सेना के तीनों प्रमुखों की समिति ने महिलाओं को फौज में स्थायी कमिशन देने की सिफारिश रक्षा मंत्री ए के एंटनी को भेज दी है और यह ऐतिहासिक फैसला एक सप्ताह के भीतर होने की सम्भावना है।
सैन्य प्रमुखों की समिति ने सशस्त्र बलों में शिक्षा और न्यायिक शाखा में महिलाओं को पुरूषों की तरह स्थायी कमिशन देने की सिफारिश की है, लेकिन उन्हें लड़ाकू भूमिका में नहीं रखा जाएगा। रक्षा मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने पुष्टि की कि सैन्य समिति ने अपनी सिफारिश रक्षा मंत्री को भेज दी है और यह फैसला बहुत जल्दी ले लिया जाएगा। अधिकारी ने संकेत दिया कि एंटनी इस फैसले पर अपनी मुहर एक सप्ताह के भीतर लगा देंगे। अभी तक महिलाओं को सशस्त्र सेनाओं में अस्थायी तौर पर ही लिया जाता है और उनकी नौकरी 15 साल से कम होती है। महिला अधिकारियों को लेफ्टीनेंट कर्नल रैंक से उपर का दर्जा नहीं मिल पाता।
इस समय सशस्त्र बलों में 1899 महिलाएं हैं। इनमें 1014 महिला अधिकारी सेना में 739 वायु सेना में और 236 महिलाएं नौसेना में हैं। रक्षा सूत्रों ने कहा कि महिलाओं को स्थायी कमिशन देने के मुद्दे को कैबिनेट के पास ले जाने की आवश्यकता नहीं है और रक्षा मंत्री के स्तर पर यह फैसला ले लिया जाएगा जो एक साल से इस मुद्दे को आगे बढाते आ रहे हैं। वह संसद को वचन दे चुके हैं कि इस मामले पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और लड़ाई के मोर्चे के अलावा उन्हें स्थायी कमिशन दिया जाएगा।
इस फैसले के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी जैसे संस्थानों के द्वार भी महिलाओं के लिए खुल जाएंगे। लेकिन सूत्रों ने कहा कि इस निर्णय से मौजूदा शार्ट सर्विस कमिशन प्राप्त महिला अधिकारियों को लाभ नहीं होगा क्योंकि इससे अनेक तरह की जटिलताएं पैदा होने की सम्भावना है। महिलाओं को स्थायी कमिशन के जरिए परिवहन विमान और हेलीकाप्टर तक के पायलट के तौर पर सैन्य बलों में नौकरी मिलती रही
है। इसके अलावा मेडिकल, डेंटल और नर्सिग में उन्हें स्थायी कमिशन
मिलता रहा है। पुरूष वर्चस्व की मानसिकता के कारण महिलाओं को स्थायी कमिशन देने की यह सिफारिश काफी नानुकर के बाद शीर्ष तक पहुंची है। अलबत्ता अब भी ऐसे सैन्य अधिकारियों की कमी नहीं है जिनके गले महिलाओं को स्थायी कमिशन देने का निर्णय उतर नहीं पा रहा है।
सैन्य प्रमुखों की समिति ने सशस्त्र बलों में शिक्षा और न्यायिक शाखा में महिलाओं को पुरूषों की तरह स्थायी कमिशन देने की सिफारिश की है, लेकिन उन्हें लड़ाकू भूमिका में नहीं रखा जाएगा। रक्षा मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने पुष्टि की कि सैन्य समिति ने अपनी सिफारिश रक्षा मंत्री को भेज दी है और यह फैसला बहुत जल्दी ले लिया जाएगा। अधिकारी ने संकेत दिया कि एंटनी इस फैसले पर अपनी मुहर एक सप्ताह के भीतर लगा देंगे। अभी तक महिलाओं को सशस्त्र सेनाओं में अस्थायी तौर पर ही लिया जाता है और उनकी नौकरी 15 साल से कम होती है। महिला अधिकारियों को लेफ्टीनेंट कर्नल रैंक से उपर का दर्जा नहीं मिल पाता।
इस समय सशस्त्र बलों में 1899 महिलाएं हैं। इनमें 1014 महिला अधिकारी सेना में 739 वायु सेना में और 236 महिलाएं नौसेना में हैं। रक्षा सूत्रों ने कहा कि महिलाओं को स्थायी कमिशन देने के मुद्दे को कैबिनेट के पास ले जाने की आवश्यकता नहीं है और रक्षा मंत्री के स्तर पर यह फैसला ले लिया जाएगा जो एक साल से इस मुद्दे को आगे बढाते आ रहे हैं। वह संसद को वचन दे चुके हैं कि इस मामले पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और लड़ाई के मोर्चे के अलावा उन्हें स्थायी कमिशन दिया जाएगा।
इस फैसले के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी जैसे संस्थानों के द्वार भी महिलाओं के लिए खुल जाएंगे। लेकिन सूत्रों ने कहा कि इस निर्णय से मौजूदा शार्ट सर्विस कमिशन प्राप्त महिला अधिकारियों को लाभ नहीं होगा क्योंकि इससे अनेक तरह की जटिलताएं पैदा होने की सम्भावना है। महिलाओं को स्थायी कमिशन के जरिए परिवहन विमान और हेलीकाप्टर तक के पायलट के तौर पर सैन्य बलों में नौकरी मिलती रही
है। इसके अलावा मेडिकल, डेंटल और नर्सिग में उन्हें स्थायी कमिशन
मिलता रहा है। पुरूष वर्चस्व की मानसिकता के कारण महिलाओं को स्थायी कमिशन देने की यह सिफारिश काफी नानुकर के बाद शीर्ष तक पहुंची है। अलबत्ता अब भी ऐसे सैन्य अधिकारियों की कमी नहीं है जिनके गले महिलाओं को स्थायी कमिशन देने का निर्णय उतर नहीं पा रहा है।
5 comments:
विवेक जी। यह जानकर काफी खुशी हुई की आप सागर मे भी पड़े हैं। आप अमेरिका मे भारत, झांसी व सागर जैसे स्थानों का नाम रोशन कर रहें हैं। डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्र आज देश दुनिया के लिए काम कर रहें हैं यह बड़े ही फक्र की बात है। आपका ब्लाग देखा। आपके विचार जाने। बहुत अच्छा लगा। शुभकामनाओं सहित
aakp vichaar jaan kar achcha laga...essa hota hai to or bhi sukhad haga.....warna to kuch esse bhi hain jo mahila ko khade hone ke liye jammen bhi na dein.
सुखद खबर---बहुत अच्छा लगा!!
bahut badhiyakhabar. dhanyawad.
kaafi ache vichar hai aapke...
likhte rahiyega.....
regards
Sachin
http://shayrionline.blogspot.com/
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