम्मच पानी या अंगूर या फलों के रस में डाल कर नाश्ते से पहले लो। इस इलाज से बंद नाड़ियों, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रैशर), कैंसर की कुछ किस्मों, कोलेस्टरोल की अधिक मात्रा, सर्दी ज़ुकाम, बदहज़मी, सिर दर्द, दिल के रोग, रक्त प्रवाह की समस्या, बवासीर, बांझपन, नपुसंकता, दांत दर्द, मोटापा, अल्सर और बहुत सारी बीमारियाँ ठीक करने में सहायता मिलती है।

- एसीडिटी से निजात पाने के लिए एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें।

- हृदय रोग, कैलोस्ट्रोल बढ़ने और खून के थक्के होने की शिकायत है, उनके लिए अनुभूत औषधि जो बरसों पहले एक वृद्ध साधू द्वारा बताई गयी है.अदरक का रस एक कप, लहसून का रस एक कप, नीम्बू का रस एक कप, सेब का सिरका एक कप लेकर, उसको मध्यम आंच पर गर्म करे. जब तीन कप रह जाएँ, तो उसको सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें . फिर उसमें तीन कप शहद मिला कर, किसी भी बोतल आदि में रख लें. रोज़ प्रात: खाली पेट, दो चम्मच औषधि को सामान मात्रा में जल मिलाकर, सेवन करें.नाश्ता लगभग आधे घंटे बाद करें.

Sunday, November 24, 2013

चिरौंजी या चारोली

सौजन्य से : www.facebook.com (https://www.facebook.com/AcharyaBalkrishanJi)

- चिरौंजी या चारोली पयार या पियाल, प्रियाल नामक वृक्ष के फलों के बीज की गिरी है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है।
- इसका प्रयोग भारतीय पकवानों, मिठाइयों और खीर व सेंवई इत्यादि में किया जाता है।
- चारोली वर्षभर उपयोग में आने वाला पदार्थ है जिसे संवर्द्धक और पौष्टिक जानकर सूखे मेवों में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
- चारोली का वृक्ष अधिकतर सूखे पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। दक्षिण भारत, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर आदि स्थानों पर यह वृक्ष विशेष रूप से पैदा होता है। 


- इसके पत्तों से पत्तल भी बनाई जाती है।
- इस वृक्ष के फल से निकाली गई गुठली को मींगी कहते हैं।
- चारोली बादाम की प्रतिनिधि मानी जाती है। जहाँ बादाम न मिल सकें वहाँ चारोली का प्रयोग किया जा सकता है।
- चारोली स्वाद में मधुर, स्निग्ध, भारी, शीतल एवं हृद्य (हृदय को रुचने वाली) है। देह का रंग सुधारने वाली, बलवर्धक, वायु-दर्दनाशक एवं शिरःशूल को मिटाने वाली है।
- यह मधुर बल वीर्यवर्द्धक, हृदय के लिए उत्तम, स्निग्ध, विष्टंभी, वात पित्त शामक तथा आमवर्द्धक होती है।
- इसका सेवन रूग्णावस्था और शारीरिक दुर्बलता में किया जाता है।
- चारोली का पका हुआ फल भारी होने के साथ-साथ मधुर, स्निग्ध, शीतवीर्य तथा दस्तावार और वात पित्त, जलन, प्यास और ज्वर का शमन करने वाला होता है।
- चिरौंजी कफ को दस्त द्वारा बाहर निकाल देता है।
- शहद चिरौंजी के दोषों को दूर कर इसके गुणों को सुरक्षित रखता है।
- इस वृक्ष के फल की गुठली से निकली मींगी और छाल दोनों उपयोगी होती है।
- चिरौंजी का उपयोग अधिकतर मिठाई में जैसे हलवा, लड्डू, खीर, पाक आदि में सूखे मेवों के रूप में किया जाता है।
- सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- मुँहासे- नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुँहासे गायब हो जाएँगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।
- गीली खुजली - गीली खुजली में 10 ग्राम सुहागा पिसा हुआ, 100 ग्राम चारोली, 10 ग्राम गुलाब जल इन तीनों को साथ में पीसकर इसका पतला लेप तैयार करें और खुजली वाले सभी स्थानों पर लगाते रहें। ऐसा करीबन 4-5 दिन करें। इससे खुजली में काफी आराम मिलेगा।
- चेहरे पर लेप- चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर महीन पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएँ। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें।
- ददोड़े/शीत पित्ती- शरीर पर शीत पित्ती के ददोड़े या फुंसियाँ होने पर दिन में एक बार 20 ग्राम चिरौंजी को खूब चबा कर खाएँ। साथ ही दूध में चारोली को पीसकर इसका लेप करें। इससे बहुत फायदा होगा। यह नुस्खा शीत पित्ती में बहुत उपयोगी है।
- चारोली का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी है।
- 5-10 ग्राम चारोली को पीसकर दूध के साथ लेने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में लाभ होता है।
- खांसी में चिरौंजी का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है।
- छठवें महीने के गर्भाशय के रोग: चिरौंजी, मुनक्का और धान की खीलों का सत्तू, ठण्डे पानी में मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भ का दर्द, गर्भस्राव आदि रोगों का निवारण हो जाता है।

