एक भारतीय दंपत्ति और उनकी संस्था को तमिलनाडु में सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए एक जाना-माना अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.
शंकरालिंगम जगन्नाथन और उनकी पत्नी कृष्णामल उन पाँच लोगों में शामिल है जिन्हें 'राइट लाइवलिहुड अवार्ड' देने की घोषणा की गई है. इस पुरस्कार को ऑलटरनेटिव नोबेल यानी नोबेल के बराबर का ही एक अन्य पुरस्कार माना जाता है.
ये पुरस्कार स्वीडन की संसद में आठ दिसंबर को एक समारोह में दिया जाएगा. ये पुरस्कार नोबेल पुरस्कारों से दो दिन पहले दिए जाते हैं.
तमिलनाडु के ये दंपत्ति 'लैंड फ़ॉर द टिलर्स फ़्रीडम' नाम की संस्था चलाते हैं.
इस संस्था का मक़सद भारत में दलितों का सामाजिक स्तर बेहतर करना है.
पुरस्कार देने वाले जजों ने इस दंपत्ति की भारत के ग्रामीण इलाक़े में ग़रीब लोगों के बीच काम करने के लिए सराहना की है. उनका कहना है कि वहाँ भूमिहीन लोगों के बीच ज़मीन बाँटने के लिए पति-पत्नी ने ख़ासा काम किया है.
इस दंपत्ति और पुरस्कार जातने वाले तीन अन्य लोगों को 20 लाख क्रोनोर यानी लगभग तीन लाख डॉलर की राशि दी जाएगी जो इनमें आपस में बाँटी जाएगी.
इस पुरस्कार की स्थापना स्वीडन के दानी जेकब वॉन एक्सकल ने 1980 मे की थी. उनका लक्ष्य था कि ये पुरस्कार उन लोगों को उस काम के लिए दिए जा सकें जो काम नोबेल पुरस्कार के लिए अनदेखा कर दिया जाता है.
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शंकरलिंघम और उनकी सहचरी को बधाई
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