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Monday, September 15, 2008
तरक्कीपसंद नेताओं ने खोजा वोट जुटाने का नया तरीका
राजनेताओं को वोट बटोरने के लिए तमाम हथकंडे अपनाते देखा जा सकता है लेकिन यह थोड़ा अलग तरह का मामला है। अब कुछ राजनेताओं ने अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है और वे युवाओं की मदद कर रहे हैं, उन्हें न केवल रोजगार के काबिल बनाने में बल्कि रोजगार हासिल करने में भी। चाहे वह छिंदवाड़ा में विकास एवं अध्ययन केन्द्र (डीएलसी) खोल रहे कमल नाथ हों, अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र शिवगंगा में रोजगार मेले का आयोजन कर रहे कार्ति चिदंबरम हों या युवाओं के लिए खुदरा कारोबार का प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना हो, ये सभी पुरानी लकीर से अलग राह पर चलते दिख रहे हैं। इसकी चाहे जो वजह हो, लेकिन उनके निर्वाचन क्षेत्रों के युवाओं के लिए यह फायदे की बात है क्योंकि अब कंपनियां भी उनकी मदद के लिए आगे आ रही हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल छिंदवाड़ा में एनआईआईटी के सहयोग से डीएलसी खोला गया। वाणिज्य मंत्री कमल नाथ ने शीर्ष आईटी कंपनियों को इसमें हिस्सा लेने के लिए तो राजी किया ही, जमीन और भवन हासिल करने में भी उनकी मदद की। आज उस इलाके में 20 से अधिक कंपनियां हैं जिनमें इंटेल, एनआईआईटी टेकनेलॉजीज, सिस्को, टीसीएस, आईबीएम, इंफोसिस, डेल, सूजलॉन, एचसीएल जैसी दिग्गज शामिल हैं। इसी तरह वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र शिवगंगा में ग्रामीण युवाओं को संभावित नियोक्ताओं से जोड़ने की पहल की गई है। इसी साल वित्त मंत्री के पुत्र कार्ति चिदंबरम, जो कांग्रेस के सदस्य भी हैं, ने टीमलीज को तमिलनाडु में अपने पिता के संसदीय क्षेत्र में आने का न्योता दिया ताकि शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार मेले का आयोजन किया जा सके। इसके जरिए लगभग 500 लोगों को रोजगार मिला। उसके बाद शिवगंगा में कई रोजगार मेलों का आयोजन किया गया। प्राय: गलत वजहों से चर्चा में रहने वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने सही वक्त पर कदम बढ़ाया। रीटेल सेक्टर में मौका भांपते हुए पार्टी ने बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए कुछ महीने पहले नवनिर्माण एकेडमी ऑफ रीटेल इंडस्ट्रीज खोली। मराठी मानुष के अधिकारों के लिए हो-हल्ला करने वाली पार्टी इस संस्थान में उन युवाओं को भी मौका देगी जो राज्य में पिछले 15 साल से रह रहे हैं।
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2 comments:
बढीया लेख है।
और एक तरफ से ठिक ही है ईससे कम से कम बेरोजगारो को काम मील जाएगा। और गलत भी है ईससे देस की छवी दीखाई दे रही है की कैसा है यह देस
क्या आपका ब्लाग ब्लागवाडी पर भी है। नही है तों डाल लें वहां से भी बढीया ट्रैफीक मील जाएगा।
और फ्री लींक सबमीट भी करा लें तो चार चांद लग जाएगा। जैसे सब्मीटएक्सप्रेस आदी
अच्छा कर रहे हैं ये राजनेता। पर मुझे लगता नहीं कि बहुत डेण्ट पड़ेगा। एक सड़ा सा इमोशनल मुद्दा विकास के मुद्दे की हवा बिगाड़ देता है!
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