Friday, November 22, 2013

सरसों का तेल

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर
ठंड में सरसों का तेल ऐसे उपयोग करेंगे तो इन प्रॉब्लम्स की छुट्टी हो जाएगी
 सर्दियों में सरसों के तेल का उपयोग खाने में करें या दवा के रूप में यह बहुत फायदेमंद साबित होता है। सरसों तेल में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो ऐसे पोषक तत्व हैं जो हमारी सेहत, बाल और त्वचा आदि पर जादुई असर छोड़ते हैं। इसलिए सरसों के तेल का उपयोग प्राचीन समय से ही खाने व शरीर पर लगाने में भी किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सरसों का तेल बहुत ही अच्छे पेनकिलर की तरह भी काम करता है।
 - सरसों के तेल में दर्दनाशक गुण हैं, यदि कान का दर्द सताए तो दो बूंद गुनगुना सरसों का तेल कान में टपकाएं, चाहे तो इसमें दो चार कलियां लहसुन की भी मिला सकते हैं। 
-  सरसों का तेल सौंदर्यवर्धक भी है, रूप सौंदर्य निखारने के लिए गौरा रंग चाहने वाले बेसन हल्दी में सरसो का तेल डालकर लगाएं।
-  सरसों का तेल दिल को चुस्त-दुरुस्त रखता है, कुछ समय पूर्व एम्स, हावर्ड स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस तथा सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज में एक साथ शोध की गई जिससे पता चला कि सरसों का तेल खाने वाले 71 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारी नहीं हुई।
- यदि कमर दर्द हो तो सरसों के तेल में थोड़ी हींग, अजवाइन और लहसुन मिलाकर गर्म कर लें और उसे कमर पर लगाएं, पिंडलियों का दर्द हो तो सरसो के तेल को गुनगुना करके मालिश करना चाहिए।
- यदि गठिया से परेशान हों तो सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से दर्द में राहत मिलती है।

- चर्मरोगों में भी सरसों का तेल लाभदाक है इसके तेल में आक पत्तों का रस और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर गर्म करके ठंडा होने पर लगाने से दाद, खाज, खुजली आदि नाश होता है। सरसों का तेल पाइरिया मिटाने वाला है। इसमें सेंधा नमक मिलाकर दांतों और मसूड़ों पर लगाना चाहिए। 
- यदि चेहरे पर कील मुंहासे, झाइयां, झुर्रियां हो तो सरसों का तेल बड़े काम की चीज है सरसों के तेल से मालिश करने से शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ती।
 - सरसों के तेल में थोड़ा हिना पाउडर मिलाकर कुछ देर उबालकर छानकर बालों में लगाने से बाल झडऩा कम हो जाते हैं।
- सरसों के तेल से मालिश करने पर खून बढ़ता है। शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती है। इससे शारीरिक थकान भी दूर होती है। 

