परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाले 10-15 साल भारत की तकदीर बदल सकते हैं। एनएसजी में डील को मंजूरी मिलने के बाद अमेरिका, फ्रांस और रूस सहित कई अन्य देशों की बड़ी कंपनियों की बांछें खिल गई हैं।
कई भारतीय कंपनियां भी खुश हैं, क्योंकि डील होने के बाद उन्हें भी काम मिलेगा। एसोचैम और सीआईआई की मानें तो देश की 200 से ज्यादा कंपनियां परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आने को आतुर हैं। इनमें वीडियोकॉन और जिंदल पॉवर ने तो तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
भारत-अमेरिकी परमाणु समझौते पर एनएसजी देशों की हरी झंडी मिलने के साथ ही देश के ऊर्जा बाजार का परिदृश्य एकदम बदल गया है। अगले दशक में इससे परमाणु ऊर्जा के घरेलू बाजार में कई गुना बढ़ोतरी होने की संभावनाएं पैदा हुई हैं।
क्या हैं संभावनाएं: सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉपरेरेशन आफ इंडिया लि. (एनपीसीआईएल) जो देश की एकमात्र अधिकृत परमाणु बिजली निर्माता कंपनी है, अगले एक दशक में घरेलू बाजार में 60,000 करोड़ रुपए (13 अरब डालर) के निवेश की संभावना देख रहा है। इसमें न सिर्फ वे अग्रणी कंपनियां शामिल हैं, जो परमाणु बिजली निर्माण के क्षेत्र में उतरने की योजनाएं बना रही हैं, बल्कि वे छोटे-बड़े निर्माता और सब कांट्रेक्टर भी शामिल हैं, जो परमाणु ऊर्जा उपकरण निर्माण के क्षेत्र में उतरना चाह रहे हैं।
ये कंपनियां लगी हैं लाइन में
इस क्षेत्र में सरकारी कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लि. (भेल) और देश की नंबर एक इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन टूब्रो हैं। बीएचईएल का एनपीसीआईएल के साथ 700 और 1,000 मेगावाट क्षमता वाले परमाणु रिएक्टर बनाने का संयुक्त उद्यम पहले से है जबकि एलएंडटी और एनपीसीआईएल एक फरो्िजग यूनिट के उद्यम के लिए योजना तैयार कर रहे हैं। इनके अलावा रिलायंस एनर्जी, टाटा पावर, सीमेंस, जीएमआर, अरेवा टीएंडडी और एलस्टोम प्रोजेक्ट्स समेत कई कंपनियां भी परमाणु बिजली निर्माण क्षेत्र में उतरने की योजनाएं बना रही हैं।
करार से क्या फायदा>> भारत न्यूक्लियर रिएक्टर के मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में उभर सकता है।>> भारत को थोरियम प्रोसेस की प्रौद्योगिकी मिल जाएगी।>> परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित करने में 5-6 वर्ष लगते हैं, इसमें कमी आएगी।>> इस संयंत्र को स्थापित करने की लागत 6 करोड़ रुपए है, इसमें कमी आएगी।>> भारत को अधिक यूरेनियम मिलेगा।
एक किलो ईधन से कितनी ऊर्जा?कोयला - 3 किलोवाटतेल - 4 किलोवाटयूरेनियम - 50,000 किलोवाटप्लूटोनियम - 60,000,000 किलोवाट
एक दशक का लक्ष्यएनपीसीआईएल के डायरेक्टर फाइनेंस जे.के. घई के अनुसार समझौते के अस्तित्व में आने और परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन के बाद भारत 2018 तक 10,000 मेगावाट परमाणु बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल कर सकता है। इसके लिए अगले एक दशक में 60,000 करोड़ रुपए के प्रत्यक्ष निवेश की संभावनाएं पैदा होंगी। अप्रत्यक्ष रूप से निवेश और अधिक होगा क्योंकि कई कंपनियों को परमाणु बिजली संयंत्र के उपकरण बनाने की प्रौद्योगिकी हासिल करनी होगी।
1 comment:
अच्छा आलेख!!
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