तीन से छह साल के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए ताजा पकाये या पहले से तैयार पूरक पोषाहार (सप्लीमेंट्री न्यूट्रीशन) पर फैसला अभी बाकी है। लेकिन सरकार की नजर आंगनबाड़ी केंद्रों की लगभग 18 लाख महिला कार्यकर्ताओं पर जरूर पहुंच गई है। लोकसभा चुनाव के पहले वह उन्हें एक और तोहफा देने की तैयारी में है। केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लगते ही वे साल में दो सरकारी साड़ियों की भी हकदार हो जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक समेकित बाल विकास योजना में बदलाव के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों की मुख्य कार्यकत्रियों व सहायिकाओं को साल में दो-दो साड़ियां दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है। व्यय वित्त समिति (ईएफसी) ने भी उसकी मंजूरी दे दी है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसको शामिल करते हुए आईसीडीएस के पूरे संशोधित प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी के लिए भी भेज दिया है। बताते हैं कि बुधवार को कैबिनेट संभावित बैठक में संशोधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की भी उम्मीद थी। लेकिन महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेणुका चौधरी की गैरमौजूदगी के चलते यह मामला अगली बैठक के लिए टल गया है। गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केंद्रों की महिला कार्यकर्ताओं का मानदेय पहले ही एक हजार से डेढ़ हजार रुपए और सहायिकाओं का 500 रुपए से 750 रुपये प्रतिमाह किया जा चुका है।
सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रालय ने आईसीडीएस में बदलाव की बाबत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के कुछ प्रस्तावों पर भले सहमति जता दी हो, लेकिन उसने कई मांगों को खारिज भी कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि उसने इस योजना को 'मिशन मोड' में रखे जाने से असहमति जता दी है, जिससे योजना को प्रभावी तरीके से लागू कराने में मदद मिलती। इसके अलावा आईसीडीएस का काम देखने के लिए मंत्रालय में खासतौर से एक अपर सचिव का पद सृजित करने से भी वित्त मंत्रालय ने इनकार कर दिया है। साथ ही संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के नए पद के लिए व्यय विभाग से संपर्क करने की सलाह दी है। लिहाजा उसके लिए भी अगली
इतना ही नहीं, उसने आंगनबाड़ी भवनों को पक्का बनाने के लिए अलग से धन देने से भी इनकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि बच्चों को ताजा पकाये या पहले से तैयार (रेडी टू ईट) पूरक पोषाहार (सप्लीमेंट्री न्यूट्रीशन) पर अर्से से विवाद है। यह मामला दो बार हुई ईएफसी की बैठक में भी नहीं सुलझ सका। लिहाजा उसका फैसला भी अब कैबिनेट की अगली बैठक में ही होना है।
1 comment:
achchhi baat he...
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