उत्थायोत्थाय बोधह्व्यम किमद्य सुकृतं कृतम ।
आयुष: खंडमादाय रविरस्तम गमिष्यति । ।
मनुष्य को प्रतिदिन प्रात: काल उठते ही यह सोचना चाहिए की आज मुझे क्या सुकर्म करना है, क्या सुकर्म मैंने किया है? क्योंकि आयु के एक भाग को लेकर आज भी सूर्य अस्त हो जायेगा । प्रतिदिन मनुष्य की आयु का एक भाग छीण होता रहता है ।
4 comments:
बहुत प्रेरणादायी विचार है!
sabse achcha yahi laga aaj.
बहुत सुंदर विचार.
धन्यवाद
अत्यन्त उपयोगी विचार।
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