कहते हैं 21वीं सदी की लड़कियां लड़कों से किसी मायने में पीछे नहीं हैं। विश्वास मानिए अब यह सिर्फ कहने की बात नहीं रही। अपनी प्रबल इच्छाशक्ति व आत्मविश्वास के दम पर लड़कियां इस बात की सार्थकता को लगातार साबित कर रही हैं। चाहे हम कल्पना चावला की बात करें या फिर पहली महिला आईपीएस किरण बेदी की। भारत की धरती समय-समय पर नारी सशक्तिकरण के नए आयामों की साक्षी बनती रही है। इसी कड़ी में कुछ नाम और जुड़ गए हैं। जिनकी हिम्मत व जज्बे को सभी नमन करेंगे। पिछले दिनों रेलवे बोर्ड की ओर से धनबाद मंडल को भेजे गए लोको पायलट व गुड््स गार्ड के पैनल में तीन लड़कियों ने लोको पायलट तथा तीन ने गुड्स गार्ड के लिए अपना स्थान सुरक्षित कराया है। इसके अलावा पांच जून को संपन्न गैंगमैन की बहाली प्रक्रिया में भी धनबाद मंडल में 1673 महिला अभ्यर्थियों को सफलता मिली है।
इनकी प्रतिभा को अद्वितीय तो नहीं मगर अद्भुत जरूर कहा जा सकता है। धनबाद मंडल में पहली बार ट्रेन चलाने का गौरव प्राप्त करने वाली कविता व जानकी शुक्रवार से इंजन का स्टीयरिंग थामेंगी। मेडिकल में उत्तीर्ण होने के बाद उन्हें प्रशिक्षण के लिए मुगलसराय रेलवे ट्रेनिंग स्कूल भेजा जा रहा है। ज्योति को पहले ही ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया है। प्रशिक्षण को ले दोनों लड़कियां काफी उत्साहित दिखीं। लोको पायलट कविता कर व जानकी बारी ने दृढ़ निश्चय के बदौलत अपने आप को बहादूर लड़कियों के लिए रोल माडल बना लिया है। इंजन ड्राइवर की परीक्षा उत्तीर्ण कर, इन्होंने दिखा दिया कि अबला मानी जाने वाली नारी आज के युग में पुरुषों से किसी मायनों में पीछे नहीं है। उड़ीसा के राउरकेला जिले में रहने वाली दोनों लड़कियों ने कहा कि भारतीय रेलवे का हिस्सा बनकर वे गर्व महसूस कर रही हैं। कविता कर ने राउरकेला इंस्टीच्यूट आफ टेक्नालाजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। उसके पिता यादवेंद्र कर उड़ीसा सरकार के अधीन कार्यरत हैं। कविता ने बताया कि वह जूनियर इंजीनियर बनने की तैयारी कर रही थी। इसी बीच जब उसे पता चला कि उसकी दोस्त ने ईस्ट कोस्ट रेलवे में लोको पायलट की परीक्षा पास कर ली, तो उसने भी इस लाइन में आने की ठान ली। इसके बाद क्या था दूसरे बार के प्रयास ने उसके सपने पूरे कर दिए। जब वह इस सुखद समाचार के साथ घर पहुंची तो उसके माता-पिता के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरी ओर जानकी भी प्रशिक्षण को लेकर काफी रोमांचित है। उसके पिता भी रेलवे में ही कार्यरत थे। वहीं जानकी के बड़े भाई रेलवे के गुड््स गार्ड ही हैं। जानकी ने इलेक्ट्रानिक्स एंड टेली कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा किया है। कविता के तरह ईस्ट कोस्ट की महिला पायलट ने ही जानकी को भी इस मार्ग के लिए प्रेरित किया था। दोनों ने संयुक्त रूप से कहा कि आज लड़के और लड़कियों में कोई अंतर नहीं है। सफलता के लिए सिर्फ आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति की जरुरत है। महिलाएं रूढि़वादी विचारधाराओं से ऊपर उठ कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। सफलता उनके कदम चूमेगी। गुडस गार्ड के लिए चयनित तीनों लड़कियों को रिपोर्ट करने को कहा गया है। इसी तरह लिखित परीक्षा के बाद भारी तादाद में महिला गैंगमैन भी फावड़े व हथौड़े के साथ मंडल का कामकाज संभालेंगी।
2 comments:
इतिहास उठाकर देखें भारत में महिलाएं कब पीछे रही है
सत्य ! भाई
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