Friday, October 31, 2008

टक्कर

आज सुबह सुबह ऑफिस पहुँचा और कुछ ही देर बाद ऑफिस की एक महिला दौड़ती हुई आई । उसने बताया सामने सड़क पर एक भयंकर दुर्घटना घटी है ।
मैं भी उसके और अन्य कर्मचारियों के साथ सड़क पर गया । सड़क पर देखा तो २ बड़ी स्पोर्टस स्टाइल की कार उल्टे पड़ी थी । मेरे साथ की महिला बताती है कि वो बाइक पर आकर जैसे ही पार्क कर रही थी तभी उसके सामने ये घटना घटी । एक कार में महिला ड्राईवर था दुसरे में पुरूष । हुआ यूँ कि पुरूष ड्राईवर लेफ्ट में जाने वाला था और सामने से तेज़ गति से आ रही महिला ड्राईवर ने उसे जोरदार टक्कर मारी । लेफ्ट में जाने वाली कार ३ बार पलटी और बिज़ली के खम्मे टकरा कर रुक गई । मेरे साथ जो महिला थी उसने पास जाके उस महिला को काफी खून से सने देखा । पुरूष भी अचेतन अवस्था में था । पोलिस और अम्बुलेंस २-३ मिनट्स के अन्दर आ गई ।
मेरे सामने उन्होंने पुरूष को गाड़ी से निकाला । उन्हें गाड़ी को काटना पड़ा ।
घटना का सार ये है कि सामान्य सड़के कार रेस के लिए नहीं बनी है । संभाल के चलाना काफी आवश्यक है । हरदम शीशे से आस पास के वाहन पर ध्यान रखना ज़रूरी है । कार एक यात्रिक वाहन है थोडी ही देर अगर ध्यान न दे तो यह तेज़ गति पकड़ सकता है । कार में अत्यधिक संगीत, बातचीत या अन्य वस्तुओँ का इस्तेमाल न करें , ये सब आपका ध्यान बटा देते हैं ।

ताज़ा जानकारी के अनुसार पुरूष अब नहीं रहा और महिला को हो सकता है कि जेल हो । और कुछ दिन उसको अस्पताल में भी बिताने पड़ें । एक क्षण में दो व्यक्ति जिनका जीवन में कुछ और लक्ष्य था किसी और लक्ष्य की और बढ़ गए । दोनों कार ब्रांड न्यू थी जिससे लगता है दोनों व्यक्ति पैसे की द्रष्टि से संपन्न थे और एक अच्छे जीवनपथ पर सवार थे ।

10 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

कमाल कर दिया

Anonymous said...

सड़क पर ड्राइविंग संभल कर ही करनी चाहिए

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

होश खोने पर यही होगा

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

िववेक जी,
अच्छा िलखा है आपने । सडक पर चलते समय ध्यान रखना चािहए--सावधानी हटी, दुघॆटना घटी ।

राज भाटिय़ा said...

चलिये भाई टक्कर तो हुयी, ओर आदमी गया, तभी तो धायन से चलो.
धन्यवाद उस आदमी की आत्मा को शान्ति मिले

Unknown said...

कहा गया है, सावधानी में ही सुरक्षा है. मानव जीवन को इतने सस्ते मत गंवाइये.

सतीश पंचम said...

जब हम अपने सामने यह दुर्घटना होते देखते हैं तो कुछ पल के लिये हम अपने आपको अलर्ट कर लेते हैं पर बाद में फिर वही सब करने लगते हैं....वही रफ्तार...वही संगीत....वही सब कुछ.....हाय रे मानव मन।

Aadarsh Rathore said...

सतीश जी ने सही कहा
वक्त से साथ हम दोबारा लापरवाह हो जाते हैं

sandhyagupta said...

Bahut satik likha hai aapne.

guptasandhya.blogspot.com

Aruna Kapoor said...

दुर्घटनाएं ज्यादातर दर्दनाक ही होती है।... यातायात के नियमों को ताक पर रख कर वाहन चलाने वाले ...और पदयात्री भी दुर्घट्ना के शिकार होते है।... थोडीसी सावधानी और समझदारी बर्तने की जरुरत है।...आपने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है और एक जरुरी मुद्दे की तरफ ध्यान खिंचा है।...धन्यवाद।