Thursday, September 18, 2008

पिता के समान मिले मां के नाम को भी दर्जा

बच्चों के नाम के आगे पिता का ही नाम क्यों लिखा जाना चाहिए? केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि लिखा-पढ़ी में पिता के समान मां के नाम को भी अहमियत मिलनी चाहिए। उनका मंत्रालय इसके कानूनी प्रावधान के लिए पहल करने जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं या लड़कियों पर तेजाब फेंकने की घटनाओं को रोकने के लिए पीड़ित के इलाज और पुनर्वास का जिम्मा इसके दोषियों पर ही डालने की पैरवी की है।

रेणुका चौधरी ने दहेज निरोधक कानून-1961 को और सख्त बनाने की बात कही। महिलाओं और लड़कियों को तेजाब संबंधी अपराधों से बचाने के लिए प्रस्तावित विधेयक के मसौदे पर भी वह बोलीं। उन्होंने कहा, 'बच्चे के नाम के आगे आखिर मां का नाम क्यों नहीं लिखा जा सकता? पासपोर्ट, स्कूल-कालेज और दूसरे सभी दस्तावेजों में मां के नाम को वही दर्जा मिलना चाहिए-जो उसके पिता को मिलता है'। उन्होंने कहा कि जल्द ही उनका मंत्रालय इस मसले पर दूसरे मंत्रालयों से बातचीत शुरू करने जा रहा है।

पुलिस अधिकारियों, कानून के जानकारों और गैर-सरकारी संगठनों की मौजूदगी में हुए इस विचार-विमर्श में आईपीसी की धारा-498 ए में संशोधन या इसे खत्म करने का पुरजोर विरोध किया गया। रेणुका चौधरी ने खुद कहा कि कानून की धारा-498 ए को भी लागू करने वाले ज्यादातर पुरुष हैं, लिहाजा उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो। उन्होंने कहा महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार जल्द ही एक विधेयक को अंतिम रूप देने जा रही है। उसमें ऐसी घटना में पीड़ित को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित के इलाज और पुनर्वास पर होने वाले सारे खर्च का जिम्मा घटना के दोषियों पर डाला जाना चाहिए।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डा. गिरिजा व्यास ने कहा कि तेजाब फेंकने की घटनाओं में कार्रवाई की बाबत कानून में अलग से प्रावधान होना चाहिए। पीड़ित की प्लास्टिक सर्जरी होनी चाहिए। प्रस्तावित विधेयक में 'नेशनल एसिड अटैक विक्टिम असिस्टेंस बोर्ड' बनाने की बात कही गई है। प्रथम दृष्टया तेजाब हमले की पुष्टि होने पर पीड़ित को तात्कालिक तौर पर पांच लाख रुपये, बाद में इस राशि को तीस लाख रुपए तक करने की पैरवी की गई है।

4 comments:

Anonymous said...

तेजाब फ़ेंकने वाली मानसिकता का इलाज भी जरूरी है!

सुजाता said...

हद है !
तेज़ाब फेंकते रहने वालो का क्या होगा ?

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत सही है महिला आयोग। गिरिजा व्यास जी अपने नाम में उपयुक्त परिवर्तन करने की पहल करें!

रश्मि प्रभा... said...

sahi likha,maa ko ye darjaa milna chahiye