Thursday, September 11, 2008

एमसीडी के भ्रष्ट एंजीनियरों पर गिरी गाज

दिल्ली सरकार के ऐंटी करप्शन ब्रांच ने बुधवार देर शाम एमसीडी के 13 एंजीनियरों को गिरफ्तार कर लिया। इन पर सड़क निर्माण में घपलेबाजी, मस्टर रोल में गड़बड़ी, पद के दुरुपयोग और एमसीडी को आर्थिक नुकसान पहुंचाने जैसे कई आरोप हैं। गुरुवार को उन्हें ऐंटी करप्शन अदालत में पेश किया जाएगा। इनकी गिरफ्तारी दिलचस्प तरीके से की गई है। वैसे तीन दर्जन से अधिक एंजीनियरों की गिरफ्तारी होनी थी लेकिन भनक पाकर बाकी अंडरग्राउंड हो गए हैं। गिरफ्तार किए जाने वालों में इग्जेक्यटिव एंजीनियर, असिस्टेंट एंजीनियर और जूनियर एंजीनियर शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि एमसीडी की पहल पर ही ऐंटी करप्शन ब्रांच इन एंजीनियरों पर लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा था। आरोप है कि वर्ष 2001 से 2005 के बीच इन एंजीनियरों ने सड़क निर्माण में खासी घपलेबाजी की, सेनिट्री लैंडफिल पर कूड़ा पहुंचाने में ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया, मस्टर रोल में गड़बड़ी की और अपने पदों का दुरुपयोग कर एमसीडी को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। आरोपी एंजीनियरों की संख्या तीन दर्जन से अधिक थी। विशेष बात यह है कि एमसीडी का विजिलेंस विभाग भी इनके खिलाफ जांच पूरी कर चुका था और इनमें से अधिकतर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चल रही थी। चूंकि मामला संगीन था इसलिए एमसीडी ने इनके खिलाफ जांच की जिम्मेदारी ऐंटी करप्शन ब्रांच को भी सौंप रखी थी। ब्रांच के डीसीपी इंद्रदेव शुक्ला के अनुसार, इन एंजीनियरों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी थी और बुधवार की सुबह इन्हें अपना पक्ष रखने के लिए ब्रांच के सिविल लाइंस स्थित दफ्तर में इन्हें बुलाया गया। शाम तक एंजीनियरों को उन पर लगाए आरोपों की ब्योरेवार जानकारी दी गई और इस बाबत उनसे उनका पक्ष भी पूछा गया। लेकिन वे ब्रांच के आला अफसरों को संतुष्ट नहीं कर सके, जिसके बाद सभी 13 को देर शाम गिरफ्तार कर लॉकअप में डाल दिया गया। सूत्र बताते हैं कि ब्रांच ने विभिन्न आरोपों में सभी तीन दर्जन एंजीनियरों को अपने दफ्तर में बुलाया था लेकिन उनमें से 13 ही आ पाए, बाकी को इस बात की भनक लग चुकी थी कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है जिससे बाद वे भूमिगत हो गए। संभावना है कि आगामी दिनों में उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि एमसीडी एंजीनियरों पर सालों से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं और जब तब उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती रही है। इसी साल 23 मई को एमसीडी कमिश्नर के. एस. मेहरा ने 14 इग्जेक्यटिव एजींनियर, 20 असिस्टेंट एंजीनियर, 17 जूनियर एंजीनियर और 17 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। इन पर आरोप है कि उन्होंने सेनिट्री लैंडफिल में गाद के बजाय मलबा डलवाया।

3 comments:

संगीता पुरी said...

वर्ष 2001 से 2005 के बीच इन एंजीनियरों ने सड़क निर्माण में खासी घपलेबाजी की, सेनिट्री लैंडफिल पर कूड़ा पहुंचाने में ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया, मस्टर रोल में गड़बड़ी की और अपने पदों का दुरुपयोग कर एमसीडी को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। लेकिन अभी तक उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आगे देखिए क्या होता है

Anonymous said...

हर काम में जो बीस परसेंट कमीशन (पगार के अलावा) , जिसे हम मान चुके हैं कि इनका हक है, उसमे से बीस परसेंट घूस देकर कल आपको सभी so called Engineers अपने ऑफिस में ही मिलेंगे |

dcpaliwal

कुन्नू सिंह said...

करप्सन बहुत बढ गया है। कोई गीन्ती ही नही है।
एमसीडी का छवी तो बहुत बीगडा हूवा है।

उप्परी पैसा, और काम भी नही करते।
सिर्फ वादे करते रहते हैं।

फ्लाक ब्राउजर ब्लाग के लीये ईसमे बहुत कूछ है।