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स्टार क्रिकेटर राहुल द्रविड़ की मां नहीं, पुष्पा द्रविड़ कहिए। मुझे यही संबोधन प्रिय है। मेरी अपनी पहचान यही है। देश के प्रसिद्ध चित्रकारों में शामिल, कर्नाटक की लोकप्रिय चित्रकार डॉ. पुष्पा द्रविड़ के लैंडस्केप, पोट्रेट और वॉश के फिगरेटिव पेंटिंग्स भी देशभर में सराही जाती हैं।
इंदौर से बेंगलुरू?
मेरा बचपन इंदौर में बीता। 1965 में उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से एमए (चित्रकला) के पहले बैच की छात्रा बनीं। यही जिंदगी का टर्निग प्वाइंट रहा। इसके बाद कला और कलाकारों की संगत ने जीवन के रंग ही बदल दिए। यहां मैं और डॉ. भावसार बैचमेट थे। पढ़ाई के बाद कुछ वष्रो तक इंदौर में अध्यापन फिर ग्वालियर में शादी हुई। वहां से पति शरद के तबादलों के चलते अनेक शहरों में रहते हुए, 1992 में बेंगलुरू पहुंचे और फिर वहीं के होकर रह गए।अब किसी को बताएं कि द्रविड़ परिवार मुख्यत: मप्र से संबंध रखता है तो लोगों को यकीन नहीं होता।
परिवार , कला और क्रिकेट ?
चित्रकला को करियर के रूप में अपनाने के बाद भी मेरी प्राथमिकताओं में परिवार सबसे पहले रहा। मैंने बच्चों की शिक्षा, परवरिश और संस्कारों का पूरा ध्यान रखा। उसके बाद कला फिर क्रिकेट देखने के लिए समय निकाला। राहुल के भीतर जो धर्य है, उसमें मेरे घंटों तक रंगों के काम्ॅबीनेशन, ब्रश के सलीके का भी खासा योगदान है। राहुल को क्रिकेट की ललक पिता से मिली और ‘बेस्ट इन क्लास’ की प्रेरणा मुझसे।
क्रिकेट पर बात नहीं ?
क्रिकेट पर बात के लिए राहुल ही परफेक्ट है। मेरे पास क्रिकेट देखने के लिए लंबा समय नहीं है। कभी-कभी झलकियां जरूर देख लेती हूं।
58 वर्ष में पीएचडी ?
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मेरा मन पीएचडी करने का था, लेकिन उस समय संभव नहीं हुआ। बाद में भी किसी न किसी कारण से यह टलता रहा। रिटायरमेंट के अंतिम वर्षो में मुझे लगा कि अब परिवार की जिम्मेदारियां पूरी हो गई हैं, तो सोचा कि यही समय है और बस पीएचडी कर ली।
राहुल की सर्वोत्तम पारी ?
मेरे ख्याल से राहुल की सबसे अच्छी पारी उस समय आई जब वह तीसरी क्लास में था। राहुल ने उस मैच में शतक लगाया था और 3 विकेट भी लिए थे। यह इतना शानदार प्रदर्शन था कि स्कूल ने एक सप्ताह बाद राहुल को ट्राफी देकर सम्मानित किया। मेरे लिए यह बेटे का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
6 comments:
रोचक आलेख. राहुल की माँ डॉ. पुष्पा द्रविड़ का यह पहलु ज्ञात न था, आपका आभार.
रोचक लेख। राहुल द्रविड़ की मां के बारे जानना बहुत अच्छा लगा। शुक्रिया।
यह ५८ साल की उम्र में पी.एच.डी. पढ़ कर अच्छा लगा।
लीजिये मध्यप्रदेश के खुद हैं । और हमें इतना पता ही नहीं था । जानकारी बढ़ाने का शुक्रिया ।
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
ये तो पथा था कि पुष्पाजी पेन्तिंग करती हैं पर इतनी सुन्दर! यह पता नहीं था।
जानकारी देने के लिये धन्यवाद।
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