Sunday, January 11, 2009

ग़ज़ल - हम उन्हें वो हमें भुला बैठे

खुमार बाराबंकी साहेब की ग़ज़ल

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत आभार इस प्रस्तुति का. आनन्द आ गया.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर मजा आ गया सुन कर .
धन्यवाद

मनोज अबोध said...

sunder prastuti hai bhai, badhai !