Sunday, October 26, 2008

मंदी में हैं बड़े-बड़े गुण

मंदी को एक नए नज़रिए से देखें तो ये विश्व की अर्थ व्यवस्थाओं का विश्व कप है कुल मिला के चुनाव हो रहे हैं। विभिन्न अर्थ व्यवस्थाओं में जो जीतेगा वो आने वाले समय में अपनी सत्ता स्थापित करेगा। यह पुराने धन कुबेरों के जाने और नए धन कुबेरों की ताजपोशी का विजय गान होगा।
शेयरों का टूटना शुभ है यह संकेत है कि अब कंपनी पुराने और महँगे उत्पादों से लोगों को मुर्ख नहीं बना सकती। उन्हें और मेहनत कर नए और सस्ते उत्पाद लाने होगें। जिन कंपनियों के कर्मचारी निकाले जा रहे उन्हें अपने आपको और तकनीकी कुशल बनाना होगा।

कई निवेशक हैं, जो मंदी के दौर में नामी-गिरामी कंपनियों में लंबी अवधि के लिए पैसा लगा रहे हैं।
बेशक, वैश्विक मंदी ने बहुत लोगों के लिए त्योहार की चमक धुंधली कर दी है, लेकिन हमेशा की तरह तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। धनतेरस धन धान्य का पर्व है। हालिया समय कितना भी बुरा रहा हो, लेकिन इस धनतेरस पर भी बाजार में उमंग होगी, पर्व थोड़ा-सा उत्साह बिखेरेगा। इसलिए मौका भी है और दस्तूर भी..यह जानने का कि मंदी क्या बिल्कुल काली है या इसमें हम कहीं उत्साह की उजास भी देख सकते हैं? बाजार के उस्ताद हमें दिलासा देते हैं। चलिए, शेयरों से हटकर बात करते हैं। डीएलएफ समूह के चेयरमैन केपी सिंह के मुताबिक अब ज्यादा बिल्डर सस्ते मकान बनाने पर ध्यान देंगे। इससे वे लोग भी अपना घर बना सकेंगे, जिनके लिए यह अभी तक दिन का सपना ही था। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि मंदी ने स्टील और सीमेंट की कीमतें गिरा दी हैं। इनकी कीमतों में अभी तक 10 से 15 फीसदी गिरावट होने से घर बनाना पहले से सस्ता हुआ है। प्रापर्टी की कीमतों में गिरावट भी मंदी का ही नतीजा है।
फिक्की के महासचिव अमित मित्रा के मुताबिक मंदी से उत्पन्न चुनौतियों की अगर सही काट निकाली जाए, तो आने वाले दिनों में कई संभावनाएं हैं। मंदी के दौर में कंपनियों का जोर लागत घटाने पर होता है। इसका फायदा हमेशा आम ग्राहकों को सस्ते उत्पाद के तौर पर मिलता है। एयरटेल के राजन मित्तल कहते हैं कि मंदी में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ती है और ग्राहकों का ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। दरअसल, इतिहास बताता है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में उपभोक्तावाद का बीज 1930 के दशक की मंदी के दौर में ही पड़ा था। तब कंपनियों के बीच सस्ते व टिकाऊ सामान बनाने की होड़ लग गई थी। इस बार भी यही होना है।
दिल्ली सहित देश के तमाम बड़े बाजारों में ब्रांडेड कंपनियों ने जिस तरह से 'डिस्काउंट' व 'सेल' के जरिए बिक्री बढ़ाने की मुहिम छेड़ी है, वह भी मंदी का ही कमाल है। इसलिए आप बड़े और नामी स्टोर जाकर 25 से 40 फीसदी तक छूट का फायदा उठा सकते हैं।
मंदी के फायदे और भी हैं। मंदी से निपटने के तरीके बताने के लिए विश्व भर में कई विशेषज्ञ रातों-रात पैदा हो गए हैं। कई वेबसाइटें बना ली गई हैं। ऐसी ही एक वेब-साइट रिसेशनसर्वाइवर डाट काम के मुताबिक मंदी में परिवारों के बीच प्यार बढ़ता है। पड़ोसियों के बीच खटपट कम होती है। आदमी खर्चो में कटौती करता है, बचत सीखता है। जीवन को ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से चलाया जाता है। लब्बोलुआब यह कि हुजूर मंदी का रोना रोने से बाज आइए और जो मौके मिल रहे हैं, उनका फायदा उठाइए।

9 comments:

P.N. Subramanian said...

आज आम आदमी जिसका शेयर बाजार से कोई वास्ता नहीं है,वो तो महँगाई में मारा जा रहा है.
दीपावली कि शुभकामनाएँ.

दिनेशराय द्विवेदी said...

मंदी में सचाई से वास्ता पड़ता है। सपने टूट जाते हैं। सामाजिक सोच पैदा होती है।

ताऊ रामपुरिया said...

आपकी बात में दम तो है जनाब ! आपको परिवार व इष्ट मित्रो सहित दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

Udan Tashtari said...

सही सोच है महाराज!!


गुर सारे जिन्दा रहने के,
ये जीवन ही सिखलाता है.


आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

संगीता पुरी said...

आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये।

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

mandi ki mahima anant hai.
अच्छा िलखा है आपने । दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

कुन्नू सिंह said...

दिपावली की शूभकामनाऎं!!


शूभ दिपावली!!



- कुन्नू सिंह

योगेन्द्र मौदगिल said...

Theek baat
आपके परिवार, मित्रों एवं ब्लाग-मंडली को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
--YOGENDRA MOUDGIL N FAMILY

Gyan Dutt Pandey said...

मंदी का रोना रोने से बाज आइए और जो मौके मिल रहे हैं, उनका फायदा उठाइए।
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बहुत सही कहा जी!