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Wednesday, September 10, 2008
सिर्फ दिमाग का खेल है मजाकिया होना
एक नई स्टडी से पता चला है कि व्यक्ति का मजाकिया होना एक दिमागी गुण होता है। इस्राइल के वीजमान साइंस इंस्टिट्यूट में एक इंटरनैशनल टीम ने स्टडी के बाद दावा किया कि मजाकिया प्रवृत्ति 'कॉमिडी ब्रेन सेल' की वजह से होती है। रिसर्चरों के मुताबिक, जैसे ही कोई व्यक्ति किसी कॉमिडी सीन को देखता है, उसका दिमाग ऐक्टिव हो जाता है। इसके बाद जब भी वह उस सीन को याद करता है, दिमाग वैसे ही रिऐक्ट करता है। स्टडी के दौरान मिरगी के 13 रोगियों के दिमाग का विश्लेषण किया गया। कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में इनके दिमाग में इलेक्ट्रोड डाले गए थे। इन्हीं इलेक्ट्रोडों का इस्तेमाल दिमाग के हिप्पोकैंपस के कोशिकाओं पर नजर रखने के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि हिन्पोकैंपस याददाश्त बनाए रखने में अहम रोल निभाता है। स्टडी में देखा गया कि जब भी लोग किसी कॉमिडी शो या मजाकिया पल को याद करते हैं, तो उनके दिमाग की खास कोशिकाएं फिर से ऐक्टिव हो जाती हैं। एक रिसर्चर प्रो. इत्जाक फ्राइड ने बताया कि सबसे अहम बात इन खास कोशिकाओं को दोबारा सक्रिय हो जाना है। कुछ मामलों में इन खास कोशिकाओं का फायरिंग रेट सामान्य परिस्थितियों से 7-8 गुना हो जाता है। प्रफेसर फ्राइड कहते हैं कि अलग-अलग कॉमिडी शो के लिए कोशिकाओं की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। हिप्पोकैंपस कोशिकाएं चूहों जैसे कई अन्य जीवों में भी पाई जाती हैं। सभी जीवों में ये कोशिकाएं किसी पुरानी घटना को दोबारा याद दिलाने का काम करती हैं। फ्राइड बताते हैं कि इन पुरानी यादों में नर्व सेल्स का योगदान भी होता है। प्रक्रिया के दौरान यह भी सक्रिय हो जाती हैं।
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1 comment:
आभार जानकारी के लिए.
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