अर्थव्यवस्था में उभर रही मंदी की स्थिति एवं डॉलर व रुपए की गड़बड़ाती विनिमय दर के बावजूद देश में विदेशी पर्यटकों की संख्या में अच्छी वृद्धि की बहुत अच्छी संभावना है। यह अनुभवजन्य मान्यता है कि जिस देश में ओलिम्पिक होते हैं उस देश में पर्यटकों की संख्या घटती है एवं पड़ोसी देशों में बढ़ती है। ऐसा ही बार्सिलोना व सिडनी में भी हुआ है।
इस लिहाज से आने वाले वर्षों में भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या में अच्छा इजाफा हो सकता है एवं इसका अच्छा लाभ देश के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को भी मिल सकता है। वैसे भी हमारे देश में पर्यटन एक महत्वपूर्ण उद्योग बन चुका है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को इससे करीब 7 प्रतिशत का योगदान मिल रहा है एवं 4.10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 9 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है।
भारतीय अस्पताल विदेशी मरीजों के लिए पहली पसंद बन रहे हैं। इसीलिए विश्व पर्यटन एवं व्यवसाय परिषद के अनुसार भारत में पर्यटन की माँग सतत रूप से तेज गति से बढ़ सकती है। उसके अनुसार वर्ष 2013 में समाप्त होने वाले नौ वर्षों में पर्यटकों की संख्या प्रति वर्ष औसतन 9 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है और तब भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पर्यटक बाजार बनकर उभर सकता है।
वैसे वर्ष 2007 में पहली बार 50 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए, जबकि 2006 में उनकी संख्या 44 लाख 50 हजार थी। इसी वजह से वर्ष 2007 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा की आवक 33 प्रतिशत बढ़कर 11 अरब 96 लाख डॉलर हुई, जबकि 2006 में 8 अरब 93 लाख डॉलर की हुई थी। देश का होटल उद्योग अभिन्न रूप से पर्यटन से जुड़ा हुआ है। इसलिए पर्यटन में आई तेजी का सबसे अधिक लाभ होटल उद्योग को मिला।
इसे 'अभ्यार्थना उद्योग' इसीलिए कहा जाता है। वित्तीय वर्ष 2007-08 में पर्यटन उद्योग में जो वृद्धि हुई वह वर्ष 2008-09 की प्रथम तिमाही में भी जारी रही और इसका लाभ होटल उद्योग के साथ ही हवाई सेवाओं को भी मिला। चालू वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में पर्यटकों की संख्या में 12.2 प्रतिशत की वृद्धि (पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में) हुई एवं विदेशी मुद्रा की आय में 34.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
पर्यटकों की अधिक संख्या में आकर्षित करने के लिए विकास के बुनियादी साधनों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है, किन्तु फिर भी देश में होटलों के 1 लाख 50 हजार कमरों की कमी है और होटल के कमरों की माँग के अनुरूप पूर्ति नहीं हो रही है- इसीलिए करीब 40 अंतरराष्ट्रीय होटल ब्रॉण्ड भारत में प्रदेश कर रहे हैं एवं उनकी उपस्थिति से यह अभ्यार्थना क्षेत्र 11.41 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा, किन्तु सही बात यह भी है कि पर्यटन उद्योग के क्षेत्र में अनेक छोटे-बड़े रोड़े हैं और वे कभी भी देश को विश्व का प्रमुख पर्यटन स्थल बनने से रोक सकते हैं, क्योंकि अभी भी देश में विकास की बुनियादी संरचनाएँ अधूरी हैं एवं पर्यटन प्रबंधन में अनेक खामियाँ हैं, उच्च गुणवत्ता वाली होटलों की कमी है। फिर इस उद्योग से जगह-जगह जुड़े छोटे-मोटे दलाल एवं बुरी नीयत के व्यवस्थापकों की वजह से देश का पर्यटन उद्योग बदनाम हो रहा है।
5 comments:
यह तो बडी अच्छी खबर है ।
सही है!
अच्छी जानकारी है।
नैराश्य में रोशनी सी नजर आती यह पोस्ट!
शुभ समाचार है। लेकिन थोड़ा यह भी लिकते कि 'आम जनता' इससे लाभान्वित होने के लिये क्या उद्यम करे।
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