Sunday, January 18, 2009

बुजुर्गो के हमसफर

प्रस्तुति - जागरण नई दिल्ली


समाज में कुछ बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जिन्हें उम्र के इस पड़ाव पर प्यार और सम्मान के बजाय उपेक्षा और अकेलेपन का दंश झेलना पड़ता है। इस कारण बहुत से बुजुर्ग बुढ़ापे को बोझ मानने लगते हैं, पर समाज में ऐसे लोग भी हैं, जो बुजुर्गो के जीवन को सुविधाजनक बनाने में लगे हुए हैं। ऐसा ही एक अभियान है 'बुजुर्गो के हमसफर'। इस अभियान का उद्देश्य है बुजुर्गो के लिए कहीं भी आने-जाने के लिए मुफ्त वाहन सेवा उपलब्ध करवाना। दिल्ली में रहने वाले किसी बुजुर्ग को चाहे उसे बैंक, अस्पताल आदि जाना हो या दिल्ली की सैर करनी हो।
उसे बस, एक हेल्पलाइन नंबर डॉयल करना होगा और थोड़ी ही देर में उनके दरवाजे पर ड्राइवर के साथ गाड़ी हाजिर हो जाएगी। फिलहाल दिल्ली में इस सेवा के जरिए हर रोज तीन-चार बुजुर्ग लाभान्वित हो रहे हैं। बुजुर्गो के लिए राजधानी में अपने किस्म की यह अनूठी सुविधा उपलब्ध करवा रही है, गैर सरकारी संस्था 'द पाथ' और इस अभियान का मीडिया पार्टनर है, सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध अखबार 'दैनिक जागरण'।
पिछले साल अगस्त माह से चल रही इस सेवा को शुरू करने का आइडिया कैसे आया? यह पूछने पर 'द पाथ' की अंजली गुप्ता ने बताया कि दिलशाद गार्डन में जहां वे रहती हैं। उस कॉलोनी में बहुत से बुजुर्ग भी रहते हैं। वे अक्सर देखती थी कि उनको कहीं आने-जाने में बहुत तकलीफ होती थी। एक बार एक अंकल-आंटी को अपने बेटे का कार्यक्रम देखने जाना था। उन्होंने हमसे वहां ले चलने का आग्रह किया। मुझे ड्राइविंग आती नहीं थी, सो पति को फोन करके बुलाया और उनको कार्यक्रम दिखाने ले गए। उस दिन जो खुशी मिली उसे शब्दों में नहीं बता सकती। फिर तो सिलसिला ही चल पड़ा। किसी बुजुर्ग को कहीं जाना होता, हम ऑटो या टैक्सी करके भी उनको ले जाते थे। ऐसा करते हुए डेढ़ साल बीत जाने के बाद लगने लगा कि हर माह इस काम पर खर्च बढ़ता ही जा रहा है। बावजूद इसके हम इसे जारी रखे हुए थे।
इसमें मुझे मेरे पति बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.पीयूष गुप्ता का भरपूर सहयोग मिलता रहा। अंजली बताती हैं कि एक कार्यक्रम के दौरान ओजोन ग्रुप के एससी सहगल से मुलाकात हुई और उन्होंने न केवल इस कार्य को सराहा, बल्कि हमें इसके लिए गाड़ी भी दी। आज इस सेवा के अंतर्गत तीन गाडि़यां चल रही हैं। ड्राइवर, ईधन आदि का पूरा खर्च प्रायोजित कंपनी ही वहन करती है। हमारे इस कार्य को आगे बढ़ाने में असीम घोष और वीएस माथुर का भी भरपूर सहयोग मिला है। कुछ दिनों में 'बुजुर्गो के हमसफर' में दो और गाडि़यां शामिल हो जाएंगी। इस अभियान को चलाने का हमारा उद्देश्य यही है कि समाज बुजुर्गो को बोझ न समझे। उनको प्यार और भरपूर सम्मान दे। बहुत तकलीफ होती है, जब साधन-संपन्न परिवारों में भी बुजुर्गो को दयनीय हालत में देखती हूं।

एक और ग़ज़ल (नूर ज़हान)

3 comments:

Udan Tashtari said...

द पाथ के बारे में जानकर बड़ा अच्छा लगा, बहुत साधुवाद संस्था के सार्थक प्रयास के लिए.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगा यह कर्म, काश सभी सोचते !! धन्यवाद

Birds Watching Group said...

ggggggg....ooooo....ddddd

good
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