Monday, November 11, 2013

जिंदगी की बच्चों के नाम

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर

लाखों की नौकरी छोड़ पति-पत्नी ने जिंदगी की बच्चों के नाम
जमशेदपुर. बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लाखों की नौकरी छोड़ कोई गांव के बच्चों को पढ़ाने का फैसला ले, तो इसे कॅरियर के प्रति जोखिम मोल लेना ही कहा जाएगा। लेकिन, शहर की इंजीनियर दंपती अनुराग जैन और शिखा जैन ने इसकी परवाह नहीं की और निकल पड़े गांव की ओर शिक्षा का अलख जगाने।
उन्हें घर और समाज का विरोध भी झेलना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने ग्रामीण बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी फैलाने के फैसले को नहीं बदला। उन्होंने गोविंदपुर में नीव (न्यू एजुकेशन एंड इनवायरमेंट विजन) नाम से स्कूल खोला, जहां 150 से ज्यादा बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं। यहां पर गोविंदपुर के अलावा सरजामदा, गरूड़बासा और हुरलुंग जैसे क्षेत्र के बच्चों को इंजीनियर दंपती अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दे रहे हैं।  
संक्षिप्त परिचय
नाम : अनुराग जैन व शिखा जैन
निवासी :  रिवर व्यू इनक्लेव टेल्को
शिक्षा : वर्ष 97 में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, कुरुक्षेत्र से बीटेक (दोनों ने ली डिग्री)
नौकरी : अनुराग एलएंडटी और शिखा मेटाफोर ग्लोबल सोल्यूशन (बाद में छोड़ दी नौकरी)
कहां पढ़ाते हैं : गोविंदपुर, सरजामदा, गरूड़बासा और हुरलुंग ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को दे रहे शिक्षा
संघर्ष
चेन्नई के स्कूल में पढ़ाया 
अनुराग ने स्कूली शिक्षा लिटिल फ्लावर स्कूल, जमशेदपुर से पूरी की। वर्ष 1997 में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, कुरुक्षेत्र से इंजीनियरिंग की है। शिखा और अनुराग यहां बैचमेट थे। डिग्री लेने के बाद एलएंडटी में अनुराग और शिखा की नौकरी मेटाफोर ग्लोबल सोल्यूशन में लग गई। ]
लेकिन, जल्द ही नौकरी से उनका मन भर गया और वे बेचैन रहने लगे। एक दिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और कृष्णमूर्ति फाउंडेशन के बैनर तले चेन्नई में चलने वाले स्कूल में पढ़ाने लगे। अनुराग के मुताबिक, नौकरी छोडऩे के बाद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान पत्नी शिखा का काफी सपोर्ट रहा। उन्होंने हमेशा हौसला बढ़ाया और अच्छे-बुरे वक्त में साथ दिया।
सीख
शिक्षा ही बदलाव का जरिया
अनुराग कहते हैं कि चेन्नई में बच्चों को पढ़ाने के दौरान उनके व्यक्तित्व में बदलाव आया। यहां से कुछ दिनों के लिए वे आंध्र प्रदेश के एक गांव में गए और ऑर्गेनिक फार्मिंग की। वहां उन्हें महसूस हुआ कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, दूसरों को अच्छी जिंदगी देने की पहल कम लोग ही करते हैं। उन्हें लगा कि इसके लिए गांव में बदलाव जरूरी है और शिक्षा की रोशनी ही एकमात्र जरिया है, जो किसी का मौलिक रूपांतरण (फंडामेंटल ट्रांसफॉर्मेशन) कर सकता है। इसके बाद वे जमशेदपुर आ गए और नीव स्कूल की स्थापना की। इसके पहले कुछ समय तक केपीएस, एनएमएल में भी काम किया।
प्रयास
कैसे चलाते हैं स्कूल
अनुराग ने बताया कि उनके दोस्तों के अलावा देश-दुनिया में काम करने वाले भारतीय गांव के गरीब बच्चों को स्पांसर करते हैं। नीव में रूरल किड्स स्पांसरशिप प्रोग्राम के तहत 150 बच्चों में से 80 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा जेवियर लेबर रिलेशंस इन्स्टीट्यूट (एक्सएलआरआई) के छात्र समय-समय पर बच्चों को मोटिवेशन और कॅरियर काउंसिलिंग करते हैं। स्कूल के बच्चे भी एक्सएलआरआई विजिट करते हैं, ताकि उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहन मिले।

