रांची में रहने वाली मगदाली का जीवन आज से पांच वर्ष पहले तक किसी आम घरेलू औरत की तरह अपने परिवार तक सिमटा हुआ था। उसी समय पंक्चर की दुकान चलाने वाले उनके पति की मौत हो गई। तीन बच्चों के साथ जिंदगी से जूझ रही मगदाली ने अपने पति के व्यवसाय को अपनाने का फैसला किया।
मगदाली ने बताया कि पति की मौत के बाद मेरे परिवार के भूखों मरने की नौबत आ गई थी। तभी मैंने अपने पति की तरह पंक्चर बनाने का निर्णय लिया। सारा समान तो पहले से ही घर में था, बस मैंने काम सीखना शुरू कर दिया। अब मैं आराम से काम कर लेती हूं।
मगदाली ने बताया कि शुरू में लोग मेरी ओर घूर कर देखते थे। उन्हे आश्चर्य होता था कि एक महिला पंक्चर बनाने का काम करती है। उनके पास दिन में 10 से 15 ग्राहक आते है और वह 50 से 150 रुपये प्रतिदिन कमा लेती है। मगदाली ने बताया कि उन्होंने अपनी बचत से दो वर्ष पूर्व अपनी बेटी की शादी भी की।
मगदाली को एक ही दुख है कि कमाई कम होने की वजह से वह अपने दोनों बेटों को पढ़ा नहीं पाई। अब उनकी इच्छा है कि वह बैंक से कर्ज लेकर अपने काम को साइकिल से मोटरसाइकिल और कार तक विस्तार दे।
मेरा विचार
बूंद बूंद से सागर भरता है मुझे खुशी हुयी कि मगदाली ने अपने सपनों को नई उड़ान दी
1 comment:
मगदाल के बारे में जान कर उनके जद्दोजहद के विषय में मन में आदर भाव आया।
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