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Wednesday, September 10, 2008
प्रलय नहीं, सृजन की ओर बढ़ा पहला कदम
ब्रह्मांड बनने की गुत्थी सुलझाने के लिए अब तक का सबसे महत्वपूर्ण , सबसे खर्चीला और सबसे बड़ा भौतिक प्रयोग सफलतापूर्वक शुरू हो गया। फ्रांस और स्विट्जरलैंड की सीमा पर स्थित सीईआरएन लैब में बुधवार को स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 9: 30 बजे दुनिया भर के लगभग 9 हजार वैज्ञानिकों ने यह महाप्रयोग शुरू किया। इन वैज्ञानिकों में लगभग 200 भारतीय मूल के हैं। वैज्ञानिकों ने सुरंग में प्रोटॉन की एक बीम छोड़ी। पहले ये प्रोटॉन घड़ी की सुइयों के घूमने की दिशा में घूमेंगे उसके बाद उन्हें दूसरी दिशा में छोड़ा जाएगा। इसके बाद कहीं जाकर उन्हें एक साथ छोड़ा जाएगा और प्रोटॉनों की टक्कर होगी। लगभग 30 साल पहले इस प्रयोग का विचार वैज्ञानिकों को आया था। बुधवार को उस प्रयोग का पहला कदम पूरा हुआ। 27 किलोमीटर लंबे रेस ट्रेक पर प्रोटॉन बीम को कंट्रोल करने के लिए एक हजार से ज्यादा चुंबक लगे हुए हैं। मशीन में 2 हजार से ज्यादा मैग्नेटिक सर्किट हैं। इनकी बेरोकटोक पावर सप्लाई एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह बीम इतनी तेजी से चल रही है कि एक सेकंड में सुरंग के 11 हजार चक्कर पूरे हो रहे हैं। इस एक्सपेरिमेंट से न केवल ब्रह्मांड के रहस्य उजागर होंगे बल्कि मानवता के लिए कुछ आशा भरे संदेश भी मिलेंगे। समूची कवायद में सब - अटॉमिक पार्टीकल न्यूट्रॉन निकलेंगे। इनकी सहायता से जीवन के लिए खतरा बन चुके परमाणु कचरे से निपटने का उपाय खोजा जाएगा। इसके अलावा सीईआरएन का यह महाप्रयोग मौसम में बदलाव पर अहम जानकारी मुहैया कराएगा। इससे निकलने वाली प्रोटॉन बीम कैंसर के रोगियों का इलाज ज्यादा बेहतर और कारगर तरह से कर पाएंगी।
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