रिटायर्ड होने के बाद समय को कैसे समाज के लिए लगाया जाए। इस बात को जानना है तो आपको हिसार के सेक्टर 13 में आना होगा। यहां सरकारी सेवाओं से रिटायर्ड हुए बुजुर्गों ने एक ऐसी समिति का गठन किया है जोकि युवाओं के लिए भी एक आदर्श बनी हुई है।
समिति के सभी सदस्य लोगों के झगड़े-फसाद व उलझी हुई समस्याओं को निपटाते हैं। समिति में है सत्तर लोगों का समूह। सभी उम्र-दराज और जिंदगी के कार्यकलापों के अनुभवी हैं। इनमें कोई रिटायर्ड एसपी है तो कोई एसडीओ। रिटायर्ड मास्टर, कर्नल, बुजुर्ग किसान सभी वर्र्गो व जातियों के ये लोग नित्य प्रति इकट्ठे होते हैं हिसार के सेक्टर 13 स्थित पब्लिक हेल्थ कालोनी परिसर में। बुजुर्र्गो की इस टोली को कालोनीवासियों ने नाम दिया है शिकायत निवारण समिति।
प्रारंभ में इस समिति के सदस्यों में सिर्फ सेक्टर 13 के कुछ बुजुर्ग ही सदस्य थे। लेकिन बाद में अर्बन एस्टेट, माडल टाउन, सेक्टर 16 व 17, डीसी कालोनी व पीएलए के बुजुर्ग भी इसके सदस्य बन गए। समिति की हर रोज सुबह सात बजे से रात के ग्यारह बारह बजे तक बैठक चलती है। इस लंबी बैठक में समिति का कोई सदस्य दो घंटे लगाता है तो कोई पांच।
प्रत्येक सदस्य अपनी स्वेच्छा से आते-जाते रहते हैं। प्रत्येक दिन की बैठक की शुरुआत समिति को मिलने वाली किसी समस्या व झगड़े की शिकायत को निपटाने के लिए शुरु होती है। इन समस्याओं में गृहस्वामी-किराएदार का झगड़ा, पारिवारिक कलह, लेन-देन विवाद से लेकर पुलिस व कोर्ट कचहरी तक पहुंचने वाले मामलों का सहजता से निपटान हो जाता है।
समिति अध्यक्ष भरत सिंह बामल कहते हैं कि दो वर्र्षो में समिति ने इतने मामले निपटाएं है जिन्हें अब गिन पाना मुश्किल है। लेकिन समिति के सदस्य पूर्व सरपंच महताब सिंह व जगबीर गुराना निपटाए गए कुछ बड़े मामले बताते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ माह पूर्व नारनौंद क्षेत्र की एक लड़की की बारात आने के वक्त दहेज की मांगते हुए बारात लाने से इंकार कर दिया।
लड़की के पिता धर्मबीर ने मदद के लिए समिति के पास गुहार लगाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए समिति के सभी सदस्य सक्रिय हो गए। समिति के सदस्य के परिचित व योग्य युवक अनूप को शादी के लिए मनाया गया। उसी दिन धर्मबीर के घर बारात पहुंची और समिति के सभी सदस्यों ने न केवल बतौर बाराती शादी में शिरकत की बल्कि सभी ने लड़के की शादी के खर्च को भी मिलजुल कर वहन किया।समिति के सदस्य रिटायर्ड एसडीओ महेंद्र सिंह कुंडू, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर बलबीर सिंह ढांडी व मास्टर बलदेव सिंह बताते हैं कि डीसी कालोनी निवासी मेवा ंिसंह डाटा की जमीन को खरीदने की आड़ लेकर किसी व्यक्ति ने धोखे से हथिया लिया था। पैसे मांगने पर उक्त व्यक्ति ने मेवा सिंह को ठिकाने लगाने तक की धमकी दे डाली। परेशान मेवा सिंह ने यह मामला समिति के समक्ष लाया।
समिति के दबाव के चलते मेवा सिंह को उसकी जमीन की पूरी पेमेंट मिल गई। इसी प्रकार समिति कार्यालय के निकट रहने वाले पब्लिक हेल्थ के सेवादार बनवारी लाल का कुछ गुंडों ने अपहरण करने का प्रयास किया। शोर-शराबा सुनते ही कार्यालय में बैठे दर्जनों बुजुर्ग मौके पर पहुंच गए और गुंडों से भिड़ गए।
छह मे से तीन गुंडे अपने वाहन पर सवार होकर मौके से भाग गए जबकि तीन गुंडे बुजुर्र्गो के हत्थे चढ़ गए। सभी गुंडों की मरम्मत करके उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। सेवादार बनवारी लाल का ही नहीं कालोनी का हर परिवार समिति सदस्यों के इस उपकार का बखान करता है। इस प्रकार सैकड़ों ऐसे छोटे बड़े मामले हैं जिन्हें बुजुर्र्गो की इस संसद ने सहजता से निपटाकर लोगों को राहत पहुंचाई है। इन बुजुर्र्गो ने खाली पड़ी सरकारी जमीन पर करीब एक हजार पौधे लगाकर कालोनी को हरा-भरा कर दिया है जोएक मिसाल है।
समिति के सभी सदस्य लोगों के झगड़े-फसाद व उलझी हुई समस्याओं को निपटाते हैं। समिति में है सत्तर लोगों का समूह। सभी उम्र-दराज और जिंदगी के कार्यकलापों के अनुभवी हैं। इनमें कोई रिटायर्ड एसपी है तो कोई एसडीओ। रिटायर्ड मास्टर, कर्नल, बुजुर्ग किसान सभी वर्र्गो व जातियों के ये लोग नित्य प्रति इकट्ठे होते हैं हिसार के सेक्टर 13 स्थित पब्लिक हेल्थ कालोनी परिसर में। बुजुर्र्गो की इस टोली को कालोनीवासियों ने नाम दिया है शिकायत निवारण समिति।
प्रारंभ में इस समिति के सदस्यों में सिर्फ सेक्टर 13 के कुछ बुजुर्ग ही सदस्य थे। लेकिन बाद में अर्बन एस्टेट, माडल टाउन, सेक्टर 16 व 17, डीसी कालोनी व पीएलए के बुजुर्ग भी इसके सदस्य बन गए। समिति की हर रोज सुबह सात बजे से रात के ग्यारह बारह बजे तक बैठक चलती है। इस लंबी बैठक में समिति का कोई सदस्य दो घंटे लगाता है तो कोई पांच।
प्रत्येक सदस्य अपनी स्वेच्छा से आते-जाते रहते हैं। प्रत्येक दिन की बैठक की शुरुआत समिति को मिलने वाली किसी समस्या व झगड़े की शिकायत को निपटाने के लिए शुरु होती है। इन समस्याओं में गृहस्वामी-किराएदार का झगड़ा, पारिवारिक कलह, लेन-देन विवाद से लेकर पुलिस व कोर्ट कचहरी तक पहुंचने वाले मामलों का सहजता से निपटान हो जाता है।
समिति अध्यक्ष भरत सिंह बामल कहते हैं कि दो वर्र्षो में समिति ने इतने मामले निपटाएं है जिन्हें अब गिन पाना मुश्किल है। लेकिन समिति के सदस्य पूर्व सरपंच महताब सिंह व जगबीर गुराना निपटाए गए कुछ बड़े मामले बताते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ माह पूर्व नारनौंद क्षेत्र की एक लड़की की बारात आने के वक्त दहेज की मांगते हुए बारात लाने से इंकार कर दिया।
लड़की के पिता धर्मबीर ने मदद के लिए समिति के पास गुहार लगाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए समिति के सभी सदस्य सक्रिय हो गए। समिति के सदस्य के परिचित व योग्य युवक अनूप को शादी के लिए मनाया गया। उसी दिन धर्मबीर के घर बारात पहुंची और समिति के सभी सदस्यों ने न केवल बतौर बाराती शादी में शिरकत की बल्कि सभी ने लड़के की शादी के खर्च को भी मिलजुल कर वहन किया।समिति के सदस्य रिटायर्ड एसडीओ महेंद्र सिंह कुंडू, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर बलबीर सिंह ढांडी व मास्टर बलदेव सिंह बताते हैं कि डीसी कालोनी निवासी मेवा ंिसंह डाटा की जमीन को खरीदने की आड़ लेकर किसी व्यक्ति ने धोखे से हथिया लिया था। पैसे मांगने पर उक्त व्यक्ति ने मेवा सिंह को ठिकाने लगाने तक की धमकी दे डाली। परेशान मेवा सिंह ने यह मामला समिति के समक्ष लाया।
समिति के दबाव के चलते मेवा सिंह को उसकी जमीन की पूरी पेमेंट मिल गई। इसी प्रकार समिति कार्यालय के निकट रहने वाले पब्लिक हेल्थ के सेवादार बनवारी लाल का कुछ गुंडों ने अपहरण करने का प्रयास किया। शोर-शराबा सुनते ही कार्यालय में बैठे दर्जनों बुजुर्ग मौके पर पहुंच गए और गुंडों से भिड़ गए।
छह मे से तीन गुंडे अपने वाहन पर सवार होकर मौके से भाग गए जबकि तीन गुंडे बुजुर्र्गो के हत्थे चढ़ गए। सभी गुंडों की मरम्मत करके उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। सेवादार बनवारी लाल का ही नहीं कालोनी का हर परिवार समिति सदस्यों के इस उपकार का बखान करता है। इस प्रकार सैकड़ों ऐसे छोटे बड़े मामले हैं जिन्हें बुजुर्र्गो की इस संसद ने सहजता से निपटाकर लोगों को राहत पहुंचाई है। इन बुजुर्र्गो ने खाली पड़ी सरकारी जमीन पर करीब एक हजार पौधे लगाकर कालोनी को हरा-भरा कर दिया है जोएक मिसाल है।
3 comments:
बहुत खूब। ये सच्चे जवान हैं।
अच्छा लिखा है। फौज में भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलना ही चाहिए।
अच्छा लिखा है। फौज में भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलना ही चाहिए।
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