Sunday, November 10, 2013

शरद बाबू

प्रस्तुति - दैनिक भास्कर

चेन्नई की गलियों में इडली और दोसा बेच प्रतिदिन 20 रुपए कमाने वाली शरद बाबू की मां ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका बेटा हजारों लोगों के रोजगार का माध्यम बनेगा। शरद बाबू ने बुलंद हौसले की बदौलत अपनी तकदीर की कहानी खुद लिखी और हजारों परिवार के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरी।
आज वे अहमदाबाद स्थित फूड किंग केटरिंग सर्विसेज लिमिटेड के मालिक हैं। बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) पिलानी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग और आईआईएम (मुंबई) से एमबीए करने वाले शरद बाबू 15 नवंबर को शहर आ रहे हैं। वे एक्सएलआरआई में शुरू होने जा रहे मैनेजमेंट फेस्ट ऑन्सम्बल-2013 में देश के बिजनेस स्कूलों के विद्यार्थियों को बिजनेस के गुर बताएंगे।
मां कमाती थी प्रतिदिन 20 रुपए, बेटे ने ठुकराया लाखों का पेकैज औऱ बना फूड किंग





लाखों का पैकेज ठुकरा शुरू की अपनी कंपनी
शरद बाबू ने लाखों रुपए के पैकेज को ठुकराकर 200६ में मात्र दो हजार रुपए में अपनी कंपनी फूड किंग शुरू की। आज उनकी कंपनी में 1000 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। दलित परिवार से संबंध रखने वाले शरद बाबू कहते हैं कि उनकी कोशिश समाज के सबसे निचले तबके को एक सम्मानजनक स्थान दिलाना है। इसके लिए नौकरी नहीं, उनके लिए रोजगार का सृजन करना होगा।
कौन हैं शरद बाबू : शरद बाबू का जन्म चेन्नई के मनीपक्कम गांव में हुआ था। पति की मौत के बाद उनकी मां ने इडली-दोसा बेच उन्हें स्कूल भेजा। पढ़ाई में मेधावी रहे शरद बाबू को बिट्स पिलानी में दाखिला मिला। इसके बाद उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किया। आज वे फूड किंग केटरिंग सर्विसेज के सीईओ हैं।
शरद बाबू एक मिसाल हैं उन युवाओं के लिए, जो नौकरी और पैसे के पीछे भागने की बजाय समाज में चेंज एजेंट बनना चाहते हैं। शरद चाहते, तो किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर लाखों रुपए कमा सकते थे, मगर उन्होंने अपनी कंपनी बनाकर दूसरे के लिए रोजगार सृजन करने की कोशिश की। आज वे देश के हर बिजनेस स्कूल में केस स्टडीज के रूप में अध्ययन किए जाते हैं। प्रो. मधुकर शुक्ला, एक्सएलआरआई
शायद ही कोई हो, जो शरद बाबू की सफलता की स्टोरी को उनकी अपनी जुबां से सुनना नहीं चाहेगा। एक्सएलआरआई समेत देश के बिजनेस स्कूल के छात्रों के लिए यह एक ऐसा अवसर है, जहां वे खुद की कंपनी खड़ा करने के गुर जानेंगे।
ए. स्वामी, सेक्रेटरी, ऑन्सम्बल-2013

Tuesday, November 5, 2013

अजवाइन

रोजाना थोड़ी सी अजवाइन खाने से इन रोगों के लिए दवा नहीं खानी पड़ेगी
अजवाइन का  प्रयोग तड़के, पकौड़े से लेकर बेकरी में बनने वाले नमकीन तक में  किया जाता है। भारतीय खाने में सदियों से उपयोग की जा रही अजवाइन सिर्फ एक मसाला नहीं है।  यह कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती का दर्द और कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है। अजवाइन के कई ऐसे घरेलू प्रयोग हैं, जो हेल्थ प्रॉब्लम्स में रामबाण की तरह कार्य करते हैं तो आइए आज हम आपको बताते हैं अजवाइन के ऐसे ही कुछ औषधीय गुणों के बारे में....

- रोजाना थोड़ी सी अजवाइन खाएंगे तो अर्जीण, कब्ज व गैस जैसी बीमारियां परेशान नहीं करेंगी। 
- सर्दी, गर्मी के प्रभाव के कारण जिन लोगों गला बैठ जाता है। उन्हें बेर के पत्ते और अजवाइन को पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से गरारे करने चाहिए।
- एसिडिटी की तकलीफ  है तो समान मात्रा में लेकर अजवाइन और जीरा को एक साथ भून लें। फिर इस मिश्रण को पानी में उबाल कर छान लें। इस छने हुए पानी में चीनी मिलाकर पिएं, एसिडिटी से राहत मिलेगी।
- मुंह से दुर्गंध आने पर अजवाइन को पानी में उबालकर रख लें। इस पानी से दिन में दो-तीन बार कुल्ला करने पर दो-तीन दिन में दुर्गंध खत्म हो जाती हैं। 
-2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें। चेहरा चमकने लगेगा।
- अजवाइन को भून व पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण से मंजन करने से मसूढ़ों के रोग मिट जाते हैं।
- पैर में कांटा चुभ जाए, तो कांटा चुभने के स्थान पर पिघले हुए गुड़ में 10 ग्राम अजवाइन मिलाकर थोड़ा गर्म कर बांध देने से कांटा अपने आप निकल जाएगा। 
- कान में दर्द होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूंदे कान में डालने से आराम मिलता है। घाव और जले हुए स्थानों पर भी अजवाइन का लेप करने से आराम मिलता है और निशान भी दूर हो जाते हैं।
- सरसों के तेल में अजवाइन डालकर अच्छी तरह गर्म करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। 
- दाद की समस्या होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। दाद एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा।

Monday, November 4, 2013

तुलसी

सौजन्य से : www.facebook.com

तुलसी के पौधे का ज्योतिषीय महत्त्व होने के साथ ही इसका प्रयोग दवाओं के रूप में आयुर्वेद में भी किया जाता है ।

तुलसी का पेड़ अधिकतर हर हिन्दू परिवार में जरूर लगाया जाता है , तुलसी दो रंग में पाई जाती है रामा तुलसी और श्यामा तुलसी ,रामा हरी और श्यामा काली होती है ,मगर दोनों के ही फायदे अनेक हैं ।

• तुलसी की पत्तियों को पीस का पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है ।
• दांतों में अगर कीड़ा लग रहा हो तो ,तुलसी ले रस में लौंग का तेल या लौंग का चूर्ण एक बराबर मात्रा में लें और इसमें १/४ टुकड़ा खाने वाला कपूर मिलाकर लगाने से आराम मिलता है । 



• सर्दी-जुकाम या बुखार होने पर २ १ तुलसी दल ,७ काली मिर्च को उबाल कर आधा करें इसमें ३ बताशे डालकर पिलाएं ।
• तुलसी की मंजरी को साफ़ करके पीसें और दाद-खाद और खुजली पर लगाने से आराम मिलता है।
• तुलसी को प्रतिदिन प्रातः २ पत्ती खाने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है ।
• मंजरी को साफ़ करें और सामान मात्रा में गुड़ मिलाकर बच्चों को खिलने से बुद्धि बढ़ती है

Saturday, November 2, 2013

हरा धनिया

सौजन्य से : www.facebook.com

हरा धनिया मसाले के रूप में व भोजन को सजाने या सुंदरता बढ़ाने के साथ ही चटनी के रूप में भी खाया जाता है। हमारे बड़े-बुजूर्ग इसके औषधिय गुणों को जानते थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिए का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं हरे धनिए के कुछ ऐसे ही औषधिय गुणों के बारे में...

- इसके एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसीलिए अगर चेहरे पर मुंहासे हो तो धनिए की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें चुटकीभर हल्दी पाउडर मिलाकर लगाने से लाभ होता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जीमा, सुखापन और एलर्जी से राहत दिलवाता है।



- हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है। धनिया की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिया की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए।

- धनिया की पत्तियों में एंटी टय़ुमेटिक और एंटी अर्थराइटिस के गुण होते हैं। यह सूजन कम करने में बहुत मददगार होता है, इसलिए जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- आयरन से भरपूर होने के कारण यह एनिमिया को दूर करने में मददगार होता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया कैंसर से बचाव करता है।

- हरा धनिया की चटनी बनाकर खाई जाती है क्योंकि जो इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है। डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। यह इंसुलिन बढ़ाता है और रक्त का ग्लूकोज स्तर कम करने में मदद करता है।