Saturday, September 6, 2008

जहां धूप हो, वहीं घूम जाता है यह मकान

ऐसे में जबकि ऊर्जा की कीमतें बेतहाशा बढ़ रही हैं, बेल्जियम में एक कोयला व्यापारी से बिल्डर बने फ्रेंकोइस मसाऊ के द्वारा ईजाद किया गया घूमने वाला मकान आज दुनिया को ऊर्जा की बचत की सीख दे रहा है। मसाऊ की मृत्यु 2002 में 97 साल की उम्र में हुई थी। 1958 में, जब कुछ ही लोग इकॉलजी या ऊर्जा संरक्षण के बारे में जानते थे, मसाऊ ने घूमने वाला (रिवॉल्विंग हाउस) बनाया था। मसाऊ द्वारा सबसे पहले बनाए गए घुमंतू मकान की आधारशिला ईंट और कंक्रीट से बनी है जिसका आकार गोल है। इसे स्टील से बने एक ट्रैक का सहारा है, जिस पर यह एक छोटी इलेक्ट्रिक मोटर के जरिए घूमता है। इस मकान को उसने अपनी बीमार स्कूल टीचर पत्नी को ध्यान में रखकर बनाया था ताकि वह दिन और साल में कभी भी धूप के प्रकाश और उसकी गर्मी ले सकें। बेल्जियम में इन दोनों की चीजों की कमी रहती है। बढ़ती ऊर्जा कीमतों के इस दौर में घूमने वाली इमारतों का फैशन है। साउथ जर्मनी के रोल्फ डिश सौर ऊर्जा से चालित घूमने वाला मकान बना चुके हैं। इसी तरह इटैलियन आर्किटेक्ट डेविड फिशर का प्लान दुबई में 80 मंजिला रोटेटिंग डायनमिक टावर बनाने का है। कुछ लोग इसे सनफ्लॉवर आर्किटेक्चर भी कह रहे हैं। मसाऊ द्वारा ईजाद की गई तकनीक इतनी शानदार और असरदार थी कि यह आज भी काम करती है। उन्होंने जो भी 3 घुमंतू मकान बनाए थे, वे सभी आज तक इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। इनमें से एक घर तो जल्द ही 50वां स्थापना वर्ष पूरा कर लेगा। मसाऊ के बारे में लिखने वाले एक रिटायर्ड पत्रकार गाय ओटन ने बताया कि मसाऊ की इस कोशिश को कभी भी प्रोत्साहन नहीं मिला। उसने ये खास मकान अपने हाथों से अकेले ही बनाए। यहां तक कि उसके पास इस पर खर्च के लिए पैसे भी नहीं थे।

No comments: