केमिकल मिले दूध के कारण आरोपों की बौछार झेल रहे चीनी नेताओं को अपने अंतरिक्ष यात्रियों के कारनामे से बड़ी राहत मिली होगी। इस रविवार को चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री स्पेस से सकुशल वापस लौट आए हैं। इनमें से एक अंतरिक्ष यात्री झाई झियांग ने स्पेस वॉक भी किया।
चांद को छूने की तैयारी में भारत और जापान से होड़ ले रहे चीन के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि को चीन ने लंबी तकनीकी छलांग कहा है। हाल ही में ओलिंपिक का सफल आयोजन कर चुके चीन में जहां इसे लेकर उत्साह का माहौल है, वहीं दुनिया उसकी इस चहलकदमी को हैरानी से देख रही है।
चीन का स्पेस प्रोग्राम, जिसके बारे में दुनिया संभवत: बहुत कुछ नहीं जानती, बहुत तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है। चीन ने पांच साल पहले अंतरिक्ष में ऐसे यान भेजने की शुरुआत की थी, जिसमें यात्री सवार थे। अब चीन जल्द ही चंद्रमा पर अपना यान भेजना चाहता है, उसका अगले कुछ सालों में अंतरिक्ष में प्रयोगशाला और फिर एक बड़ा स्पेस स्टेशन बनाने का इरादा है।
ताजा कामयाबी और उसकी आगे बढ़ने की रफ्तार को देखकर इन लक्ष्यों को पाने में कोई बाधा नहीं लगती। इस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए। बल्कि अंतरिक्ष में चीन की सफलता तो भारत जैसे देशों के लिए एक प्रेरणा हो सकती है, क्योंकि हम भी उसी की तरह चांद की राह में हैं। पर चीन की उपलब्धि एक नई चुनौती भी हो सकती है, खास तौर से अमेरिका के लिए। चीनी स्पेस प्रोग्राम इस क्षेत्र में अमेरिका के एकाधिकार में खलल डालता है।
चीन की योजना एक ऐसा रॉकेट बनाने की है, जो बहुत भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जा सके। अमेरिका की चिंता यह हो सकती है कि इससे उसके स्पेस मार्केट पर असर पड़ सकता है। पर इससे ज्यादा चिंता चीन के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर है, जो अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुड़ा हुआ है। पिछले ही साल चीन ने एंटी सैटलाइट मिसाइल का परीक्षण किया था और उससे अपना मौसमी उपग्रह मार गिराया था। इसे स्पेस में दूसरे देशों के उपग्रहों के लिए खतरा बताया गया था।
अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती दखल का एक अर्थ यह भी निकलता है कि इससे उसके हथियारों की मारक क्षमता में इजाफा होता है। अगर ऐसा होता है, तो साफ है कि चीन की यह ताकत इस क्षेत्र में एक नया खतरा पैदा कर रही है। चीन को चाहिए कि वह खुद को स्पेस के शांतिपूर्ण इस्तेमाल तक सीमित करे, क्योंकि इसी में सभ्यता की भलाई है।
1 comment:
सही है!
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