सरकार बैंक जमा पर इंश्योरेंस कवर की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। फिलहाल एक लाख रुपए तक की जमा राशि ही इंश्योरेंस कवर के दायरे में आती है। सरकार का मकसद बैंकिंग प्रणाली में ग्राहकों का भरोसा फिर से मजबूत करना है। इंश्योरेंस कवर का बढ़ने वाला दायरा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र , दोनों के बैंक डिपॉजिट पर लागू होगा।
इसे भी पढ़ें : क्रेडिट कार्ड का लोन महंगा, क्रेडिट लिमिट हुई कम
पढ़ें : लोन किससे लें- सरकारी या प्राइवेट बैंक
इस समय बैंक के उपभोक्ताओं की अधिकतम एक लाख रुपए की जमा राशि बीमा के दायरे में आती है। इसमें मूलधन और ब्याज की रकम , दोनों शामिल हैं। जमा पर बीमा योजना डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट ( 1961 ) के तहत दी जाती है। वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इंश्योरेंस कवर की सीमा को एक लाख रुपए से अधिक करने के लिए इंश्योरेंस एंड केडिट गारंटी एक्ट में संशोधन किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर के दायरे में 2 लाख रुपए तक की जमा राशि को लेना चाहता है। भारतीय बैंकों में जमा का औसत आकार 50,000 रुपए (ग्रामीण क्षेत्रों में यह रकम और भी कम है) है , इसलिए ज्यादातर ग्राहक इसके दायरे में होंगे। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया , ' हम डिपॉजिट इंश्योरेंस को बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक से बातचीत कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय का मानना है कि एक लाख रुपए की सीमा काफी कम है। ' भारत में डिपॉजिट इंश्योरेंस संबंधी गतिविधियों पर नजर रखने का काम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड केडिट गारंटी काउंसिल (डीआईसीजीसी) करती है। यह रिजर्व बैंक के सहयोग से काम करती है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) , सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में जमा राशि इंश्योरेंस कवर के तहत है। सभी बैंकों को इंश्योरेंस कवर स्कीम के तहत डिपॉजिट के लिए काउंसिल के पास एक निश्चित प्रीमियम जमा करना पड़ता है। जानकारों का कहना है कि इंश्योरेंस कवर के 1 लाख से बढ़कर 2 लाख रुपए होने पर बैंकों को पहले की तुलना में काउंसिल को ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा। भारत में डिपॉजिट इंश्योरेंस की शुरुआत 1962 में की गई। उस समय अमेरिका के बाद भारत इसे लागू करने वाला दुनिया का दूसरा देश था। अमेरिका ने डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर 1933 में शुरू किया।
2 comments:
चलो इसी बहाने बैंकिंग प्रणाली में ग्राहकों का भरोसा तो लौटेगा ।
बैंकिंग प्रणाली में भरोसे की बहुत अहमियत होती है | एक बार ये गया तो बैक का बहुत कुछ जाता है |
Post a Comment